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प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय यादवपुर में आयोजित हुआ तरंग बाल महोत्सव

बहराइच 27 नवम्बर 2018 ( ब्यूरो). परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को आनन्दमयी शिक्षा प्रदान करने, बच्चों में तकनीकी कौशल विकसित करने एवं शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करने के उद्देश्य से विकास खण्ड तेजवापुर अन्तर्गत प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय यादवपुर परिसर में पिरामल फाउण्डेशन के सहयोग से बाल मेले का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ मुख्य अतिथि जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने माॅ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। 


इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी राहुल पाण्डेय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एस.के. तिवारी, तहसीलदार महसी राजेश कुमार वर्मा, जनपद के समस्त खण्ड शिक्षा अधिकारी, एबीआरसी, डिमासट्रेशन के लिए चयनित सभी 225 विद्यालयों के प्रधान शिक्षक व अभिभावक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। बाल मेले में बच्चों द्वारा ग्लोबल वार्मिंग सोलर सिस्टम, टीएलएम आधारित कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, स्पाइडरमैन, कागज़ के आभूषण, विविध प्रकार के जीवन चक्र की झांकियाॅ, कम्प्यूटर से सम्बन्धित खेल, ई.वी.एम. का माॅडल, स्वच्छता का संदेश देने वाले माडल, जलीय, पर्वतीय एवं जंगली जीव जन्तुओं के दृश्य, टेलीफोन बनाने का प्रोजेक्ट एवं विज्ञान तथा गणित पर आधारित स्टाल लगाये गये। यादवपुर विद्यालय परिसर में आयोजित बाल मेले में लगाये गये सभी स्टालों का जिलाधिकारी ने अन्य अधिकारियों के साथ अवलोकन करते हुए बच्चों एवं उनके शिक्षकों द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की। 

उन्होंने सफल आयोजन के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनकी टीम तथा विद्यालय स्टाफ की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन सभी विद्यालयों में किये जायें इससे बच्चों की जिज्ञासु प्रवृत्ति सुरक्षित रहेगी। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने बच्चों को पढ़ने लिखने की सहायक सामग्री का वितरण किया। उल्लेखनीय है कि जनपद में तरंग नामक इस बाल मेले का आयोजन जनपद के सभी 225 डिमांसट्रेशन विद्यालयों में किया जायेगा। इसके लिए लगभग 01 माह तक बाल महोत्सव का सिलसिला चलता रहेगा ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इस प्रकार की नवीन अनुभूतियाॅ पाने का अवसर प्राप्त हो। नीति आयोग के निर्देशानुसार आकांक्षात्मक जनपद बहराइच के प्रत्येक ब्लाक में 15 डिमांस्ट्रेशन विद्यालय विकसित किये जाने हैं। जिसमें बाल मेला, बाल संवाद, सक्रिय/क्रियात्मक पुस्तकालय, सामुदायिक बाल सभा व बालवाटिका के माध्यम से बच्चों में स्कोलास्टिक व गैर स्कोलास्टिक गुणों जैसे अपने व्यवहार पर सोचना, मुश्किलों को सहन करना, आत्मविश्वास को बढ़ाना, भावनाओं को समझना, दैनिक जीवन में सौंदर्य एवं आनन्द को तलाश करने के हुनर को विकसित किया जाना है।