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कानाफूसी – दरोगा जी तो गन्‍ना हैं, बदमाशों के अन्‍ना हैं

कानाफूसी 17 दिसम्‍बर 2018. देखो भाई दूसरे के फटे में टांग घुसाने की हमारी आदत तो है नहीं, पर आप इतना जोर दे रहे हो तो बताये देते हैं। एक हैं बड़े दरोगा जी, उनकी अदा ही निराली है। ये जनाब भर्ती तो सिपाही हुये थे पर अपनी गुड़, गन्‍ना, शक्‍कर वाली खास स्‍टाइल के चलते प्रमोशन पा कर पहले एचसीपी बने, अब दरोगा बन गये हैं। इनकी सरपरस्‍ती में इलाके भर के तमाम अवैध धन्‍धे भली प्रकार फल फूल रहे हैं।


काले कउवे की माने तो इलाके के सभी अपराधी प्रसन्‍न हैं और काला बाजारी इन दरोगा जी के गुणगान करते नहीं थकते हैं। कोई भी समझदार आदमी दराेगा जी की बुराई करता आपको नहीं मिलेगा। दो चार ईमानदार टाइप असंतुष्‍ट बकलोलों को छोड़ कर पूरा इलाका मानो स्‍वर्ग सरीखा हो गया है। वैसे दरोगा जी हैं बड़े व्‍यवहारी, इनके थाने से कोई भी पत्रकार बगैर चाय नाश्‍ते किये और नियमानुसार विदा विदाई लिये जा नहीं सकता है। इसलिये मीडिया भी कभी इनकी बुराई नहीं छापता है। पर बीते दिनों दरोगा जी के इलाके में एक पत्रकार के साथ कुछ 'सभ्रान्‍त व्‍यापारी' लोगो ने मारपीट कर दी। अब दरोगा जी धर्मसंकट में फंस गये कि अन्‍नदाता का साथ दें या पत्रकारों की बात सुनें। फिर दरोगा जी ने अपनी खास गुड़, गन्‍ना और शक्‍कर स्‍टाइल में पत्रकारों को प्रेम से गुड़ खिलाया, सभ्रान्‍त व्‍यापारियों को गन्‍ने की तरह निचोड़ा और प्‍यार से मामला निपटाते हुये थोड़ी शक्‍क्‍र जेब में भर ली। अब चाहे जैसे निपटा हो, पर मामला प्रेम व्‍यवहार से निपट गया। खैर हमें इस सबसे क्‍या ?  हमें दूसरे के फटे में टांग घुसाने की आदत तो है नहीं, पर आप इतना जोर दे रहे थे तो हमने बता दिया। जय राम जी की...