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इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट में राज्यों से मदद लेंगे रेल मंत्री

नई दिल्ली. नकदी संकट से जूझ रहे रेलवे डिपार्टमेंट की हालत सुधारने के लिए स्पेशल आइडिया की तलाश कर रहे रेल मंत्री सुरेश प्रभु राज्यों से सहयोग मिलने पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। वह रेल डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट्स में राज्यों को साझेदार बनाने के लिए काम कर रहे हैं। प्रभु का मानना है कि केंद्र सरकार इतना ही कर सकती है।
और देशभर में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने के लिए राज्यों से साझेदारी करना जरूरी है। इससे रेलवे को प्रॉजेक्ट्स के लिए लैंड एक्विजिशन की पुरानी समस्या से निपटने में आसानी होगी। प्रभु ने एक कैबिनेट नोट भी तैयार कराया है, जो एक अलग लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन बनाने से जुड़ा है। इसमें इस पीएसयू को जॉइंट वेंचर के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसे सभी बड़े बिजनस हब्स में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बनाने का जिम्मा दिया जाएगा। रेलवे बोर्ड के एक मेंबर ने दावा किया, 'इस आइडिया के बारे में पहले भी बात हुई थी, लेकिन मंत्री अब मिशन मोड में आ गए हैं।' प्रभु ने नए साल की शुरुआत पर सभी चीफ मिनिस्टर्स को पत्र लिखे थे। इनमें रेलवे स्टेशनों, ट्रैक को चौड़ा करने के अलावा रोड ओवरब्रिज और रोड अंडरब्रिज बनाने सहित रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और उसे मजबूत करने में राज्यों के साथ साझेदारी का प्रस्ताव दिया गया था। एक सीनियर रेलवे ऑफिशल ने कहा, 'कई रेलवे प्रॉजेक्ट्स लैंड एक्विजिशन में दिक्कतों की वजह से फंसे हुए हैं। 2 लाख करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट अटके हैं। इनमें बड़ी संख्या ऐसे प्रॉजेक्ट्स की है, जिनमें राज्यों ने जमीन मंजूर करने में सहयोग नहीं किया है। ज्यादातर आरओबी और आरयूबी इसी वजह से पेंडिंग हैं।' प्रभु ने राज्यों के सामने जॉइंट वेंचर रूट अपनाने का प्रस्ताव रखा है। अधिकारी ने ईटी को बताया, 'प्रॉजेक्ट चिन्हित हो जाने पर रेलवे संबंधित राज्य के साथ मिलकर जेवी बना सकता है ताकि प्रॉजेक्ट पूरा हो सके। इसे एसपीवी के जरिए भी किया जा सकता है। खर्च होने वाली रकम सभी पक्ष मिलकर देंगे। राज्यों को प्रॉजेक्ट अपना होने का अहसास होगा।' रेलवे को उम्मीद है कि रेलवे स्टेशनों के डिवेलपमेंट और मॉडर्नाइजेशन में भी जेवी मॉडल अपनाया जा सकेगा। एक अन्य रेलवे ऑफिशल ने कहा, '7,000 स्टेशनों को मॉडर्नाइजेशन के लिए चुना गया है। इन्हें डिवेलप करने के लिए राज्यों से मदद मांगी गई है। इनमें राज्य अगर एक प्राइवेट पार्टनर को जोड़ लें तो एक तरह से त्रिकोणीय जेवी बन सकता है।' रेलवे ने अपने प्रॉजेक्ट्स को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया है। अधिकारी ने कहा, 'इन्वेस्टर्स 7000 में से किसी भी स्टेशन को चुन सकते हैं। पहले उनके लिए ऐसे 8 स्टेशन ही थे, जिन्हें रेलवे मॉडल स्टेशन के रूप में डिवेलप करना चाहता था।' हर स्टेशन पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत के साथ रेलवे ने इससे पहले चंडीगढ़, बिजवासन, आनंद विहार, शिवाजी नगर (पुणे), हबीबगंज, गांधीनगर, सूरत और मंगलौर को मॉडल स्टेशन के रूप में ऑफर किया था।