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डॉल्फिन स्कूल का संचालक राजेश शर्मा गिरफ्तार, प्रदेश का सबसे बड़ा ठग हैदराबाद के स्कूल से पकड़ाया

रायपुर 04 सितम्‍बर 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ के चर्चित डॉल्फिन इंटरनेशनल स्कूल का फरार संचालक राजेश शर्मा गिरफ्तार हो गया है, पुलिस ने उसे हैदराबाद में पकड़ा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, राजेश शर्मा हैदराबाद में अपनी पहचान बदलकर एक स्कूल में पढ़ा रहा था। रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अफसर ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

राजधानी रायपुर में डाल्फिन स्कूल के नाम पर करोड़ों रूपये लेकर फरार होने वाला संचालक राजेश शर्मा आखिरकार पुलिस के गिरफ्त में आ ही गया। फरार होने के बाद से ही पुलिस की एक स्पेशल टीम उसकी तलाश में लगी ही हुई थी। भारत के लगभग लगभग सभी राज्यों के प्रमुख जिलों, तहसीलों एवं ब्लाक स्तर पर पूछताछ एवं खोजबीन करने में टीम लगी रही और अंततः राजेश शर्मा पकड़ में आ गया। राजेश शर्मा को हैदराबाद से गिरफ्तार कर आज एसआईटी की टीम ने व्यवहार न्यायधीश वर्ग 2 प्रथम श्रेणी नेहा उसेंडी की कोर्ट में पेश किया गया। जहां पुलिस ने न्यायालय से आरोपी को रिमांड में दिए जाने की मांग की है। 

चंद सालों में ही फर्श से अर्श पर - 
राजेश शर्मा बेहद चतुर व्यक्ति था। रायपुर के समता कालोनी में एक कमरे से डाल्फिन स्कूल शुरू किया और सिर्फ पांच साल में प्रदेश भर में डाल्फिन की तकरीबन 25 ब्रांचें खोल लिया। रायपुर में आने के पहले राजेश शर्मा हैदराबाद में एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक था। वहीं पर शिक्षिका ऊमा से उसकी दोस्ती हुई और फिर प्रेम। आगे चलकर राजेश शर्मा ने उमा से विवाह करके छग आ गया। दोनों ने मिलकर डाल्फिन स्कूल की नींव रखी। उस समय भारत में शक्तिमान धारावाहिक बच्चों के बीच अत्यंत लोकप्रिय और प्रसिद्ध था। राजेश शर्मा ने मुकेश खन्ना को डाल्फिन स्कूल का ब्रांड एम्बेसेडर बनाया। इसका असर ये हुआ कि बच्चे डाल्फिन स्कूल की ओर आकर्षित होने लगे। डाल्फिन स्कूल के वार्षिक समारोह में मुकेश खन्ना शक्तिमान के गेटअप में पहली बार उपस्थित हुए। यहीं से डाल्फिन स्कूल और राजेश शर्मा की किस्मत पलटी। डाल्फिन स्कूल ने तीसरे साल में ग्यारह नई ब्रांचें शुरू की। चौथे साल में संख्या बीस हुई और पांचवें साल में उन्तीस ब्रांचेस खुल गई। पांचवें साल ही राजेश शर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया में कदम रखा। इसी साल भर के दौरान उसने पूरे प्रदेशवासियों का ध्यान खींचने में सफल हुआ। बताया जाता है कि सदर बाजार ज्वैलर्स का गढ़ है और राजेश शर्मा ने लगभग सभी ज्वैलर्स संस्थान के संचालकों से मित्रता और मधुर संबंध बना लिया, जिसके कारण ही कई बड़े ज्वैलर्स ने लाखों करोड़ों रुपये उधार दे रखा था और कई ज्वैलर्स उसके बिजनेस में भी पैसे इन्वेस्ट किए थे। 

