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लाइफ लाइन हास्पिटल के विरूद्ध सड़क पर उतरी जनता, किया आंदोलन का आगाज़

आजमगढ़. जिले के पत्रकार एवं समाज का अन्‍य बौद्धिक वर्ग संयुक्‍त रूप से इन दिनों एक अभूतपूर्व सरोकारी लड़ाई लड़ रहे हैं. एक अस्पताल की गुंडागर्दी और लूट-खसोट के खिलाफ पत्रकार सड़क पर उतर आए हैं. एक अस्पताल ने अपने रसूख के बल पर कुछ पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया है, इससे पत्रकारों की नाराजगी बढ़ गई है.



कई पत्रकार संगठनों, सामाजिक संगठनों, छात्र संघों और समाज के बौद्धिक वर्ग के लोगों ने आज आईएमए और लाइफ लाइन हास्पिटल के विरूद्ध सड़क पर उतर जन आंदोलन का आगाज़ कर दिया, जिसका कारण बना आईएमए और लाइफ हास्पिटल द्वारा पत्रकार और सामाजिक संगठनों के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण तरीके से एफआईआर दर्ज कराना और अपने रसूख के बल पर आम जनता की आवाज़ दबाने की कोशिश करना. 



गौरतलब है कि भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 को लेकर जारी एडवाजरी को दरकिनार करते हुए लाइफ लाइन हास्पिटल द्वारा आम जनता के जीवन के साथ निरंतर खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसे में अस्पताल के विरुद्ध मानकों और नियमों की जांच का आदेश जिला प्रशासन और आयुक्त द्वारा दिया जा चुका है, जांच में फंसते हुए देख लाइफ लाइन हास्पिटल आईएमए को आगे कर जांच को दबाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है, और निजी चिकित्सा सेवा ठप कर देने की धमकी दे रहा है.जो स्पष्ट रूप से विधि विरुद्ध और समाज के विरुद्ध है. इसी गंभीर प्रकरण के मद्देनजर आज जर्नलिस्ट क्लब, आजमगढ़ जर्नलिस्ट फेडरेशन, गांधीगिरी परिवर्तन सेवा संस्थान, सारथी सेवा संस्थान, एवं छात्र संघों के लोगों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरुद्ध खतरा बताया. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर मांग किया कि हमारी आवाज को दबाने के लिए सिस्टम और सरकारी तंत्र का प्रयोग किया जा रहा. आईएमए अपने सदस्य अस्पतालों के मानकों को छिपाने और जांच को प्रभावित करने के लिए वीडियो जारी कर दबाव बना रहा है. यही नहीं आवाज उठाने वाले के विरुद्ध धमकी और मुकदमे में फंसाया जा रहा है. 


जर्नलिस्ट क्लब के अध्यक्ष ने बताया कि हमने जिला प्रशासन से मांग की है कि लाइफ लाइन हास्पिटल की जांच जल्दी पूरी की जाए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी लोग इस मुद्दे को लेकर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर, जनपद के मानक विहीन संचालित अस्पतालों की जांच की अपील कर दोषी डाक्टरों और सीएमओ समेत संबंधित सरकारी महकमों पर कार्रवाई की मांग करने वाले है. जगजाहिर है कि मानकों पर खरा ना होने के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा हरी झंडी देकर आमजन के जीवन के साथ निरंतर खिलवाड़ किया जा रहा है.


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