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हड़ताल की अवधि का वेतन देने का आदेश जारी, विपक्ष ने कहा भयभीत सरकार बैकफुट पर

रायपुर 11 दिसंबर 2017 (जावेद अख्तर). राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मियों को बड़ी राहत देते हुए हड़ताल अवधि का वेतन जारी करने के आदेश दिया है। इस आशय का पत्र संचालनालय पंचायत ने सभी सभी जिला पंचायत और जनपद पंचायतों को भेज दिया है। शिक्षाकर्मियों ने संविलयन और वेतन वृद्धि को लेकर 20 नवंबर से 4 दिसंबर तक हड़ताल किया था। इस दौरान सरकार के साथ हुए समझौते के तहत 4 दिसंबर को शिक्षाकर्मियों ने आधी रात अपनी हड़ताल खत्म कर दी। 


सरकार ने शिक्षाकर्मियों को नई राहत देते हुए हड़ताल पर जाने के बाद भी वेतन देने का आदेश जारी किया है। पिछले कई दिनों से शिक्षाकर्मी अनुशासनात्मक कार्यवाही को निरस्त करने की मांग कर रहे थे जिस पर सौगात देते हुए हड़ताल के दौरान सरकार ने जिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी, उस कार्रवाई को भी निरस्त करने के आदेश दिए हैं।
    
राज्य की सरकार बैकफुट पर -
छग शासन की ओर से पंचायत संचनालय, इंद्रावती भवन, नया रायपुर के संचालक द्वारा आदेश पत्र क्रमांक/पंच./शिक्षा./2017/953 दिनांक 11.12.2017 में हड़ताल पर रहने वाले शिक्षक (पंचायत) संवर्ग का वेतन देने का एवं आदेश पत्र क्रमांक/पंच./शिक्षा./2017/951 दिनांक 11.12.2017 में शिक्षक (पंचायत) संवर्ग का अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर थे, जिनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई थी, उसे नियमानुसार निरस्त करने का आदेश दिया।
   
अधिकारों का दुरूपयोग कर हड़ताल खत्म करने को विवश किया -
विपक्ष का कहना है कि हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार ने प्रशासन का दुरूपयोग कर संगठनों के नेताओं को जेल में डालने के बाद अतिरिक्त दबाव बनाकर हड़ताल खत्म करने के लिए मजबूर किया। वहीं हड़ताल की रणनीतिकार महिलाओं को भी जेल में बंद कर पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। जबकि ज्यादातर शिक्षाकर्मी हड़ताल खत्म करने के फैसले से सहमत भी नहीं थे। हड़ताल के दौरान प्रशासन ने इन्हें रायपुर में जगह नहीं दी, जिसे लेकर भी काफी हंगामा हुआ। और शिक्षाकर्मियों पर लाठीचार्ज कर डराने का भी प्रयास किया गया, जिसमें कई शिक्षाकर्मी बुरी तरह से घायल हुए थे। मगर शिक्षाकर्मियों के न चाहते हुए भी शिक्षाकर्मी संगठन के नेताओं एवं रणनीतिकारों द्वारा आनन-फानन में हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी गई।

विपक्षी दलों ने कहा सरकार भयभीत इसीलिए दे रही वेतन -
हालांकि सरकार के नुमाइंदों ने आधी रात बाद जेल में जाकर संगठन के नेताओं एवं रणनीतिकारों से समझौता किया या शायद प्रलोभन देकर मनाया गया? जिससे हड़ताल खत्म हो के बाद आदेश निरस्त्रीकरण एवं वेतन देने के फैसले को राज्य सरकार का डर बताया है। दोनों विपक्षी दलों का कहना है कि अतिरिक्त दबाव एवं प्रशासनिक दुरूपयोग से हड़ताल करा लेने से शिक्षाकर्मी मजबूरन वापस तो चले गए मगर अंदर ही अंदर खार खाए बैठें हैं, हड़ताल खत्म करा लेने के बाद भी राज्य सरकार भयभीत है कि कहीं चुनाव में शिक्षाकर्मी सरकार के खिलाफ न चले जाएं, अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकार को कम से कम आठ सीट से हारना निश्चित है। डरी सरकार ने नाराज़ शिक्षाकर्मियों को मनाने के लिए हड़ताल के दौरान शिक्षाकर्मियों के निलंबित करने के आदेश को निरस्त कर दिया और अब हड़ताल पर रहने के बाद भी पूरे माह का वेतन देने का आदेश जारी किया है। मगर शिक्षाकर्मी इससे मानने वाले नहीं, उन्हें सातवां वेतनमान एवं संविलियन चाहिए और अभी भी अधिकांश शिक्षाकर्मी इस पर अड़े हुए हैं।
  
विपक्षी दलों ने कहा सरकार बनी तो सबसे पहले संविलियन -
दोनों विपक्षी दल ने शिक्षाकर्मियों को साधने के लिए ये घोषणा कर ही चुकें हैं कि अगर हमारी सरकार बनती है तो सरकार बनने के तीस दिनों के भीतर ही शिक्षाकर्मियों का संविलियन एवं सातवां वेतनमान दिया जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार का डर गलत नहीं है क्योंकि सवा दो लाख शिक्षाकर्मी, पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय है, अगर ये सरकार के खिलाफ वोटिंग करने के लिए ग्रामीणों से अपील कर देंगे तो वास्तविक रूप से सरकार को मिलने वाले कुल वोट में से साठ फीसदी वोट का कटना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में सरकार डरे नहीं तो और क्या करे।
   

हालांकि ये डर शिक्षाकर्मियों के लिए जरूर फायदेमंद साबित हो गया है और सरकार ने हड़ताल पर रहने के बावजूद भी शिक्षाकर्मियों को वेतन देने का फैसला किया है। वहीं इस आदेश के बाद उन शिक्षाकर्मियों को इसका फायदा मिलेगा जिन्हें हड़ताल के दौरान कार्रवाई करते हुए दूसरे जिलों में तबादला कर दिया गया था, अब उनकी वापसी अपने जिले में संभव हो सकेगी।