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आए दिन एक नया कारनामा दिखाती है लखनऊ के थाना मडियांव की पुलिस

लखनऊ 17 सितम्‍बर 2018 (हिमांशु त्रिवेदी). राजधानी लखनऊ में गुंडागर्दी मारपीट लूट के मामले रोज का नियम हैं परंतु हद तो तब हो गयी जब 1 दिन में एक थाने में 3 मुकदमे एक व्यक्ति के नाम लिखे गये पर इसके बावजूद भी थाना इंचार्ज महोदय उस व्यक्ति को गिरफ्तार करना उचित नहीं समझते। क्या इसी तरीके से महिलाओं और जनता की रक्षा करेगी योगी सरकार।


बताते चलें कि राजधानी में एक पत्रकार के भाई के ऊपर जानलेवा हमला हुआ था उसके अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। पत्रकार दर-दर की ठोकरें खा रहा है, उसका भाई तो मर गया लेकिन हमारे कानून और हमारी सरकार की आंखें अभी भी नहीं खुलीं। बताते चलें कि राजधानी के थाना मड़ियांव के अंतर्गत 24 घंटे में 3 मुकदमे कौशल पांडे के नाम से दर्ज हुये, परंतु थाना इंचार्ज महोदय उस को हिरासत में लेना उचित नहीं समझते। कल शाम तकरीबन 8:00 बजे सभासद के प्रतिनिधि के ऊपर कौशल पांडे नामक व्यक्ति ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर जानलेवा हमला किया था, जिसका मुकदमा मड़ियांव में दर्ज है। 24 घंटे भी नहीं बीते कि आज थाने के ठीक सामने 20 मीटर की दूरी पर सूर्यकांत मिश्रा पिता किशन चंद्र मिश्रा उम्र तकरीबन 23 साल हॉस्टल से खाना खाने के लिए मड़ियांव स्थित लंबू ढाबा पर जा रहे थे अचानक पीछे से थाने के गेट के ठीक सामने कौशल पांडे ने इसकी बाइक में ठोकर मार दी तत्पश्चात गाली गलौज करते हुए लोहे की रॉड निकाल कर मारना शुरू कर दि‍या, सूर्यकांत मिश्रा के साथ में मौजूद प्रतीक अवस्थी को भी मारा गया।

कौशल पांडे, राघव सिंह, चेतन सिंह एवं उनके अन्य सात से आठ साथियों ने मिलकर पीडित को मारा और फरार हो गए। उसी समय  साथी  प्रतीक ने डायल 100  को सूचना दी, परंतु  डायल 100 अगले 30 मिनट  तक  इनके पास नहीं पहुंची। चौराहे पर स्थित कुछ लोगों ने सूर्यकांत एवं उनके साथी प्रतीक को ताड़ी खाना स्थित हाईवे हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया। जब घरवालों को सूचना दी गई तो उन्होंने सूर्यकांत के भाई गुरु को हाईवे हॉस्पिटल भेजा। आरोपों की माने तो गुरु ने थाना इंचार्ज महोदय को फोन किया था, उनको घटना की पूरी जानकारी दी, फिर भी थाना इंचार्ज महोदय आधा घंटे तक हाईवे हॉस्पिटल नहीं पहुंचे। जो कि थाने से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है। क्षेत्र में वायरल हो रही कहानियों को सच माने तो थानाध्‍यक्ष का एक अपराधी को इस प्रकार संरक्षण देना कुछ और ही कहानी बताता है।