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रेप के खिलाफ कानून पर सरकार में मतभेद

नई दिल्‍ली। कानून के मसौदे को लेकर गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के बीच विवाद है। खासकर आपसी सहमति से शारीरिक रिश्ते बनाने की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 साल करने को लेकर। गौरतलब है कि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा कानून इस वक्त सरकार की सबसे बड़ी चिंता है।
बीते दिसंबर में हुए दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद से लोग सख्त कानून की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर सरकार ने जल्दबाजी में एक अध्यादेश लागू कर दिया है। इस अध्यादेश की जगह सरकार अब एक बिल लाना चाहती है जो बृहस्पतिवार को पेश नहीं हो पाया। बलात्कार के खिलाफ लागू अध्यादेश में सरकार ने कुछ जरूरी बदलाव करके यह बिल बनाया है। कानून मंत्री का कहना है कि महिला संगठनों की मांग को देखते हुए यह बदलाव किए गए हैं। दिल्ली गैंग रेप की घटना के बाद बलात्कार के खिलाफ जारी अध्यादेश में फेरबदल करके सरकार ने एक नया विधेयक बनाया है। नए विधेयक में कई फेरबदल किए गए हैं। इसमें शारीरिक संबंध बनाने के लिए रजामंदी की न्यूनतम आयु 18 से घटाकर 16 साल कर दी गई है। मौजूदा अध्यादेश के मुताबिक लड़की की आयु 18 साल से कम होने पर शारीरिक रिश्ते को बलात्कार के दर्जे में रखा जाता है। मौजूदा विधेयक में सरकारी या निजी अस्पतालों के लिए रेप पीड़ितों का इलाज करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर सजा का भी प्रावधान है। कानून मंत्रालय ने यौन उत्पीड़न की जगह रेप या बलात्कार शब्द का दोबारा इस्तेमाल किया है।