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देर रात एसपी और कलेक्टर पहुंचे जेल, हो गया खेल, हड़ताल फेल

रायपुर 05 दिसंबर 2017 (जावेद अख्तर). शिक्षाकर्मियों द्वारा लगातार 15 दिनों से जारी हड़ताल यकायक खत्म कर दी गई। आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते शिक्षाकर्मियों को पैर पीछे खींचने को विवश होना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, दरअसल हड़ताल वापस लेने के कई कारण हैं परंतु प्रमुख कारण, पुलिस द्वारा सोमवार को महिला नेत्रियों को गिरफ्तार करना है।


हड़ताल और आंदोलन को बड़ा झटका उस समय लगा जब आंदोलन को लीड करने वाली 25 महिलाओं को रायपुर में गिरफ्तार कर लिया गया, तत्पश्चात परिजन जेल पहुंचकर महिलाओं की रिहाई का इंतज़ार करते रहे मगर रिहाई नहीं हुई। जिन महिलाओं के सहारे शिक्षाकर्मी आंदोलन की रणनीतियों को अंजाम दे रहे थे, उनको जेलों में ठूंस दिया गया तथा अन्य शिक्षाकर्मी प्रमुख नेता पहले से ही भूमिगत थे। हालांकि इसमें चर्चा अनुत्तरित है कि शिक्षाकर्मियों के लिए प्रशासन इतना सॉफ्ट कैसे हो गया। इसमें एक चर्चा ये है कि शिक्षाकर्मियों पर दबाव डालकर गिरफ्तार किया गया था, तो वहीं सरकार ने धारा 144 लागू कर धरना स्थल पर उपस्थित शिक्षाकर्मियों पर जमकर लाठियां चलवाई तथा तंबू टेंट वगैरह भी जब्त कर लिए गए। महिला प्रमुखों को भी जेलों में बंद कर रिहाई नहीं होने दिया गया और वहीं कांग्रेस के नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुईं। वहीं शिक्षाकर्मियों पर कार्रवाई एवं जगह-जगह बर्खास्तगी की ख़बरों ने भी आंदोलन को कमज़ोर कर दिया थी। समय एवं हालात को देखते गिरफ्तार नेताओं पर दबाव बनाने में पुलिस प्रशासन सफल हो गई। वहीं कलेक्टर एसपी और नौकरशाह ने बड़ी भूमिका निभाते हुए शिक्षाकर्मियों के आंदोलन को वापस लेने के लिए तैयार करने में सफल रहे। 

17 जिलों के 41 राज्यस्तरीय शिक्षाकर्मी नेता बर्खास्त - 
प्रदेश के सत्रह जिलों के सभी 41 शिक्षाकर्मी नेताओं के बर्खास्तगी आदेश जारी करते हुए रमन सरकार की तरफ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा जिला मुख्यालयों को निर्देश दिया गया। एक घंटे के भीतर ही बर्खास्तगी के आर्डर धड़ाधड़ जारी होने शुरू हो गये हैं। राज्य सरकार की तरफ से पहली लिस्ट में 41 राज्य स्तरीय शिक्षाकर्मियों के पदाधिकारियों को बर्खास्तगी का आर्डर थमा दिया गया। रायपुर से जिला पंचायत सीईओ नीलेश क्षीरसागर की तरफ से बर्खास्तगी के आर्डर जारी किये गये हैं। सोमवार को शाम वीडियों कांफ्रेंसिंग के बाद 6 शिक्षाकर्मियों को जिला पंचायत सीईओ की तरफ से बर्खास्त कर दिया गया है। 

बर्खास्त शिक्षाकर्मी नेता - 

धर्मेंद्र शर्मा – रायपुर
सुधीर प्रधान – महासमुंद
ओमप्रकाश बघेल – कोरबा
सुशील शर्मा – राजनांदगांव
रमेश चंद्रवंशी – कबीरधाम
मनोज वर्मा – सरगुजा
केदार जैन – कोंडागांव

वीरेंद्र दुबे – दुर्ग
विकास राजपूत – दुर्ग
गिरीश साहू – दुर्ग
युवराज साहू – दुर्ग

गिरजाशंकर शुक्ला – रायगढ़
चोखलाल पटेल – रायगढ़
चैतन्य पटेल – रायगढ़
दीपक भगत सिंह – रायगढ़

संजय उपाध्याय – मुंगेली
दीपक बेनताल – मुंगेली
मेघनाथ कोसरिया – मुंगेली
मोहन लहरे – मुंगेली

अशोक गोटे – कांकेर
स्वदेश शुक्ला – कांकेर
हेमंत साहसी – कांकेर
नंदकुमार अड़भैया – कांकेर

संजय शर्मा – बिलासपुर
मनोज जनाढय – बिलासपुर
निर्मला भारती – बिलासपुर

बसंत चतुर्वेदी – जांजगीर-चांपा
वीरेंद्र कश्यप – जांजगीर चांपा
राम विश्वास सोनकर – जांजगीर चांपा

