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उत्तर भारतीयों से मारपीट में राज ठाकरे के खिलाफ वॉरंट

नई दिल्ली।। उत्तर भारतीय छात्रों पर हमले और भड़काऊ भाषणबाजी के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है। उन्हें 17 नवंबर तक कोर्ट में पेश होना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
चार साल पुराने दोनों मामलों में राज ठाकरे के खिलाफ बिहार की दो अदालतों में शिकायत की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह

मामला दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में आया। इसी आदेश पर अमल करते हुए शुक्रवार को अदालत ने 2008 में जारी किए गए दो वॉरंट दोबारा जारी किए।

आरोप है कि साल 2008 में मुंबई में रेलवे की परीक्षा देने गए छात्रों पर राज ठाकरे के इशारे पर हमला किया गया। इसके साथ ही राज ठाकरे पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ छठ पर्व को लेकर भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है। इन मामलों में बिहार में जारी हुए गैर- जमानती वॉरंट के खिलाफ राज सुरक्षा कारणों का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट चले गए थे, जिसके बाद केस को दिल्ली ट्रांसफर किया गया था।
राज ठाकरे के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि गणेश उत्सव और सुरक्षा कारणों की वजह से वह कोर्ट नहीं आ सकते। कोर्ट ने इस जवाब को तर्कसंगत नहीं पाया और गैर-जमानती वॉरंट को दोबारा जारी किया। 17 नवंबर को केस की अगली सुनवाई होनी है।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अदालत के आदेश पर अमल करते हुए एक अन्य मामले में राज ठाकरे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
दिल्ली के एक मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रैट नीरज गौर ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था कि वह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे, क्योंकि उन्होंने बिहारियों को घुसपैठिया करार देते हुए महाराष्ट्र से बाहर फेंक देने का बयान दिया था। राज ने यह भड़काऊ बयान इस साल 31 अगस्त को दिया था।

दिल्ली के वकील प्रेम शंकर शर्मा ने याचिका दायर कर ठाकरे पर भड़काऊ और राष्ट्रविरोधी भाषण देने के लिए केस दर्ज करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि 31 अगस्त को मुंबई में दिए अपने भाषण में राज ने मुंबई में बिहार के लोगों को घुसपैठिया कहा और उन्हें महाराष्ट्र से भगाने की धमकी दी।

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