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एनडीए, यूपीए को तोड़ना चाहते हैं मुलायम?

नई दिल्ली।। मल्टी ब्रैंड रिटेल में एफडीआई और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ पहले सरकार का विरोध, फिर समर्थन और एक बार फिर सरकार को चेतावनी, समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह की इस सियासी चाल ने सभी राजनीतिक दलों को परेशान कर रखा है। मुलायम एक तरह से दोधारी तलवार बन गए हैं। यूपीए और एनडीए दोनों को अंदर ही अंदर मुलायम से खतरा दिख रहा है। देश की जनता भी नहीं समझ पा रही है कि मुलायम किसके साथ हैं। क्या चाह रहे हैं? कहीं मुलायम की ये सारी चालें दिल्ली की कुर्सी पर कब्जे को लेकर तो नहीं है? मुलायम यूपीए और एनडीए दोनों घटक दलों को अपने साथ जोड़ने में लग गए हैं।

एक तरफ मुलायम सिंह कहते हैं कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए वह सरकार को समर्थन देते रहेंगे। दूसरी तरफ उनके बेटे और यूपी के मुख्यमंत्री कहते हैं कि देश को मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए। उनके भाई और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट तक तैयार कर ली है। इन तमाम बयानों के बीच मुलायम एनडीए और यूपीए दोनों में अपने दोस्तों की तलाश में जुट गए हैं। यूपीए और एनडीए से अलग दल पहले ही मुलायम को कह चुके हैं कि वह आगे आएं और तीसरा मोर्चा बनाएं। साथ ही उसका नेतृत्व भी मुलायम खुद करें

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