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कुंडा में राजा का दरबार ही सबसे बड़ी अदालत है

उत्‍तर प्रदेश। कुंडा और आसपास के इलाके के लोगों के लिए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का ‘दरबार’ ही सबसे बड़ी अदालत है। यहां बाकायदा सुनवाई की जाती है। दोनों पक्षों में जिरह होती है और अंत में राजा भैया का फैसला ‘अंतिम’ फैसला माना जाता है।
राजा भैया अगर कुंडा में हैं तो उनका दरबार हर रोज लगता है। राजा के सिपहसालारों को पहले से पूरे मामले की जानकारी होती है। दरबार में राजा को समझाया जाता है कि मामला क्या है और पीड़ित क्या चाहता है। बहुत बार इन मामलों को राजा समर्थित ग्राम प्रधानों, ब्लाक प्रमुखों और जिला पंचायत सदस्यों के पास जांच के लिए भेजा जाता है। उनसे पूछा जाता है कि प्रार्थनापत्र या आरोपों में क्या सच्चाई है। इसके बाद दूसरे पक्ष को भी बुलाया जाता है। फिर होता है राजा का फैसला। जाहिर है फैसला दो पक्षों में से किसी एक के विरोध में होता है लेकिन इसे सभी को मानना ही पड़ता है। राजा भैया अगर सत्ता में हैं तो पुलिस, प्रशासनिक और तमाम विभागों के अफसर वहां हाजिरी लगाते दिखाई देते हैं। अगर वे सत्ता में नहीं हैं तो भी दरबार उसी ठसक से लगता है। इतना जरूर है कि फिर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी वहां नहीं दिखते। कई बार दरबार में आना लोगों की मजबूरी होती है, क्योंकि दूसरा पक्ष वहां पहुंच जाता है। ऐसे में दरबार का फैसला मानने के अलावा किसी के पास और कोई चारा नहीं होता। किसी की क्या जुर्रत जो राजा के फैसले पर नाराजगी जता दे। राजा के फैसले के बाद और कहीं अपील की इजाजत नहीं होती है। इसे राजा का खौफ कहें या फिर सम्मान। फिलहाल तो कुंडा की सच्चाई यही है।