सचिन त्रिपाठी – सूरजपुर
माया सिंह – सूरजपुर
नवीन ज्ञान – सूरजपुर

विनय सिंह – जशपुर
संतोष पांडेय – जशपुर
धनु यादव – जशपुर

शैलेंद्र तिवारी - बस्तर
शरद श्रीवास्तव - बस्तर

सत्येंद्र सिंह – बेमेतरा
विजय बहरे – बेमेतरा

चंद्रदेव राय – बलौदाबाजार
अशोक शर्मा – बलौदाबाजार


जेल पहुंचे कलेक्टर व एसपी, बात बनी आधी रात बाद हड़ताल वापस - 
जानकारी के मुताबिक दोपहर जेल में बंद केदार जैन और वीरेंद्र दुबे ने दूसरे संगठन के अध्यक्षों को बातचीत के लिए बुलाया एवं उन्होंने संदेश भेजा कि भूमिगत नेताओं के साथ चर्चा करनी ज़रूरी है। इन सभी ने प्रशासन के सामने ये बात रखी और प्रशासन ने बातचीत के लिए व्यवस्था कराई।  इसके बाद देर रात भूमिगत नेता जेल पहुंचे जहां पहले से ही रायपुर के कलेक्टर, एसपी एवं एक नौकरशाह उपस्थित थे। जिन्होंने आंदोलन की प्रमुख महिलाओं को जेल में बंद तथा 41 शिक्षाकर्मी नेताओं की जानकारी देते हुए समझाने में सफल रहे किआंदोलन को अब वापिस ले लेना चाहिए वरना ये राजनीतिक रूप ले लेगा। वहीं राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर राजनीति शुरू कर दिए हैं, ऐसे में सरकार का रव्वैय्या और सख्त हो जाएगा, जो कि शिक्षाकर्मियों के हितों के विपरीत होगा। तीनों प्रशासनिक उच्चाधिकारियों की बातों ने शिक्षाकर्मियों का मनोबल तोड़ दिया। 

हड़ताल वापसी के तुरंत बाद सभी कारवाई स्थगित -
जेल में बातचीत एवं सभी नेताओं की आपसी सहमति होने के बाद आधी रात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिक्षाकर्मी नेताओं ने निशर्त हड़ताल वापसी की जानकारी दी। मुलाकात करने पहुंचे शिक्षाकर्मी नेताओं ने इस बात के लिए मुख्यमंत्री रमन सिंह को धन्यवाद दिया कि उन्होंने सभी की बर्खास्तगी को रद्द करने के निर्देश हड़ताल खत्म होते ही दे दिए। शिक्षाकर्मियों की हड़ताल रात को एक बजे शिक्षाकर्मियों ने तोड़ दी, जिसके बाद शासन ने भी सभी शिक्षाकर्मी नेताओं को रिहा कर दिया। हड़ताल को वापस लेने के बाद कांग्रेस ने भी अपने बंद को स्थगित कर दिया है। 


कारवाई वापसी का आश्वासन - 
लेकिन बातचीत में पेंच कार्रवाई को लेकर था, जिस पर प्रशासन ने आश्वासन दे दिया कि सारी कार्रवाईयां वापिस ले ली जाएंगी। तत्पश्चात शिक्षाकर्मियों ने आंदोलन वापिस लेने का मन बना लिया। इसके बाद शिक्षाकर्मियों ने प्रशासन को तीन बिंदुओं पर आधारित एक लेटर लिखकर दिया जिसमें कहा गया कि वे बिना शर्त आंदोलन वापिस ले रहे हैं। मुख्यमंत्री से अपेक्षा करते हैं कि उनकी मांगों को पूरा करेगी और जो कार्रवाईयां हुई हैं, प्रशासन ने मांग मानने का आश्वासन दिया है।

महाबंद के पहल ही कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी - 
रमन सरकार केे लिए दूसरी बड़ी दिक्कत ये पैदा हो गई जब कांग्रेस ने महाबंद की घोषणा की। अगर बंद सफल रहता तो सरकार की बची खुची इज्ज़त भी लुट जाती एवं लोगों के बीच खऱाब संदेश जाता। लिहाज़ा सरकार के लिए ज़रूरी हो गया था कि आंदोलन मंगलवार 05 दिसंबर को ना हो सके। इसी के चलते पुलिस प्रशासन ने सोमवार से ही कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। मंगलवार को सुबह 5 से ही कांग्रेस के युवा नेता विकास उपाध्याय, एजाज ढेबर, श्याम जायसवाल, संजय यादव, राजेश छेदइया, अजय साहू आदि को घर से ही गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी रायपुर में केंद्रीय जेल एवं बेमेतरा में स्टेडियम नवागढ़ रोड में रखा गया है। वहीं अन्य अधिकांश जिला मुख्यालयों में युवा एवं सक्रिय कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

आंदोलनकारी शिक्षाकर्मी शाम को मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे -
05 दिसंबर की शाम को शिक्षाकर्मी आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठन के प्रमुख नेता मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह से मुलाकात करने पहुंचे। दरअसल शिक्षाकर्मियों की हड़ताल तुड़वाने वाले एक नौकरशाह एवं कलेक्टर ने सीएम से इस संबंध में चर्चा की थी जिसके बाद शिक्षाकर्मी नेता मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए राजी हुए। शिक्षाकर्मी नेताओं ने मुलाकात में अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने हड़ताल खत्म कर दी है, अब बारी सरकार की है। वो उनकी मांगों पर कोई फैसला करे। हालांकि सरकार पहले ही कह चुकी है कि वो संविलियन को छोड़कर बाकी सभी मांगों पर विचार करने को तैयार है लेकिन शिक्षाकर्मी पहले लिखित आश्वासन चाहते थे और पूरा विवाद लिखित आश्वासन को लेकर ही शुरू हुआ था।