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असलहों का शौक बना पुलिस के लिए सिरदर्द, जमा करवाने में छूट रहा पसीना

कानपुर 12 अप्रैल 2019 (सूरज वर्मा). शौक दूसरों का, सिरदर्द पुलिस का. आजकल रायफल, पिस्टल, रिवाल्वर और बंदूक रखना किसी की जरूरत है तो किसी का शौक। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सभी लाइसेंसी असलहे थाना और दुकान में जमा होते हैं, लेकिन इस बार नियम का पालन कराने में पुलिस को पसीना छूट रहा है।

 
कानपुर जिले में 32 हजार लाइसेंसी असलहे हैं -
पुलिस के मुताबिक, जिले में कुल 32 हजार लाइसेंसी असलहे हैं। इसमें से महज 50 फीसद यानी 75 हजार के करीब ही जमा हुए हैं। कुछ लाइसेंसधारी जान को खतरा बताते हुए नहीं जमा कर रहे हैं तो कुछ घर पर नहीं मिलते हैं। खतरा बताने वाले शख्स किसी तरह का आवेदन भी जिला निर्वाचन कार्यालय में नहीं जमा कर रहे हैं। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने भी कड़ा रुख अपनाया था। इसके बाद भी लाइसेंसधारियों पर सख्ती का असर नहीं दिख रहा है। एक तरह से असलहा जमा कराना अब पुलिसकर्मियों के लिए सिरदर्द बन गया है।


पुलिस ने असलहा जमा न करने वालों को चेतावनी दी -
हाल ही में एसएसपी ने असलहों की समीक्षा की तो पाया कि कानपुर असलहा जमा कराने के मामले में रेंज में सबसे पीछे है। इस पर उन्होंने मातहतों को फटकार भी लगाई थी। इसके बाद सभी थानों की पुलिस ने असलहा जमा न करने वालों को चेतावनी दी, जिस पर आंकड़ा अब 50 फीसद पहुंच गया है। हालांकि अभी 8537 ने बंदूक रायफल, पिस्टल जैसे दूसरे असलहों को जमा नहीं किया है। इसमें सिविल लाइंस के कारोबारी भी हैं। कहा जा रहा है कि कारोबारियों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए असलहा नहीं जमा करने की बात कही है। 


यहां विचारणीय तथ्‍य ये है कि ज्‍यादातर क्राइम के मामलों में अपराधियों द्वारा अवैध असलहों का इस्‍तेमाल किया जाता है और चुनाव में भी इनके बहुतायत में इस्‍तेमाल किये जाने की आशंका है। विदित हो कि प्रदेश में अवैध असलहों का नेटवर्क बेहद शातिराना अंदाज में प्रोफेशनल तरीके से चलाया जा रहा है, पर पुलिस इस पर कतई ध्‍यान नहीं दे रही है।


 


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