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रायपुर - शिक्षा विभाग के नियम फिज़ूल, बिना मान्यता चल रहे ड्रीम इंडिया के स्कूल

रायपुर 10 अगस्‍त 2015(जावेद अख्तर). राजधानी रायपुर में फिर से एक बड़े स्कूल का मायावी जाल बिछाया जा रहा है ठीक वैसे ही जैसे कि एक समय रायपुर में डाल्फिन स्कूल का जाल बिछाया गया था। विदित हो कि डाल्फिन स्कूल के संचालकों ने हजारों लाखों स्कूली छात्र व छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ किया और जमा की गई वार्षिक फीस को लेकर चंपत हो गये, जिनकी तलाश आज भी जारी ही है। उसी डाल्फिन स्कूल की तर्ज पर एक बार फिर से एक नये ड्रीम इंडिया स्कूल की शुरूवात हो रही है जो शुरू होने के साथ ही विवादों में घिरा गया है क्योंकि बिना मान्यता के स्कूलों में पढ़ाई शुरू कर दी गयी है।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में वेदांता स्कूल फर्जीवाड़ा सामने आया था मगर बावजूद इसके जिला शिक्षा विभाग ने कोई सबक नहीं लिया है। शिक्षा विभाग की नाक के नीचे बैखौफ होकर एक नहीं बल्कि पांच स्कूलों का संचालन बिना मान्यता के किया जा रहा है और शिक्षा विभाग में शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस सबसे एक बार पुनः ये आशंका जन्म ले रही है कि डाल्फिन स्कूल की तरह शिक्षा विभाग की नि‍ष्क्रियता से स्कूल संचालक सैकड़ों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करके निकल जाएगा। अगर इस पर अभी से उचित कार्रवाई नहीं की गई तो डाल्फिन स्कूल वाली करतूत की पुनरावृति से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

बताते चलें कि तीन सप्ताह पहले ही नियमों को ताक पर रखकर देवेन्द्र नगर में वेदांता कोचिंग क्लास को स्कूल के नाम पर मान्यता देने और जवाहर उत्कर्ष योजना के तहत तीन आदिवासी बच्चों को प्रवेश दिलाकर स्कूल संचालक द्वारा घरेलू नौकर बनाकर रखने का मामला प्रकाश में आया था। इस प्रकरण के बाद से दो-तीन कमरे और बिना मान्यता चलने वाले स्कूलों की रिपोर्ट जिला शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ड्रीम इंडिया को अभी शिक्षा विभाग ने मान्यता प्रदान नहीं की गई है और जिले में एक के बाद एक करके 5 स्कूलों का संचालन किया जाने लगा है। बिना मान्यता बच्चों का प्रवेश लेकर स्कूल में अध्ययन-अध्यापन भी शुरू हो चुका है। पांच में से 4 स्कूल राजधानी रायपुर के टाटीबंध, कुशालपुर, गुढ़ियारी, तेलीबांधा में खोला गया है और 1 स्कूल अभनपुर में खोला गया है। इन स्कूलों में 6 जुलाई से नर्सरी से कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई चालू हो गई है। बिना मान्यता शहर के भीतर स्कूल के संचालन से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि पिछले दिनों नोडल प्राचार्यों से मंगाई गई रिपोर्ट में ड्रीम स्कूल का जिक्र है अथवा नहीं। बताया जा रहा है कि मान्यता नहीं मिलने के बाद भी स्कूल चालू किए जाने की शिकायतें मिलने के बाद भी शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

स्कूल को लेकर ढेरों शिकायतें 
ड्रीम इंडिया स्कूल को लेकर लगातार शिकायतें जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा मंत्री तक पहुंची। इसका प्रमुख कारण बताया गया कि इस संस्था में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो डॉल्फिन स्कूल से जुड़े हुए हैं। डॉल्फिन स्कूल का गोलमाल जगजाहिर है। फेडरेशन ऑफ एजुकेशन सोसायटी के पदाधिकारियों ने भी शिक्षामंत्री केदार कश्यप से ड्रीम इंडिया की गतिविधियों की शिकायतें की थी। इसके बाद तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार कमेटी ने स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट सौंप दी है किन्तु वेदांता फर्जीवाड़ा प्रकरण के बाद से नवीन मान्यता से जुड़े प्रकरणों पर फिलहाल जिला शिक्षा विभाग कोई निर्णय नहीं ले पाया है। 
आखिरकार जाग गया शिक्षा विभाग, ड्रीम इंडिया को नोटिस, तत्काल पालकों को फीस लौटाएं
दस से अधिक समाचारों के प्रकाशन के बाद आखिरकार शिक्षा विभाग कुम्भकर्ण की नींद से जाग गया और बिना मान्यता स्कूल चलाने के मामले में जिला शिक्षा कार्यालय ने ड्रीम इंडिया स्कूल को नोटिस जारी करते हुए पालकों को बच्चों की फीस लौटाने के निर्देश भी दिए हैं। नियमतः बिना मान्यता स्कूल का संचालन करने या जारी रहने पर प्रतिदिन के हिसाब से दस हजार से लेकर एक लाख रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। जिले में बिना मान्यता के ड्रीम इंडिया द्वारा पांच स्कूलों का संचालन बेखौफ होकर किया जा रहा है। इनमें कुशालपुर, टाटीबंध, गुढ़ियारी, तेलीबांधा और अभनपुर में पढ़ाई तक शुरू कर दी गई थी। शिक्षा विभाग की उदासीनता और लापरवाही के चलते सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। अगर समय रहते ही उचित कार्रवाई की गई होती तो संभवतः यह स्थिति नहीं बन पाती। 

इसके लिए राज्य शासन को विचार करना चाहिए कि आखिरकार इतनी अधिक लेटलतीफी का कारण क्या था? बिना मान्यता के स्कूल चलाने की खबर पर खबर प्रकाशित होने के बाद तब कहीं जाकर जिला शिक्षा अधिकारी ने ड्रीम इंडिया को नोटिस जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मान्यता मिले बिना बच्चों को प्रवेश देकर पालकों से ली गई फीस तत्काल वापस की जाए। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 18 (1) (5) के तहत बिना मान्यता प्रमाणपत्र के स्कूल चलाने पर दस हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। नोटिस के बाद भी बिना मान्यता स्कूल का संचालन करने पर हर रोज जुर्माने के लिए उत्तरदायी स्कूल प्रबंधन होगा।