Breaking News

बीजेपी सरकार के मंत्री को इस डॉन ने थाने के अन्दर मारी थी गोली

कानपुर 18 April 2018 (सूरज वर्मा). के कल्याणपुर इलाके में बीती रात ताबड़तोड़ फायरिंग से दहशत की लहर दौड़ गई. दबंग बदमाशों ने तीन लोगों पर तकरीबन 10 राउंड फायरिंग की और आराम से फरार हो गये। फायरिंग की आवाज सुनकर घरों से बाहर निकले लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और घायलों को हैलट अस्पताल पहुंचाया. जहां से तीनों को रीजेंसी हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया.


जानकारी के अनुसार कल्याणपुर थाना क्षेत्र के टेढ़ी पुलिया के पास रहने वाले अनुराग दुबे, रोहित और राकेश अपने घर के पास बैठे हुए थे. तभी तीन लोग उनके पास पहुंचे और तमंचा और राइफल से फायरिंग शुरू कर दी. इससे पहले कि यह लोग कुछ समझ पाते तीनों हमलावर वारदात को अंजाम देकर भाग निकले. फायरिंग की आवाज सुनकर घरों से बाहर निकले लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी और घायलों को हैलट अस्पताल पहुंचाया. जहां से तीनों को रीजेंसी हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया. घायलों में एक की हालत नाजुक बताई जा रही है. घायलों में अनुराग दुबे पूर्व जिला पंचायत सदस्य है. वहीं अनुराग दुबे का आपराधिक रिकॉर्ड भी है और उसका नाम चचेरे भाई विकास दुबे के साथ कई वारदातों में सामने आ चुका है। पुलिस क्षेत्र में लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाल रही है. वही वारदात के पीछे दुश्मनी के कारणों का पता लगाने में भी जुटी है. 

उसने होश संभालते ही आयाराम-गयाराम की दुनिया में कदम रख दिया था -
दो दर्जन युवकों के साथ अपना खुद का गैंग बना कर लूट, डकैती मर्डर जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने लगा। आलम ये था कि कानपुर नगर से लेकर देहात तक में इसकी सल्तनत कायम थी। पंचायत, निकाय, विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव के वक्त राजनेताओं को बुलेट के दम पर बैलेट दिलवाना इसका पेशा बन गया। इसी दौरान इसके संबंध सपा, बसपा, भाजपा के बड़े नेताओं से हो गए। 2001 में इसने भाजपा सरकार के दर्जा प्राप्त मंत्री को थाने के अंदर घुसकर गोलियों से भून डाला था। हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद शिवली के डॉन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और कुछ माह के बाद जमानत पर बाहर आ गया। इसके बाद इसने राजनेताओं के सरंक्षण से राजनीति में इंट्री की और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत गया। 

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की यूपी के चारों राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ थी। 2002 के वक्त तब मायावती सूबे की सीएम थीं, तब इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था। इस दौरान इसने जमीनों पर अवैध कब्जे के साथ अन्य गैर कानूनी तरीके से संपत्ति बनाई। जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचयात अध्यक्ष का चुनाव जीत गया। बसपा सरकार के एक कद्दावर नेता से इसके गहरे संबंध थे। चुनाव की आहट मिलते ही इसने पैर बाहर निकाले और इसी के बाद इसकी गिरफ्तारी का आदेश आ गया। 

जानकारों का कहना है कि भाजपा के एक विधायक से इसका छत्तीस का आंकड़ा था और बिल्हौर, शिवराजपुर, चौबेपुर नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने खास लोगों को जिताने के लिए लगा रखा था। 2001 में यूपी में भाजपा सरकार बनी तो संतोष शुक्ला को दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया गया। इसी के बाद से विकास दुबे की उल्टी गिनती शुरू हो गई। उसी वक्त विकास बसपा के साथ ही भाजपा नेताओं के संपर्क में आ गया। भाजपा नेताओं ने संतोष शुक्ला और विकास के बीच सुलह करानी की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं रहे। उसी दौरान संतोष शुक्ला ने सत्ता की हनक के बल पर इसका एनकाउंटर कराने का प्लान बनाया। जिसकी भनक विकास को हुई तो ये संतोष को मारने के लिए अपने गुर्गो के साथ निकल पड़ा। 

2001 में संतोष शुक्ला एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी विकास अपने गुर्गों के साथा आ धमका और संतोष शुक्ला पर फायरिंग शुरू कर दी। वो जान बचाने के लिए शिवली थाने पहुंचे, लेकिन विकास वहां भी आ धमका और लॉकप में छिपे बैठे संतोष को बाहर लाकर मौत के घाट उतार दिया। विकास दुबे वर्तमान में भाजपा के साथ ही जुड़ा था, लेकिन इसी दल के एक विधायक से इसकी नहीं पट रही थी। विकास बिल्हौर, चौबेपुर, शिवराजपुर में अपने लोगों को टिकट दिलाने के लिए लगा था। इसी के बाद भाजपा के एक खेमे ने इसकी शिकायत सीएम से कर दी। इसके बाद विकास दुबे की गिरफ्तारी का फरमान जारी हुआ और तब से विकास कानपुर देहात जेल में बन्‍द है, पर हनक अभी भी बरकरार है।