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अल्हागंज में खुलेआम चल रहा है सट्टे का कारोबार

शाहजहांपुर 27 अगस्त 2018 (प्रिंस सक्सेना/अम्बुज शुक्ला). नगर के हर गली मोहल्ले और बाजार में एक बार फिर खुलेआम सट्टे का कारोबार चल निकला है। पहले कभी कभार पुलिस दो-चार छोटे एजेंट को पकड़ कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।  अब सट्टेबाजों के कारनामों को जानने के बाद भी स्थानीय पुलिस और आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं, यही वजह है कि यह कारोबार पुनः फल फूल रहा है।


सूत्रों की माने तो पूरे अल्हागंज नगर को सट्टे ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब खुलेआम सट्टा खेल रहे हैं और उनमें पुलिस का भी कोई डर नहीं नजर आता है। वहीं पुलिस भी इस पूरे मामले पर अपनी आंखें मूंदे हुए है। नगर की तंग गलियों में काफी लोग सट्टे के धंधे में लगे हुए हैं। हालात देखकर लगता है कि इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं पुलिस विभाग की भी मिलीभगत है।
हैरानी की बात है कि नगर के कुछ कथित कारोबारी खुलेआम सट्टे का ठीआ संचालित कर लोगों के मेहनत की कमाई लूट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खुद को जेंटलमैन बताकर समाजसेवी का चोला भी ओढ़े हुए हैं। लेकिन पुलिस कोई कारवाई नहीं करती दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि नगर में रोजना लाखों रुपए का सट्टा खेला जा रहा है। इलाकाई लोगो को कहना है कि नगर  में धड़ल्ले से चल रहे इस कारोबार को इलाके के चंद सफेदपोश नेताओं, कुछ तथाकथित पत्रकारों, कुछ वकीलों और चंद स्‍थानीय पुलिसकर्मियों का खुला संरक्षण प्राप्त है।

सूत्रों की माने तो अल्हागंज नगर में ही इस अवैध कारोबार से प्रतिदिन लाखों का हेरफेर होता है, जबकि आसपास के अन्य क्षेत्रों से भी भारी मात्रा में अवैध कमाई इस कारोबार से की जा रही है। जानकारों की मानें तो सट्टा व्यापार के लालच में फंसकर कई लोग यहां अपनी किस्मत आजमाते हैं। बाद में इसमें फंसकर अपना सब कुछ भी गवां बैठते हैं। पुलिस इस अवैध कारोबार में लिप्त लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, कार्यवाही न होने की वजह से इस गोरखधंधे पर अंकुश नहीं लग पा रहा है और इस अवैध कारोबार में लिप्त गिरोह के लोगों के हौसले बुलंद हैं। नगर में यह कारोबार हनुमान मंदिर तिराहा, सब्ज़ी मंडी, बस स्टॉप, साहबगंज मोड़, कुछ दुकानों एवं कई वार्डो समेत नगर के प्रमुख चौराहों गलियों में संचालित हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक लोग फोन पर अपना नंबर बताते लिखवाते हैं और नंबर आने पर इन्हीं सट्टा खाईवाल एजेंटों के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया जाता है।

सट्टा माफिया हो रहे माला-माल -
सट्टा का यह खेल जीरो से लेकर नौ नंबर तक चलता है और नेट पर एक ही नंबर आता है, जिससे नौ नंबरों का रुपये उन्हें सीधा-सीधा बच जाता है, जिससे खिलाड़ी का वह नंबर फंसता है वह इसमें खुश हो जाता है कि उसे दस के 90 मिल गये, लेकिन अन्य बाकी खिलाडियों के रुपये जिनके नम्बर नहीं फंसते उनका सीधा रुपये सट्टा माफियाओं की जेब में जाता है। धीरे-धीरे यह माफिया साइकिल छोड़ अब अच्छी-अच्छी कारों से चलते नजर आ रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि माफिया मालामाल हो रहे हैं।


पुलिस की नाक के नीचे चल रहा खेल -
सट्टा और जुएं का कारोबार पहले पूरी तरह बंद था। कुछ महीनों पहले कथित रूप से कुछ अधिकारियों ने इस कारोबार को पुन: शुरू करा दिया था। अब इस कारोबार का जाल पूरे नगर में फैल चुका है। ऐसा नहीं है कि पुलिस सट्टे, जुआ के इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगा सकती। कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे भी आए जिन्होंने सट्टे और जुए के कारोबार को पूरी तरह बंद करा दिया था। अब कुछ पुलिस अधिकारियों की शह और  चंद नेताओं की सहमति से नगर में यह कारोबार फिर से फलने फूलने लगा है। सट्टा और जुए का यह कारोबार पुलिस की नाक के नीचे और विभाग की जानकारी में ही फल-फूल रहा है। अब देखना यह है कि इस कारोबार पर फिर पूर्णत: अंकुश लग पाता है या नहीं, या फिर छोटे एजेंटों को पकड़कर बड़े खाईबाजों को बचाने का प्रयास किया जाता है।