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बिहार - लालू और नीतीश में सीटों को लेकर जोर आजमाइश

नई दिल्ली 28 अप्रैल 2015. जनता परिवार के औपचारिक विलय से पहले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर ठनती दिखाई दे रही है । पार्टी के एक होने से पहले इस मसले पर दोनों के मतभेद सामने आ रहे हैं। हालांकि, पार्टियों के विलय के बाद दोनों एक ही पार्टी का हिस्सा होंगे, लेकिन उनमें अपने-अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने की होड़ दिखाई दे रही है।
बिहार के दोनों दिग्गज नेता लालू और नीतीश चाह रहे हैं कि उनके समर्थक दूसरे के समर्थक से ज्यादा सीटों पर लड़े। पूरी लड़ाई सीट बंटवारे के फॉर्म्युले को लेकर है। जेडी (यू) चाहता है कि 2010 में विधानसभा चुनाव को आधार बनाया जाए। उस समय बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हुए जेडी(यू) को 243 सदस्यीय विधानसभा में 115 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि आरजेडी की झोली में महज 22 सीटें आई थीं। आरजेडी का तर्क है कि जेडी(यू) को इतनी बड़ी सफलता बीजेपी के वोट बैंक आधार की वजह से मिली थी, जबकि वह पार्टी अब हमारे लिए मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। अारजेडी कह रही है कि 2014 लोकसभा चुनाव में मिले वोटों को सीट बंटवारे के लिए आधार बनाया जाए, जब जेडी (यू) बिना बीजेपी के समर्थन के मैदान में उतरा था। लोकसभा चुनाव में जेडी(यू) को केवल दो सीटों पर जीत मिली थी। दुश्मन ने दोस्त बने आरजेडी और जेडी (यू) के नेताओं ने फैसला किया है कि इस साल अक्टूबर होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीटों का मुद्दा अभी ही सुलझा लिया जाए ताकि चुनाव से ठीक पहले इसको लेकर आपस में खींचतान करते न दिखें। हालांकि, सीटों को लेकर दोनों खेमे में जिस तरह के मतभेद दिखई दे रहे हैं उससे जनता परिवार के विलय के राजनीतिक प्रभाव को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि आरजेडी के नेता लालू प्रसाद कम-से-कम 100 सीटों का दावा ठोक रहे हैं, वहीं नीतीश भी 100 से ज्यादा सीटों को लेकर दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में दोनों नेताओं की महत्वाकांक्षा से बीजेपी के खिलाफ सभी पार्टियों के साझा उम्मीदवार की योजना को पलीता लग सकता है। इसकी वजह यह है कि सीटों को लेकर दोनों नेता इसी तरह अड़े रहे तो कांग्रेस के लिए कुछ भी नहीं बचेगा जो इस गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती है।

(IMNB)