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कानपुर - बिगडी यातायात व्यवस्था पर कब जायेगा अधिकारियों का ध्यान ???

कानपुर 30 जनवरी 2017 (हरिओम गुप्‍ता). शहर में यातायात व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। पर अधिकारियों को इससे कोई फर्क नही पडता। जाम का कष्‍ट उनसे पूछिये जो रोज घण्टों जाम में फंसते हैं, खीजते हैं। रोजना हजारों लोग जाम से जूझ रहे हैं। धुंआ लोगों की सांसों पर भारी पड रहा है। मजबूरी यह भी है कि लोगों के पास दूसरा कोई विकल्प भी नही हैं।

शहर में कई योजनाओं, पार्किंग स्थलों के लिए कार्य तैयार किया जा रहा है, लेकिन इससे शहर की यातायात व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पडेगा। सिर्फ अतिक्रमण के कारण ही 75 प्रतिशत व्यवस्था ध्वस्त है तो चौराहे पर नगर बस, ईरिक्शा, ऑटो की अनदेखी भी जाम का करण बनी हुई है। कई बार बातें तो बडी-बडी की गयी लेकिन काम कुछ नहीं हुआ। रोजाना हजारों लोग जाम से जूझ रहे है। धुंआ लोगों की सांसों पर भारी पड रहा है। ईधन जलने से जेबें हल्की हो रही हैं और समय अलग बर्बाद हो रहा है।
               
शहर में आज कोई भी ऐसा रास्ता नहीं है जहां लोगों को जाम से जूझना न पडता हो। मुख्य मार्गो के अलावा अन्दरूनी सडकों पर भी बुरे हालात नजर आते है। गाडियों का काफिला दिन ब दिन बढता जा रहा है। बीते वर्ष में लगभग 8 हजार ई-रिक्शा ही सडकों पर उतर गये जो अब काल बने हुए हैं। वहीं जीटी रोड की क्रासिंग हमेशा से जाम का मुख्य कारण बनी हुई है। बताते चले कि जरीब चौकी से लेकर आईआईटी तक 13 रेलवे क्रासिंग हैं जहां सारा दिन जाम लगा रहता है। वहीं शहर में आने वाले वाहन, ठेला, रिक्शा, लोडर की संख्या अलग से। इसके साथ ही शहर में कारों की संख्या में भी तेजी से बढोत्तरी हुई है। 

पार्किंग की जगह न होने के कारण समस्या अधिक बिगड़ चुकी है। यही हाल रहा तो स्थिति और भी गंभीर हो जायेगी, जो किसी घटना या दुघर्टना का कारण बन सकती है। दूसरी तरफ अधिकारियों का इस ओर बिलकुल ध्यान नहीं है और न ही वह ध्यान देना चाहते हैं। आरोप तो ये भी है कि ट्रैफिक व्यवस्था में लगे कर्मचारी वसूली में लगे रहते हैं, ऐसे में घण्टों जाम में फंसना शहरियों का नसीब बन चुका है।