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अगर आप गरीब, मज़लूम और पीड़ित हैं, तो कल्याणपुर थाने कभी मत जाना, वर्ना पड़ेगा पछताना

◆ कल्याणपुर पुलिस के नए कारनामे : पीड़ित अनाथ युवक को ही तीन दिन लॉकअप में रखकर किया टॉर्चर.
◆ पीड़ित की दुकान पर तोड़फोड़ और मारपीट करने वाले असल आरोपियों को छोड़ा.
◆ पीड़ित के परिजनों से ही दफा 307 ना लगाने की एवज में कथित तौर पर वसूले 15 हजार.
◆ फिर भी भारी धाराओं में किया चालान, आरोपियों की ओर से फर्जी मेडिकल का लिया सहारा.
◆ इंस्पेक्टर और एसएसआई द्वारा पीड़ित पर जमकर जुल्म और अभद्रता का आरोप.
◆ पीड़ित अनाथ युवक मानवाधिकार संरक्षण हेतु पहुंचा UCHR संस्‍था  की शरण में.
◆ एक अन्य युवक ने भी लगाया चौकी में वसूली का आरोप.
◆ कल्‍यानपुर पुलिस न सुधरी तो पीडित पीएम, सीएम, राज्यपाल से लेकर मानवाधिकार आयोग और एमनेस्टी इंटरनेशनल तक भेजेंगे अपनी शिकायतें. लेंगे हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट की शरण.
◆ थाना पुलिस के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन की ढेरों शिकायतें मानवाधिकार संरक्षण हेतु कार्यरत संस्‍थाओं के पास हैं, इतनी शिकायतों के बावजूद कारवाई नहीं होने से जिले में पुलिस प्रशासन पर बड़ा प्रश्नचिन्ह.

कानपुर 22 फरवरी 2018 (अभिषेक त्रिपाठी). लगता है कल्याणपुर थाने के पुलिसकर्मी खुद को "खुदा" समझने लगे हैं, और अपने को कानून और शासन-प्रशासन से भी ऊपर मान रहे हैं, इसीलिए तो पूरी तरह निरंकुश हैं। थाने के "जिम्मेदार" लोग अपराधियों को प्राश्रय देने और पीड़ितों को ही गुनाहगार बना डालने वाली कारगुजारियों से बाज नहीं आ रहे। थाने की दो और ताजा "वारदातें" सामने आई हैं। 


प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यहां गुरुदेव पैलेस चौकी के अंतर्गत अंडे और चाऊमीन का ठेला लगाने वाले गरीब अनाथ युवक को पुलिस ने भारी धाराओं में फंसा दिया, जबकि उसके ठेले पर मारपीट, तोड़फोड़ और मुफ्तखोरी करने वाले युवकों को छोड़ दिया। दूसरे मामले में भी एक मजदूर पुलिस का शिकार बना। मजदूर को मारपीट कर घायल करने वालों को छोड़ दिया, और पीड़ित को ही चौकी में बैठा कर पीटा गया। फिर कथित तौर पर मोटी रकम लेकर छोड़ा गया। इस तरह फिर से एक पीड़ित को ही मुलजिम बनाया गया.

गुरुदेव पैलेस चौकी के अंतर्गत शारदानगर, अनुराग हॉस्पिटल के सामने एक अनाथ युवक कौशल श्रीवास्तव अपने रिश्तेदार के साथ अंडे और चाऊमीन का ठेला लगाता है। कौशल ने बताया कि 10 फरवरी की रात लगभग 10 बजे बैगनी रंग की मारुति एस्टीम कार से चार युवक आये। सभी नशे में धुत्त थे। उन्होंने लगभग 200 रुपये के अंडे और चाऊमीन आदि खाये। पैसे मांगने पर पहले बहस, फिर अचानक गालीगलौज और मारपीट कर दी। विरोध पर दुकान में तोड़फोड़ कर डाली। दुकानदार कौशल और उसका भाई चुटहिल हुआ। बवाल देख आसपास के अन्य दुकानदार और पब्लिक पहुंच गयी। युवकों द्वारा उनसे भी गालीगलौज पर गुस्साए लोगों ने आरोपियाें को जमकर पीटा दिया। खुद को घिरा देख युवक भागे। नशे में धुत्त होने के कारण इनमें से एक नाले में गिरा तो दूसरा सड़क पर और इससे एक के हाथ में, तो दूसरे के सिर में चोट लगी। 

