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‘अलादीन-नाम तो सुना होगा’ में आ चुका है जफ़र का अंत


बगदाद में आखिरकार राहत के संकेत मिले हैं क्योंकि जफ़र (आमिर दल्वी) का सच सबके सामने आ चुका है। अलादीन (सिद्धार्थ निगम) और जिनू (राशूल टंडन) के आखिरकार अपने परिवार से मिलने के साथ, हर किसी के बीच खुशियों की लहर है। लेकिन सबकुछ ठीक नहीं है, क्यों कि नई शैतान मल्लिका के साथ अलादीन की जिंदगी में एक और ज्वालामुखी फूटने वाला है। मल्लिका उसके जीवन में एक नई चुनौती खड़ी करने को तैयार है।


अम्मी (स्मिता बंसल) जफ़र को मारने की बजाय उसे आजीवन कैद में रखने की सलाह देती है, उसकी बहन जहर, जफ़र को आजाद कराने के अपने मकसद में कामयाब हो जाती है और पारा हासिल कर लेती है। इसकी वजह से मल्लिका को जिंदगी मिल जायेगी। उनका मकसद है कि वह पारा को ज्वालामुखी में डाल देंगे, जिससे अंत में मल्लिका के आने का रास्ता खुल जायेगा। इसी बीच, अलादीन और उसके साथियों को जब जफ़र और जहर की अगली चाल का पता चलता है तो वह उन्हें रोकने के लिये उनके पीछे भागते हैं ताकि भारी तबाही ना हो।


भाग-भागकर परेशान हो चुका जफ़र, अपने हाथों में पारा लेकर ज्वाालामुखी में कूदने का फैसला करता है। हर किसी के लिये यह बुरे सपने की तरह होने वाला है क्योंकि मल्लिका के लिये आखिरकार द्वार खुल चुका है। एक शैतानी ताकत जफ़र मार चुका है, लेकिन वहीं दूसरी ताकत बगदाद में तबाही मचाने के लिये आने वाली है।


जफ़र की भूमिका निभा रहे आमिर दल्वी ने कहा, ‘’जफ़र की आखिरकार मौत हो चुकी है और अलादीन और उसका परिवार जीत का जश्‍न मना रहा है। इस बारे में उन्हें  बिलकुल भी पता नहीं है कि जिस तूफान को उन्होंने रोकने की कोशिश की थी वह उनकी जिंदगी में दाखिल होने वाला है। एक शक्तिशाली खलनायिका मल्लिका आ चुकी है और वह किसी को नहीं छोड़ेगी। जफ़र का किरदार मेरे लिये काफी खास रहा है, लेकिन अब यह अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुका है। जफ़र का किरदार निभाने में मुझे बहुत मजा आया और दर्शकों ने इस किरदार को जितना प्यापर दिया उससे मैं बहुत ही खुश हूं, भले ही वह एक नेगेटिव किरदार था।‘’


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