बिहार में फर्जी डिग्रियों की बाढ
पटना। बिहार में डिग्रियों का 'खेल' किस कदर चल रहा है इसका अंदाजा सहरसा के सरकारी स्कूल
के टीचर की डिग्री से लगाया जा सकता है। एल.बी सिंह नाम के इस टीचर का जन्म जनवरी 1986
में हुआ था, लेकिन इन्होंने अपने जन्म से 7 साल पहले यानी 1979 में ही बीएड की डिग्री हासिल कर ली थी.
ऐसा नहीं है कि एल.बी सिंह बिहार में अकेले ऐसे
टीचर हैं, जो बीएड की 'डिग्री के साथ पैदा हुए हैं'। सारण जिले की इंदु
कुमारी ने भी अपने जन्म से 7
साल पहले ही बीएड कर लिया था। इनके अलावा मधेपुरा के शिवनारायण यादव और प्रीति
कुमारी ने जन्म से तीन-तीन साल पहले बीएड की डिग्री हासिल कर ली, जबकि पूर्वी चंपारण के तारकेश्वर प्रसाद जन्म से 5
साल पहले डिग्री ले चुके थे।
आपको बता दें कि बिहार में मार्च-अप्रैल 2012
में भर्ती हुए 32,127 कुल टीचर्स में से कम से कम 95 ऐसे हैं, जिन्होंने जन्म से पहले ही बीएड कर ली थी। सुप्रीम
कोर्ट ने 2010 में आदेश दिया था कि
बिहार सरकार 21 साल तक की
उम्र से पहले बीएड कर चुके 34,540 लोगों को टीचर के रूप में भर्ती किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही राज्य सरकार ने ये नियुक्तियां की हैं।
बिहार के शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भर्ती हुए 32,127 में से कम से कम 3000 टीचर्स ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की। बिहार के वैशाली
और गोपालगंज से अबतक 39-39 टीचर्स
को हटाया जा चुका है, जबकि
कैमूर से 36 ऐसे टीचर्स अपनी नौकरी गंवा
चुके हैं।