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आजादी के बाद 68 वर्ष बाद सुकमा के गोमपाड़ में पहली बार फहराया जाएगा तिरंगा

छत्तीसगढ़ 25 जुलाई 2016 (रवि अग्रवाल). देश की आजादी के लगभग 68 वर्षों के पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य के जिला सुकमा के गांव गोमपाड़ में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाएगा। सुनकर बड़ा अजीब लगता है कि भारत को आजादी वर्ष 1947 में मिली परंतु आजाद देश के छत्तीसगढ़ राज्य के जिला सुकमा, जो कि आदिवासी बाहुल्य एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र, के गांव गोमपाड़ में अब से पहले तक स्वतंत्रता दिवस पर नक्सली द्वारा काला झंडा ही फहराया जाता रहा है।

इस साल 2016 के माह अगस्त में 9-15 अगस्त तक दंतेवाड़ा से गोमपाड़ तक 200 किलोमीटर पैदल मार्च कर देश भर के बस्तर सालिडेरिटी ग्रुप के सदस्य गांव पहुंचेंगे और वहां तिरंगा फहराएंगे। ज्ञात हो कि यह वही गांव हैं जहां पिछले महीने पुलिस ने मड़कम हिड़मे की हत्या, नक्सली बताकर कर दी थी, इस पर मड़काम हिड़मे के परिजन मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। विदित हो कि इस मामले को मीडिया ने भी बहुत अच्छे से उठाया। याचिका दायर करने व मीडिया की सुर्खियों में रहने के कारण हाईकोर्ट द्वारा आदेश पर मड़कम के मामले की न्यायिक जांच चल शुरू कर दी गई और अभी जांच चल रही है। 

सर्व आदिवासी समाज, पीयूसीएल, जगदलपुर लीगल एड, कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, कोलकाता आदि विश्वविद्यालयों के छात्रों के बस्तर सालिडेरिटी फोरम ने पैदल मार्च में शामिल होने की सहमति दी है। मीडिया कवरेज के लिए सलाम छत्तीसगढ़, खुलासा टीवी, न्यूज़ फ्लैश आदि उपस्थित होंगे। सामाजिक कार्यकर्ता व आप पार्टी की नेता सोनी सोरी ने बताया कि उनका उद्देश्य सरकार व नक्सलियों दोनों को यह दिखाना है कि आदिवासी कैसे विषम स्थिति में रहते हैं। पैदल मार्च में रिपब्लिकन पेंथर तथा कबीर कला मंच महाराष्ट्र का कला जत्था भी शामिल होगा तथा आल इंडिया रिपोर्टर्स एशोसिएशन (आईरा) छग के भी कई पदाधिकारी भी शामिल होंगे।
 
शुक्रवार को पैदल मार्च की तैयारियों के सिलसिले में रायपुर के गॉस मेमोरियल हाल में मानवाधिकार की बैठक हुई जिसमें सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष डी.एस. मंडावी, आप पार्टी नेता सोनी सोरी, संजय पराते, संकेत ठाकुर, नंद कश्यप, ईशा खंडेलवाल, कमल शुक्ला पत्रकार, सलाम छत्तीसगढ़ संपादक व खुलासा टीवी छग ब्यूरो हेड जावेद अख्तर, एनजीओ संचालक नरेंद्र पाण्डेय, आईरा पदाधिकारी समेत आदि बड़ी संख्या में उपस्थित हुए थे।