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आरटीआई के दायरे में आये राजनीतिक दल

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने एलान किया है कि अब से राजनीतिक दल भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्रशासन और आम जनता के प्रति जवाबदेह होंगे। इस फैसले के बाद आप कांग्रेस, भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से सवाल कर सकते हैं और उन्हें जवाब देना होगा।

1. सालाना चंदा कितना मिला और कहां खर्च हुआ?सबसे पहला सवाल बनता है कि इन राजनीतिक दलों को हर साल कितना चंदा मिलता है और इस रकम को कहां-कहां खर्च किया जाता है। नेताओं के मालदार होने की खबरें जब-तब आती रहती हैं, लेकिन अब आप यह पूछ सकते हैं कि पार्टी को कितना पैसा मिलता है।

2. रिलायंस, टाटा, एयरटेल से कितना-कितना चंदा मिला?नेताओं और उद्योगपतियों के बीच गठजोड़ की खबरें आम हैं, लेकिन आरटीआई के हथियार का इस्तेमाल कर यह सवाल किया जा सकता है कि किस उद्योग समूह से इन राजनीतिक दलों को कितनी रकम मिल रही है। जाहिर है, इस रकम की एवज में उद्योगपतियों को कुछ 'फायदे' भी मिलते होंगे।

3. आम चुनाव में कितना खर्च किया और उम्मीदवारों को कितनी रकम दी?तामझाम को देखकर समझ आ जाता है कि निगम चुनावों से लेकर लोकसभा चुनाव तक, राजनीतिक दल अरबों रुपए बहाते हैं और उम्मीदवार भी कोई कसर नहीं छोड़ता। वक्‍त आ गया है कि यह पूछें कि इन राजनीतिक दलों ने चुनावों में कितना खर्च किया और उम्मीदवारों को कितनी रकम प्रचार के लिए दी गई।

4. स्टार प्रचारक के हवाई खर्च पर कितनी रकम लगी?
आपने भी खूब देखा-सुना होगा कि दिल्ली का कोई बड़ा नेता चुनाव के वक्‍त असम में प्रचार के लिए जा रहा है। इन्‍हें स्टार प्रचारक कहा जाता है, जो अपने भाषण से वोट खींचने की ताकत रखते हैं। लेकिन इनकी आवाजाही में राजनीतिक दल कितना पैसा खर्च किया जा रहा है, यह बात कभी बाहर नहीं आती। क्यों न यह जान लिया जाए।

5. रामलीला मैदान में हुई रैली के खर्च का ब्योरा ‌दीजिए?
राजनीतिक दल ‌उत्तर प्रदेश का हो य फिर बिहार का, शक्ति प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने के लिए जरूर आतुर रहता है। दूर-दूर से ट्रेन और बसों में समर्थक भरकर लाए जाते हैं। आरटीआई के जरिए यह सवाल किया जा सकता है कि ऐसी एक रैली पर कितना पैसा लगाया जाता है।

6. विदेश से किससे और कितना चंदा मिला?
हम सभी जानते हैं कि विदेश में बसे समर्थकों और उद्योगपतियों से भी हमारे राजनीतिक दलों को खूब पैसा आता है। लेकिन इस बात की जानकारी छिपी रहती है कि यह पैसा कहां से आया और किसने दिया। आरटीआई की अर्जी शायद इन दबी-छिपी सूचनाओं को बाहर लाने का काम करेगी।