पीडित के अनुसार वहां पर कोम्प्रोमाईज़ कर युवक भाग लिए। अगले दिन दोपहर में पीड़ित कौशल के पास एक नंबर से फोन आया। दूसरी ओर से एक युवक ने कहा लो गुरुदेव पैलेस चौकी इंचार्ज कपिल दुबे से बात कर लो। पीड़ित कौशल के अनुसार चौकी इंचार्ज कपिल ने कहा कि युवकों का हाथ और सर फोड़ देने के आरोप में तुम्‍हारे ऊपर धारा 307 दर्ज करने जा रहे हैं। अगर नहीं चाहते तो तुरंत थाने आकर बात कर लो। कौशल के अनुआर थाने पहुंचने पर उसको पकड़ कर फोन छीन लिया गया और हवालात में डाल दिया। पीडित को अगले तीन दिन तक बिना मुकदमा दर्ज किये और बिना लिखापढ़ी किये हवालात में बंद रख कर बुरी तरह मानसिक टॉर्चर किया गया। 

आरोप है कि रिश्तेदारों से आईपीसी धारा 307 में मुकदमा दर्ज नहीं करने के एवज में 15 हजार रुपये वसूल लिए। फिर भी 504, 506, 323 में चालान कर चौथे दिन उसे जेल भेज दिया गया। जहां से वो जमानत पर छूट सका। उस पर भी अब चौकी, थाना और युवकों की ओर से कौशल को फोन कर मिल लेने को कहा जा रहा है। नहीं आने पर धारा 308 लगाने की धमकी दी जा रही है। उनको खौफजदा किया जा रहा है। कौशल मामले में कल्याणपुर पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की। चौकी इंचार्ज ने जांच के नाम पर बेहतरीन खानापूरी की, स्पॉट पर पब्लिक के बयान तक लेना मुनासिब नहीं समझा, वर्ना बवाल करने वाले युवकों पर भी हमला व तोड़फोड़ करने का मुकदमा होता। खैर...ये तो है ही वो कल्याणपुर पुलिस जो अपने मनगढंत बयानों के आधार पर आईजीआरएस तक के मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा देती है। 

इस मामले का उल्लेख हमारे सहयोगी संस्‍थान शहर दायरा न्‍यूज ने बीते दिनों " कल्याणपुर : यहां भूल कर भी मत आना, क्योंकि यहां है अनाथ, गूंगा, बहरा और अंधा पुलिस थाना! " शीर्षक से प्रकाशित पिछली खबर में किया था। उक्त खबर में थाने से पीड़ित पिछले 15 दिनों के कुल 5 केसों का ब्यौरा था।

उधर चौकी इंचार्ज कपिल दुबे उल्टा कहते हैं कि कौशल ने युवकों पर हमला करके एक का हाथ और दूसरे का सर फोड़ दिया। धारा 325 का मामला है। दरोगा जी के शब्दों में "उस पर तो मैं 308 धारा बढ़ाऊंगा...।" उधर आसानी से फोन या थाने पर उपलब्ध नहीं होने वाले कल्याणपुर इंस्पेक्टर समीर सिंह से आखिरकार मिलने का सौभाग्य प्राप्त हो गया। सभी मामलों पर उन्होंने डिप्लोमेटिक जवाब देते हुए कहा कि "थाने में पीड़ितों के साथ नाइंसाफी के सारे आरोप गलत और निराधार हैं..." वहीं कल्याणपुर सर्किल के सीओ ने खुलासा टीवी को आश्वासन दिया कि थाना स्तर पर कार्रवाई से असंतुष्ट लोग उनके पास आ सकते हैं। वाजिब और न्यायसंगत कार्रवाई की जाएगी।

All Indian Reporter's Association (आईरा) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री एडवोकेट योगेंद्र अग्निहोत्री और कानपुर नगर जिलाध्यक्ष आशीष त्रिपाठी कहते हैं कि शहर भर के सैकड़ों पत्रकार कल्याणपुर थाने के स्टाफ द्वारा अभद्रता किये जाने की शिकायतें कर चुके हैं। थाना स्टाफ के खराब बर्ताव के कारण कल्याणपुर एक नटोरियस और बदनाम थाना बन चुका है। मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में सक्रीय संस्‍था United Council Of Human Rights (UCHR) के गोपाल गुप्‍ता ने हमारे संवाददाता से कहा कि थाने के पीड़ित उनकी संस्‍था में अपने साथ हुई ज़्यादती की शिकायत कर सकते हैं। उनकी आवाज़ पुरजोर ढंग से उठाई जाएगी।