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पुलिसकर्मियों ने किया दैनिक मजदूरों को खाने का वितरण

कानपुर. पूरे विश्व में खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस ने कानपुर में भी दस्तक दे दी है। इस वायरस को लेकर कितना खौफ है यह कानपुर में मंगलवार को स्पष्ट दिखाई दिया। प्रशासन द्वारा 11 बजे के बाद जहां सख्ती बरती गयी वहीं ज्‍यादातर लोग भी अपने घरों से नहीं निकले। इस बीच शहर में खासतौर पर घंटाघर से परेड, बडा चौराहा, बिराहना रोड, नया गंज का इलाका जो थोक और बडी बाजार के रूप में जाना जाता है वहां लाॅकडाउन के कारण सभी प्रतिष्ठान बंद हैं, ऐसे में रोजाना काम करने वालों के सामने रहने और खाने की बडी समस्या उत्पन्न हो गयी है। मेस्टन रोड पर पुलिस द्वारा ऐसे लोगों को भोजन का वितरण किया गया।




शहर में लाॅकडाउन होने के कारण बाजार, दुकाने बंद हैं और हजारों लोगों से काम छिन गया है और अब इनके सामने रहने तथा खाने की समस्या खडी हो गयी है। दूसरे शहरों या गांवों से शहर आकर रोजी-रोटी कमाने वाले रोजमर्रा के मजदूर, पल्लेदारों की शहर में काफी तादात है। अब दुकाने बंद होने के कारण यह सभी बंद दुकानों के बाहर समय गुजार रहे हैं। मंगलवार को मेस्टनरोड की फुटपाथ पर सैकडों इस प्रकार के लोग दिखायी दिये, कोई सो रहा था, कोई लेटा था तो कोई बातें कर रहा था। तभी वहां दो पुलिसकर्मी पहुंचे और पैकटों में खाना बांटना शुरू कर दिया। पूछने पर पुलिसकर्मियों ने बताया कि यह पुलिस की तरफ से की गयी व्यवस्था है किसी एक का काम नहीं है, हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन बेसहारा लोगों तक खाना पहुंचाये। 


संकट में रह रहे सडकों पर लोग जिन लोगों के घर नहीं है, जो लोग मजदूरी, पल्लेदारी, कूडा बीनने, पानी भरने आदि कामों को कर रोज कुछ पैसा कमाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं, उन लोगों पर बडा संकट है। हालांकि उन्हें खाना मुहैया कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन को ऐसे लोगों का विशेष ध्यान रखना होगा, यह लोग दर्जनाें की तादात में एक ही स्थान पर पडे हैं जो खतरनाक हो सकता है। यदि इन्हें किसी अस्थायी कैंप में रखा जाये तो ऐसे में इन्हें खाना तो दिया ही जा सकता है साथ ही इन्हें किसी प्रकार के संक्रमण से भी बचाया जा सकता है।
 

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