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42 साल तक कोमा में रहने के बाद अरुणा ने दुनिया को कहा अलविदा

नई दिल्ली 18 मई 2015. केईएम अस्पताल की पूर्व नर्स अरुणा शानबाग का आज निधन हो गया। अरुणा पर 42 साल पहले अस्पताल के एक वार्ड ब्वॉय ने नृशंस यौन हमला किया था, जिसके बाद से अरुणा निष्क्रिय अवस्था में थी। किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि 66 वर्षीय अरुणा को निमोनिया का संक्रमण हो गया था और वह वेंटिलेटर पर थी।
वह मुंबई के परेल इलाके में स्थित इस अस्पताल के आईसीयू में थी। पिछले चार दशक से अरुणा अस्पताल के वार्ड नंबर चार से लगे एक छोटे से कक्ष में थी। मंगलवार को अरुणा की देख रेख कर रही नर्सों ने देखा कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। तब उन्होंने उसे कक्ष से बाहर निकाला और आईसीयू ले गईं जहां उसे एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। केईएम अस्पताल के डीन डॉक्टर अविनाश सुपे ने बताया कि हाल ही में उसे निमोनिया होने का पता चला था और उसे जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। जांच में पता चला कि अरुणा को फेफड़ों में संक्रमण था। उसे नलियों की मदद से भोजन दिया जाता था। अरुणा केईएम अस्पताल में जूनियर नर्स के तौर पर काम करती थी। 27 नवंबर 1973 को वार्ड ब्वॉय सोहनलाल भरथा वाल्मीकि ने अरुणा पर यौन हमला किया और कुत्ते के गले में बांधने वाली चेन से अरुणा का गला घोंटने की कोशिश की, जिससे अरुणा के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई। हमले के बाद से अरुणा निष्क्रिय अवस्था में आ गई। जब इस हालत में पड़े पड़े अरुणा को 38 साल हो गए, तब 24 जनवरी 2011 को उच्चतम न्यायालय ने अरुणा की मित्र पत्रकार पिंकी विरानी की एक अपील पर अरुणा की जांच के लिए एक स्वास्थ्य दल गठित किया। पिंकी ने अरुणा के लिए इच्छा मृत्यु की मांग की थी। अदालत ने सात मार्च 2011 को इच्छा मृत्यु संबंधी याचिका खारिज कर दी।

(IMNB)