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दस दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का हुआ समापन

कानपुर 08 सितम्‍बर 2018. कानपुर विद्या मंदिर महिला पी.जी महाविद्यालय स्वरूपनगर में आज भाषा विभाग उत्तर प्रदेश के नियंत्रणाधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित दस दिवसीय निःशुल्क सरल संस्कृत संभाषण शिविर का समापन हुआ। दीपप्रज्वलन, अतिथि स्वागत के पश्चात छात्रा खुशी एवं अंशिका ने संस्कृत नृत्य नाटिका गणेश वंदना, संस्कृत गीत, संस्कृत-संभाषण एवं इस शिविर के अनुभव प्रस्तुत किये।


छात्राओं ने फोन पर भी संस्कृत में बात करके बताया कि संस्कृत कठिन नहीं सरल है। मुख्य अतिथि डॉ सरस्वती अग्रवाल (राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित) ने कहा कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है अतएव इसका संरक्षण आवश्यक है और इस संरक्षण में उत्तर प्रदेश की यह योजना पूर्णतः  सफलीभूत दृष्टिगोचर हो रही है। जिस संस्कृत  विषय को कठिन माना जाता है वही संस्कृत इस पाठ्यक्रम के माध्यम से सरलता से सीख पा रहे हैं। 

उन्‍होंने बताया कि आज मोबाइल पर संस्कृत में बात करते हुये देखकर गर्व का अनुभव करती हूँ। जिस भाषा को ऋषि मुनियों ने संजोया है वह हमारे पास अमूल्य धरोहर की तरह है, हमें इस धरोहर की रक्षा करनी चाहिये। इस अनुपम निधि भाषा के वैज्ञानिकता का आधार हमारे महर्षि है। संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ मनोरमा गुप्ता ने कहा हमारे धर्मग्रन्थ वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण सभी संस्कृत में हैं। अतः इसे जानने के लिये संस्कृत आवश्यक है। अतः मैं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की इस योजना की प्रशंसा करती हूँ। 

डॉ निरुपमा त्रिपाठी  ने कहा कि संस्कृत बोलने से भाषा स्पष्ट होती है, विदेशों में  भी यह माना जा रहा है। लंदन के विद्यालय में संस्कत भाषा अनिवार्य रुप  से पढायी जा रही है। मेरा मानना है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को इस योजना से लाभ हो सकता है। कार्यक्रम की संचालिका व प्रशिक्षिका डॉ संध्या ठाकुर ने कहा कि भारत की सभ्यता व  संस्कृति के ज्ञान के लिये संस्कृत बहुत ही आवश्यक है। कार्यक्रम में डॉ सरस्वती राय, डॉ मृदुला शुक्ला, मानवी, खुशी, अंशिका, साक्षी आदि उपस्थित रहीं |