बहराइच - शराब की दुकानों पर बर्बाद हो रहा है देश का भविष्य
तेजवापुर 23 जुलाई 2018 (दिनेश कुमार निषाद). वैसे तो हर माता पिता यही चाहते हैं की उनका बच्चा पढ़ लिखकर देश में उनका नाम रोशन
करे, लेकिन हमारे देश में ऐसे बच्चे भी हैं जिनके लिये पढ़ना तो दूर की बात है,
दो वक़्त की रोटी ही मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है।
ऐसे ही बच्चे पेट की आग बुझाने के लिए बाल मजदूरी करने को विवश हैं। बाल मजदूरी के मामले में तेजवापुर के हालात इन दिनों बेहद खराब हैं।
जानकारी के अनुसार जिन बच्चों की उम्र पढ़ने लिखने खेलने कूदने की है, वही
मजबूर बच्चे जनपद बहराइच में रिक्शा खींचते या दूसरे के झूठे बर्तन साफ़ करते जगह जगह नज़र आ जाएंगे।
अभी तक आपने मासूम बच्चों को रिक्शा खींचते या चाय की दुकानों पर काम करते
हुए देखा होगा लेकिन अब बाल मजदूरी शहर की कई दुकानों, आरा मशीनों, प्लास्टिक कारखानों और शराब की दुकानों तक
पहुंच गई है।
बहराइच के तेजवापुर में शराब की दुकान के सामने चाट पकौड़ी, मसाला और पान की दुकानों पर कम उम्र वाले बच्चे नौकरी करते आम देखे जा सकते हैं। यहां इन दुकानों में खुलआम नाबालिग बच्चे काम करते देखे जा
सकते हैं। बच्चों से मजदूरी करवाने की सबसे बड़ी वजह है बच्चों का बड़े
कर्मचारियों के मुकाबले कम पैसों में काम करना, इसी कारण ये बच्चे दुकान मालिकों की पहली पसंद बन चुके हैं।
मजे की बात तो ये है कि बालश्रम उन्मूलन का नारा लगाने वाले श्रम विभाग के
अधिकारियों की नज़र इन बाल मजदूरों पर कभी नहीं
पड़ी या फिर दुकानों में काम करते इन मासूमों को देख कर अनदेखा कर
दिया गया। भला हो हमारे
प्रशासनिक अधिकारियों का, जिनकी अपार कृपा दृष्टि की वजह से ही शायद यहां
बाल मजदूरी का मकड़ जाल फल फूल रहा है। अभी तक यहां के किसी भी दुकान मालिक के
खिलाफ श्रम विभाग के निरीक्षकों ने कोई भी कार्यवाही नहीं की है,
इससे तो यही लगता है की इन दुकानों को सम्बंधित विभाग का पूर्ण संरक्षण
प्राप्त है।
वहीं दूसरी तरफ जिले की कई ऐसी संस्थायें हैं जो गला फाड़कर बाल मजदूरी ख़त्म
करो का नारा लगाती हुई नज़र तो आती हैं लेकिन मासूमों का बचपन बर्बाद कर रहे
समाज के ऊंचे ठेकेदारों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करती नज़र नहीं आती। ऐसी
संस्थाओं का होना ना होने के बराबर है। बहरहाल अगर जल्द ही बाल मजदूरी
रूपी महामारी को ना रोका गया और सरकार ने जल्द ही कोई पुख्ता कदम ना
उठाये तो देश के कई मासूमों का भविष्य किसी अँधेरे कुएं में जाकर खो जायेगा।
बताते चलें कि अभी एक सप्ताह पहले श्रम प्रवर्तन अधिकारी द्वारा चलाए गए बाल श्रम मुक्ति अभियान में शहर के 11 बच्चों को अलग-अलग दुकानों से काम करते हुए पकड़ा गया था, उन्हें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर उनके अभिभावकों को सुपुर्द कर दिया गया था। लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला इस पर निरंतर छापेमारी और निगरानी की आवश्यकता है तभी बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता है।