Breaking News

सूरत से कुछ तो सबक ले कानपुर, कहीं जिंदगी पर भारी न पड़ जाए ये अनदेखी

कानपुर 25 मई 2019 (सूरज वर्मा). सूरत के तक्षशिला काम्‍प्‍लेक्‍स में लगी आग में 23 बच्चाें की माैत के बाद कानपुर में भी काेचिंग क्लासेस की सुरक्षा काे लेकर सवाल उठने लगे हैं। आग से सुरक्षा के मानकों को पूरा नहीं करने पर शहर की कई इमारतों को पहले भी नोटिस दिया जा चुका है। इनमें कोचिंग के अलावा होटल, रेस्टोरेंट और व्यवसायिक केंद्र शामिल हैं।


बताते चलें कि शहर के व्यस्त और पॉश इलाकों में दर्जनों कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। छात्रों के आवागमन की सुविधा के चलते यह उन इमारतों में खोले गए हैं जो मुख्य सड़कों से लगी हुई हैं, वहां तक वाहनों का आवागमन हरदम रहता है। कई कोचिंग सेंटर इमारतों की दूसरी या तीसरी मंजिल पर हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसी कोचिंग हैं, जिनमें अग्निकांड की स्थिति में सुरक्षित बाहर निकलने का वैकल्पिक रास्ता नहीं है। आग लगने की स्थिति में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।


विदित हो कि शहर की काकादेव कोचिंग मण्डी से हर साल सैकड़ों इंजीनियरिंग और मेडिकल के स्टूडेंट पढ़कर निकलते हैं। यहां पर शहर समेत अन्य जिलों से भी स्टूडेंट कोचिंग पढ़ने पहुंचते हैं। पेरेंट्स फीस की मोटी रकम जमा कर बच्चों का कोचिंग में दाखिला करवाते हैं, ताकि वे सुरक्षित पढ़ाई कर सकें। लेकिन उन पेरेंट्स को शायद इस बात का जरा सा भी अहसास नहीं है कि कोचिंग मण्डी में ज्यादातर कोचिंग असुरक्षित हैं। वहां पर बच्चों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। उनको ऐसी जगह पढ़ाया जाता है, जहां पर आगजनी के हादसों से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में अगर वहां आग लग जाए, तो कोई भी बड़ी अनहोनी हो सकती है। गर्मी में तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। काकादेव में डेढ़ दशक पहले गिनती की चंद कोचिंग थीं, लेकिन सालाना करोड़ों रुपए का मुनाफा देखकर इसमें जबरदस्त बूम आ गया। अब काकादेव में सैकड़ों कोचिंग हैं। इस इलाके को कोचिंग मण्डी कहा जाने लगा है। लेकिन कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को छोड़कर ज्यादातर में आग से बचने का कोई इंतजाम नहीं है। हालांकि कागजों में सभी कोचिंग संचालकों की तरफ से मानक तकरीबन पूरे हैं। लेकिन अगर यहां पर फायर टीम छापा मारे, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।


काकादेव कोचिंग मंडी में जमीन की कीमत सोने से भी ज्यादा है। इसलिए वहां पर बमुश्किल ही आपको खाली जगह मिलेगी। इसीलिए यहां मानकों को ताक पर रखकर कोचिंग लगाई जा रही हैं। कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की बिल्डिंग में नियम के मुताबिक चारों तरफ ओपन स्पेस नहीं छोड़ा गया है। ऐसे में आग लगने पर बड़ी अनहोनी हो सकती है। कई कोचिंग में तो स्टूडेंट्स के खड़े होने की जगह भी नहीं है। अग्निशमन विभाग के मुताबिक फायर ब्रिगेड की गाडि़यों के अंदर जाने के लिए ओपन एरिया जरुरी होता है। काकादेव में एक-एक कोचिंग में सैकड़ों स्टूडेंट पढ़ते हैं। वे एक साथ हॉल में पढ़ते हैं। ऐसे में आग लगने की स्थिति में वहां धुआं भर सकता है। जिससे स्टूडेंट का दम घुट सकता है। इसके बाद भी कोचिंग मण्डी में धुएं के फैलाव को रोकने का इंतजाम नहीं किया गया है और न ही बिल्डिंग में वेंटीलेशन की व्यवस्था की गई है। अगर बिल्डिंग में आग से बचने के उपकरण लगाए जाते है। तो इन उपकरण को लगाने में करीब ढाई लाख रुपए का खर्चा आता है, लेकिन बिल्डिंग मालिक इस रकम को बचाने के लिए इसकी अनदेखी करते हैं। यहां बड़ी संख्या में ऐसी कोचिंग हैं, जिनमें अग्निकांड की स्थिति में सुरक्षित बाहर निकलने का वैकल्पिक रास्ता नहीं है। आग लगने की स्थिति में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।




कोई टिप्पणी नहीं