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भूमिहीन किसानो के कौन पोछेगा आंसू , कौन करेगा इनके नुकसान की भरपाई

कानपुर। प्रदेश सरकार ने भले ही खराब हुई फसलों का मुआवजा देने की घोषणा कर अधिकारियों को क्रियान्वयन करने का निर्देश दिया हो। लेकिन कानपुर जिले में लगभग एक तिहाई ऐसे किसान है जो दूसरों की जमीन बटाई व किराए पर लेकर जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे किसानों को मुआवजा देने के लिए न तो शासन ने और न ही प्रशासन ने कोई ठोस इंतजाम किए हैं। इन किसानों को उन्ही की हालत पर छोड़ दिया गया है।
बेमौसम बारिश ने प्रदेश के लगभग 40 जिलों की फसलों को बर्बाद कर किसानों की कमर तोड दी है। लगातार किसानों के मरने की खबर के बाद जागी सरकार ने मरहम लगाने के लिए मुआवजे के तौर पर कुछ सहायता राशि देने का एलान किया है। शासन के निर्देश के बाद जिला प्रशासन फसल का सर्वे कर किसानों को मुआवजा देने की ओर कदम बढ़ा रहा है। लेकिन बटाई व किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को मुआवजा देने के लिए शासन व प्रशासन ने किसी भी प्रकार की रणनीति नहीं बनाई है। घाटमपुर के किसान रंजीत ने बताया कि वे किराए पर जमीन लेकर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण करते हैं, लेकिन बारिश ने सब कुछ नष्ट कर दिया। कुछ इसी तरह का दर्द सरसौल के किसान महेश ने बयां किया। सबसे बडा सवाल यह है कि आखिर जो लोग दूसरे की जमीन पर पसीना बहाकर अपना भरण पोषण करते हैं। उनको मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है। एडीएम वित्त एवं राजस्व शत्रुघन सिंह ने बताया कि मुआवजा राशि मूल किसान के खाते में आएगी। किसान चाहें तो आपसी सामंजस्य बनाकर ऐसे किसानों को मुआवजा दे सकते हैं।
घर बैठे रिपोर्ट लगा रहें है लेखपाल - जिला प्रशासन ने लेखपालों को खेत-खेत जाकर फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करने के लिए आदेश दिए हैं। लेकिन लेखपाल हैं कि मानते ही नहीं। घर बैठे मनमाने तरीके से वे किसानों के नुकसान की रिपोर्ट लगा रहे हैं। बिल्हौर के संजय कटियार ने बताया कि लेखपाल रिपोर्ट लगवाने व बैंक खाता नंबर देने के लिए अपने घर बुलवा रहे हैं। लेखपालों के इस तरह के बर्ताव के बाद भी मजबूर किसान लेखपाल की बतायी जगह पर अपना खाता नंबर देने पंहुच रहे हैं।
(पत्रकार वार्ता करते रालोद के पदाधिकारी)
राष्ट्रीय लोकदल आया साथ - राष्ट्रीय लोकदल ने कानपुर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता कर इन किसानों की मदद का वादा किया है। लोकदल के जिलाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने कहा कि शासन द्वारा किसानों को 3600 रुपये बीघा का मुआवजा दिया जा रहा है। इससे अधिक तो खेत में फसल तैयार करने के लिए मजदूर का खर्जा लग जाता है। इसलिए इस सहायता राशि को बढ़ाया जाना चाहिए। बटाई करने वालों को शासन की ओर से कोई मदद नहीं मिलती क्योंकि खेत का मालिकाना हक किसी और का होता है। इससे खेती बटाई करने वाले को पूरा नुकसान उठाना पड़ता है। हम शासन से मांग करते हैं कि वे बटाई करने वालों का भी सर्वे कराकर उन्हें मुआवजा राशि वितरित करें, जिससे नुकसान उठाने वाले लोेगों को कम से कम खेती की लागत तो मिल सके। वार्ता में संजय पाल, बृजेश पाठक, कमलेश फाइटर, मोहम्मद असलम आदि उपस्थित थे।