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103 राइस मिलों में तालाबंदी से व्यापक असर, 32-34 हज़ार मज़दूर बेरोज़गारी की कगार पर

छत्तीसगढ़/बिलासपुर 13 नवंबर 2016 (जावेद अख्तर). कस्टम मिलिंग नीति के विरोध में फेडरेशन की सहमति से जिले के अधिकांश राईस मिलर्स ने सरकार के सामने अपनी मांगे रखी थीं तथा समय-सीमा निर्धारित की गई थी। परंतु राज्य सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। फलस्वरूप बिलासपुर जिले की 103 राइस मिलें अनिश्चित काल के लिये बंद कर दी गई हैं।

नई कस्टम मिलिंग नीति के विरोध के चलते और राज्य सरकार द्वारा अनदेखा किए जाने से 103 राइस मिलें बंद होने की वजह से लगभग 32 हज़ार मज़दूर बेरोज़गारी की कगार पर खड़े हैं। दूसरी ओर फेडरेशन ऑफ राइस मिल एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होगीं तब तक जिले की सभी राइस मिलें बंद रहेंगी। एसोसिएशन ने कहा कि राज्य सरकार ने यह नीति लागू करके हमें मरने के लिए छोड़ दिया है तो जब हमें मरना ही है तो हम सभी न्याय व अपने अधिकारों के लिए लड़ते लड़ते मरना पसंद करेंगें।
   
डेढ़ माह पूर्व कर दी गई थी घोषणा -
गौरतलब हो कि प्रदेश के राइस मिलरों ने फेडरेशन के तत्वाधान मेें लगभग डेढ़ माह पूर्व, राज्य शासन की वर्ष 2016-17 की कस्टम मिलिंग नीति के लागू करने पर विरोध दर्ज कराया था और अपनी मांगे रखी थी। मांग न मानने पर 10 नवंबर से राइस मिलें बंद करने की घोषणा कर दी गई थी।
   
अधिकांश राइस मिलों मेें लटका ताला -
राज्य सरकार द्वारा राइस मिल रों की मांग नहीं मानने से 10 नवंबर को अधिकांशत: राइस मिलों को बंद कर दिया है। वहीं इसका असर शुक्रवार व शनिवार, दूसरे व तीसरे दिन ही जिले में बंद का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। इस अनिश्चितकालीन बंद से सबसे ज्यादा प्रभावित दैनिक व ठेके के मजदूरों पर पड़ा है। जिले की 103 राइस मिलों से लगभग 32 हज़ार से भी अधिक मजदूरों की रोज़ी-रोटी चलती है। राइस मिल बंद होने से ये मज़दूर बेरोज़गार हो गए हैं, यदि हड़ताल लंबी चलती है तो मज़दूरों के बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगीं।
 
हर साल विद्युत शुल्क, परिवहन व्यय, मिल मशीनरी के रख-रखाव, वेतन और अन्य खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद भी मिलिंग की दर में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई, साथ ही अरवा की कस्टम मिलिंग के लिए पहले दो महीने तक मिलिंग चार्ज 40 रुपए से घटाकर 25 रुपए कर दिया गया है। जबकि पिछले साल मिलिंग चार्ज शुरू से 40 रुपए निर्धारित किया गया था। इसकी वजह से मिलरों को काफी घाटा होगा और मिल कर्ज़े में डूब जाएगी।

पावर प्लांट के साथ इन व्यवसायों पर पड़ेगा असर -
राइस मिल के बंद होने का सीधा असर अन्य उद्योग धंधों पर भी पड़ेगा। इसकी वजह से पावर प्लांट सबसे अधिक प्रभावित होंगे क्योंकि पावर प्लांट्स में लगातार भूसे की आवश्यकता पड़ती है और इसकी पूर्ति के लिए राइस मिलों से लगातार भूसे की सप्लाई होती है। इसी तरह सालवेंट प्लांट(काढ़ा का तेल), कनकी-खंडे का व्यापार एवं पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय पर आने वाले कुछ दिनों में अधिक असर पड़ने लगेगा।

* एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मिलरों की स्थिति को समझाने के साथ ही कहा कि मिलर्स की अन्य मांग में परिवहन दर की विसंगति दूर करना प्रमुख शामिल है। राज्य शासन ने आश्वासन देने के बाद भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। मिलर्स को लोडिंग में होने वाला नुकसान अपने स्टॉक से पूरा करना पड़ता है। इसलिए मंडी शुल्क और वेट शुल्क में छूट देने की भी मांग रखी गई है। - अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ राइस मिल एसोसिएशन

* नई कस्टम मिलिंग नीति में प्रति बारदाने का मूल्य 32.52 रुपए तय है। इसकी वजह से मिलरों का खर्च बढ़ गया है। 13 रुपए के बारदाने के लिए मिलर्स को 20 रुपए अतिरिक्त देना पड़ रहा है। मिलर्स पिछले 15 साल से कस्टम मिलिंग की दर बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। हर साल बिजली शुल्क, परिवहन व्यय, मिल मशीनरी के रख-रखाव, वेतन और अन्य खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। - भोलाराम मित्तल, अध्यक्ष जिला राइस मिल एसोसिएशन