यूपी चुनाव - राजनाथ नहीं बनना चाहते बीजेपी का चेहरा, मोदी-शाह के सामने नई मुश्किल
नई दिल्ली, 14 जून 2016 (IMNB). बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी
बैठक के साथ यूपी चुनाव के शंखनाद से चुनाव को लेकर बीजेपी के पक्ष में जो
माहौल बनाना शुरू हुआ है, उसके फीडबैक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह संतुष्ट हैं. लेकिन दोनों नेताओं के सामने समस्या
ये आ रही है कि बीजेपी में यूपी के सबसे बड़े चेहरे राजनाथ सिंह इस चुनाव
में पार्टी का चेहरा नहीं बनना चाहते.
पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को
लगता है कि यूपी की वर्तमान राजनीति में राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और
मायावती के समकक्ष नेता हैं. फिलहाल केंद्र सरकार में गृहमंत्री होने के
साथ-साथ सरकार में नंबर 2 की पोजिशन पर भी हैं. मायावती और मुलायम सिंह
यादव की तुलना में राजनाथ सिंह एक बेदाग छवि के नेता हैं जिन पर कभी भी कोई
आरोप नहीं लगा.
14 साल से केंद्र में सक्रिय हैं राजनाथ-
राजनाथ सिंह ने पार्टी को क्लियर कर दिया है कि वो यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते. पार्टी यूपी में जहां प्रचार करने को कहेगी वो प्रचार करेंगे. पार्टी ने गेंद उनके पाले में डाल दी है कि उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया जाए और वे यूपी में धुंआधार प्रचार करें. राजनाथ सिंह का मनाना है कि वो यूपी की राजनीति से बाहर निकल गए हैं और पिछले 14 साल से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं.
राजनाथ सिंह ने पार्टी को क्लियर कर दिया है कि वो यूपी चुनाव में बीजेपी का चेहरा नहीं बनना चाहते. पार्टी यूपी में जहां प्रचार करने को कहेगी वो प्रचार करेंगे. पार्टी ने गेंद उनके पाले में डाल दी है कि उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया जाए और वे यूपी में धुंआधार प्रचार करें. राजनाथ सिंह का मनाना है कि वो यूपी की राजनीति से बाहर निकल गए हैं और पिछले 14 साल से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं.
यूपी में जातिगत वोट बैंक है जीत का आधार-
राजनाथ सिंह के करीबियों का मानना है यूपी में आज भी जातिगत राजनीति चलती है. मायावती और मुलायम सिंह दोनों यूपी की जिन दो बड़ी जातियों की राजनीति करते हैं उनका अपना एक विशेष वोट बैंक है. राजनाथ सिंह जिस जाति से आते हैं उसका वोट प्रतिशत उन दोनों जातियों जितना नहीं है. पिछले दो चुनावो में ये बात साबित हुई है कि इन दोनों नेताओं में से जिसके साथ मुस्लिम और ब्राह्मण चला गया उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. राजनाथ सिंह ये जानते हैं कि यूपी की जातिगत राजनीति में उनकी जाति बहुत ज्यादा फिट नहीं बैठती है. एक कारण ये भी है कि 2014 में मोदी लहर में यूपी से 71 सांसद जीत कर आए थे. अभी तक जमीन पर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं बन पाई है जो बननी चाहिए थी.
राजनाथ सिंह के करीबियों का मानना है यूपी में आज भी जातिगत राजनीति चलती है. मायावती और मुलायम सिंह दोनों यूपी की जिन दो बड़ी जातियों की राजनीति करते हैं उनका अपना एक विशेष वोट बैंक है. राजनाथ सिंह जिस जाति से आते हैं उसका वोट प्रतिशत उन दोनों जातियों जितना नहीं है. पिछले दो चुनावो में ये बात साबित हुई है कि इन दोनों नेताओं में से जिसके साथ मुस्लिम और ब्राह्मण चला गया उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. राजनाथ सिंह ये जानते हैं कि यूपी की जातिगत राजनीति में उनकी जाति बहुत ज्यादा फिट नहीं बैठती है. एक कारण ये भी है कि 2014 में मोदी लहर में यूपी से 71 सांसद जीत कर आए थे. अभी तक जमीन पर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं बन पाई है जो बननी चाहिए थी.
वरुण गांधी को लेकर भी चिंता में है बीजेपी-
कार्यकारणी की बैठक के समय पुरे इलाहबाद में जिस तरह से वरुण गांधी ने पोस्टर लगा कर अपनी लोकप्रियता दिखाते हुए पार्टी नेतृव को ये जताने को कोशिश की कि वह सीएम पद के उम्मीदवार हैं, उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के बीजेपी सांसदों की बैठक में साफ-साफ कह दिया कि सीएम पद को लेकर बयानबाजी बंद होनी चाहिए.
कार्यकारणी की बैठक के समय पुरे इलाहबाद में जिस तरह से वरुण गांधी ने पोस्टर लगा कर अपनी लोकप्रियता दिखाते हुए पार्टी नेतृव को ये जताने को कोशिश की कि वह सीएम पद के उम्मीदवार हैं, उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के बीजेपी सांसदों की बैठक में साफ-साफ कह दिया कि सीएम पद को लेकर बयानबाजी बंद होनी चाहिए.