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भज्जी अपने 100वें टेस्ट में फ्लॉप हुए

चेन्नई। चेन्नई टेस्ट के पहले दिन जितना मुकाबला भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रहा वैसी ही टक्कर टीम इंडिया के दो ऑफ स्पिनर्स के बीच रही। सही मायने में ये वो टेस्ट है जिसमें इन गेंदबाज़ों के लिए खुद को सबित करना बेहद अहम था।
आखिर, इन दोनों को एक साथ रखने के लिए पिछली सीरीज़ में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले स्पिनर प्रज्ञान ओझा को प्लेइंग एलेवन में जगह नहीं मिली। अश्विन ने इस मामले में शुरुआती बढ़त हासिल कर ली है। लेकिन भज्जी एक भी विकेट लेने में नाकाम रहे। वहीं दूसरे ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने 6 विकेट झटके। अब सवाल उठ रहा है कि हरभजन सिंह को खिलाते रहना भारतीय क्रिकेट के लिए कितना सही है। ये बात बेहद अजीब है कि मौजूदा समय में सक्रिय गेंदबाज़ों में 400 से ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले हरभजन पिछले 2 सालों से लगातार फॉर्म से जूझ रहे हैं।ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट के लिए उनका चयन सिर्फ पूरानी साख के दम पर हुआ। इस साल रणजी ट्रॉफी के 5 मैचों में हरभजन सिर्फ 16 विकेट ले पाए थे और इस दौरान 1 बार भी पारी में 5 विकेट लेने का कमाल वो नहीं दिखा पाए।इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में अश्विन के संघर्ष के बाद चयनकर्ताओं ने भज्जी को एक और लाइफ लाइन दी है। लेकिन, इसे महज संयोग कह लें या फिर कुछ और लेकिन सच्चाई यही है कि जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हरभजन का संघर्ष बढ़ता गया है ठीक वैसे-वैसे अश्विन अपनी काबिलियत को हर स्तर पर साबित करते हुए आगे बढ़ने लगे।