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सफाई कम्पनी पीपल्स के तुगलकी फरमान की चपेट में आकर 48 घरों के चूल्हे पड़ सकते है ठंडे

कानपुर 02 जनवरी 2019 (मोहम्‍मद नदीम). निजी कंपनियों के सरकारी विभागों में पैर जमा लेने से प्राइवेट कर्मचारियों को दो वक़्त की रोटी कमाने के लाले पड़े हुए हैं। पहले कम्पनी ठेकेदार कर्मचारियों की आधी सैलरी डकार जाते थे फिर कमीशन मांगने लगे और अब पुराने कर्मचारियों को तुगलकी फरमान जारी कर निकालने की कोशिश की जाने लगी है। 


सूत्रों के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि कम्पनी घाटे में चल रही है जब कि खेल कुछ और ही होता है। ऐसा ही एक मामला छावनी बोर्ड में भी देखने को मिल रहा है, बोर्ड के अंर्तगत आने वाले 6 वार्डो का ठेका लिए पीपल्स नामक कम्पनी ने पिछले 15 वर्षों से बोर्ड को सेवाएं दे रहे 48 सफाई कर्मचारियों को निकालने का मन बना लिया है, जिसमें कुछ महिलाएं भी हैं। 

कर्मचारियों का कहना है उन्हें ये कहकर निकाला जा रहा है कि कम्पनी घाटे में चल रही है। अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष धर्मेंद्र सेठ का कहना है कम्पनी ठेकेदार उन पर ये कहकर दबाव बना रहे हैं कि कम्पनी घाटे में चल रही है इसलिए प्रत्येक वार्ड से 6 कर्मचारियों को निकाला जा रहा है। जिससे कम्पनी को प्रत्येक माह होने वाले 8 लाख के घाटे की भरपाई हो सके। धर्मेंद्र सेठ का कहना है अगर इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा तो ये किसके सहारे अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे। प्राइवेट कम्पनियां लाखों कमाकर भी हमेशा रोती रहती हैं। 

अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के महासचिव मनोज पहलवान का कहना है कि पिछले 15 वर्षो से काबिज सफाई कंपनी को छावनी बोर्ड प्रत्येक माह सफाई के लिए 68 लाख का भुगतान करता है। सफाई करने वाली टीम में 210 कर्मचारी कार्यरत है जिसमें सुपर वाइजर भी शामिल है। कम्पनी का कर्मचारियों पर प्रत्येक माह 25 लाख भी नहीं बंटता है फिर क्यों फर्जी घाटा दिखाकर कम्पनी कर्मचारियों को निकाल रही है। 

वहीं संगठन अध्यक्ष धर्मेद्र का कहना है अगर कम्पनी किसी एक को भी निकालती है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, मैं अपने भाइयों के लिए कोई भी लड़ाई लड़ने को तैयार हूं, कम्पनी की तानाशाही कतई बर्दाश्त ना कि जाएगी। निकाले जा रहे सफाई कर्मचारियों का आरोप है की कम्पनी द्वारा काबिज किए गए डमी ठेकेदार गौरव एवं बोर्ड अधिकारियों की मिलीभगत से हमें बाहर का रास्ता दिखाने का षडयंत्र रचा जा रहा है। ठेकेदार 50 से 60 हजार लेकर नए कर्मचारियों की गुपचुप भर्ती कर रहे हैं अभी हाल में 5 से 6 कर्मचारियों की भर्ती की गई है उन्हें क्यों नहीं हटाया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है अगर बोर्ड अधिकारी बीच में पड़कर इस मामले को नहीं निपटाते हैं तो सभी सफाई कर्मचारी अखिल भारतीय सफाई संघ के बैनर तले भूख हड़ताल करने पर मजबूर होंगे ।