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नोएडा में तोड़फोड़ और आगजनी भारत बंद हुआ हिंसक

नई दिल्‍ली। राजधानी दिल्‍ली में ऑटो न चलने के कारण मेट्रो में भीड़ बढ़ गई है। हड़ताली कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में राजधानी समेत देश भर में प्रदर्शन किया है। देश भर की सभी प्रमुख ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई दो दिन की हड़ताल का बैंक, डाक, फैक्ट्रियों और परिवहन पर व्यापक असर पड़ा है।
अंबाला में बस रोकने की कोशिश कर रहे एक ट्रेड यूनियन लीडर की कुचलने से मौत हो गई है। नोएडा में उपद्रवियों ने एक फैक्ट्री में तोड़फोड़ की है और 7 गाड़ियों में आग लगा दी है। कोलकाता और मुंबई में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तोड़फोड़ की खबर है। दो दिनों की हड़ताल के कारण उत्तर प्रदेश में बस से बीमा तक सभी ठप नजर आ रहे हैं। परिवहन निगम की सात हजार से अधिक बसों का चक्का जाम है। सिटी बसें भी नहीं चल रही है। बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल का समर्थन किया है। हड़ताल में बीमा, बैंक, परिवहन, डाक विभाग,सार्वजनिक उपक्रम, असंगठित मजदूर, आंगनबाडी़-मिड डे मील-जैसे संगठन भी शामिल हैं। हड़ताल के समर्थन में राजधानी लखनऊ में मंगलवार शाम को मशाल जुलूस भी निकाला गया था। ट्रेड यूनियनों ने अपनी दस मांगें सरकार के समक्ष रखीं हैं, जिनमें से ज्यादातर मांगें महंगाई रोकने, रोजगार पैदा करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की प्रक्रिया रोकने, श्रम कानूनों के अमल से संबंधित हैं।

1-महंगाई के लिए जिम्मेदार सरकार की नीतियां बदली जाएं।
2-महंगाई को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जाए।
3-सरकारी संगठनों में अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए।
4-आउटसोर्सिंग की जगह स्थायी आधार पर कर्मचारियों की भर्ती हो।
5-सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी निजी कंपनियों को न बेची जाए।
6-बैंकों के विलय की नीति न लागू की जाए।
7-केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी हर 5 साल में वेतन में संशोधन हो।
8-नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी लागू की जाए।
9-श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलाव की कोशिश न की जाए।