एमसीएक्स शेयर बाजार में करोड़ों का निवेश - 
एक परिचित ज्वैलर्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राजेश शर्मा एमसीएक्स नामक शेयर बाजार में चांदी पर बहुत बड़ी रकम निवेश कर चुका था, शुरूआत में भाव थोड़ा सा ऊपर नीचे होता रहा था मगर फिर अचानक ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चांदी के भाव ज्यादा ही गिर गये। और इसी में राजेश शर्मा को लगभग पचास करोड़ रूपये का सीधा नुकसान हुआ था और राजेश शर्मा कर्ज़ में दब गया था। इस घाटे की भरपाई के लिए उसने छग के कई बड़े लोगों से बिजनेस के नाम पर इन्वेस्ट करवाता और उस रकम को भी एमसीएक्स शेयर बाजार में निवेश करता गया मगर उसे कोई खास फायदा नहीं हो पा रहा था। वह कर्ज़ और ब्याज, बैंकों के लोन और इन्वेस्ट के कारण कई सौ करोड़ रूपये की उधारी उस पर लद गई थी। संभवतः वो ये समझ चुका था कि पैसे भर पाना संभव नहीं इसीलिए उसने चुपके-चुपके सब कुछ समेटना शुरू कर दिया। फिर डाल्फिन स्कूल की लगभग पैसठ ब्रांचों के खोलने का भ्रम फैलाया, पालकों ने अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए डाल्फिन स्कूल के झांसे में आ गए और उन्होंने रूपये एकमुश्त जमा कर दिया। राजेश शर्मा ने जब देखा होगा कि काफी बड़ी रकम इकठ्ठा हो गई तब योजना के अनुसार रकम लेकर गायब हो गया। 

दिखावा करने में माहिर था - 
कहा जाता है कि वह दुनिया के सामने खुद को बेहद धार्मिक, सत्य, अहिंसा और सदाचारी प्रदर्शित करता, जिससे प्रदेश के अधिकांश लोग उसे सज्जन पुरूष मानतें थें। राजेश शर्मा का उठना बैठना प्रदेश के सभी नामचीन हस्तियों, राजनेताओं, वरिष्ठ जनों, मंत्रियों एवं संत्रियों के साथ था। इसीके चलते ही उसे शिक्षा विभाग से पूरा पूरा सहयोग मिलता और उसने इसी का लाभ उठाते हुए नियमों व निर्देशों के विपरीत शिक्षा विभाग से स्कूल के संचालन की अनुमति आसानी से प्राप्त कर लेता। 

छात्रों की शिक्षा के नाम पर करोड़ों जमा - 
उल्लेखनीय है कि राजेश शर्मा ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में स्कूल खोला था। डॉल्फिन इंटरनेशनल स्कूल के नाम से संचालित इन स्कूलों में वह अभिभावकों से एक साथ मोटी रकम लेता था, जिसे पढ़ाई पूरी होने के बाद लौटा दिया जाता था। दाखिले के दिन ही अभिभावकों को पोस्ट डेटेड चेक दिया जाता था, जिसे साल पूरा होने के बाद निकाला जा सकता था। उसके स्कूल में एक तरह से मुफ्त शिक्षा का झांसा दिया जाता था। सज्जन, साफ छवि और मंत्रियों के साथ उठना बैठना और फिल्मी सितारों से सीधा संपर्क, इसीलिए लोगों को विश्वास होने लगा। राजेश शर्मा कुछ वर्षों में ही अभिभावकों का विश्वास जीतने में सफल हो गया। तत्पश्चात प्रदेश के हजारों पालकों ने दाखिले की फीस एवं स्कीम की राशि एकमुश्त जमा कर दिया। डाल्फिन स्कूल के पच्चीस से तीस ब्रांचेस कुछेक सालों तक चलाने के बाद प्रदेश के अधिकांश जिलों में ब्रांच खोलने का हवाला दिया। जिसके बाद सभी क्षेत्रों के लोग अपने बच्चों का एडमिशन कराने के लिए टूट पड़े। सभी फर्जी ब्रांचों में कुल सीटों से डबल सीटों का एडमिशन लिया गया, इसमें जमा होने वाली राशि कई सौ करोड़ रूपये थी और फिर सभी पालकों का पैसा लेकर वो रातों रात फरार हो गया। तीन चार दिनों तक शर्मा का कुछ अता पता नहीं चल पा रहा था, पालकों तक भी ये सूचनाएं पहुंची। तत्पश्चात जब पालकों और लेनदारों ने हंगामा किया तब मामले की असलियत सबके सामने आई।

छानबीन से खुल गई कलई - 
पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तब कई बड़े झोल पकड़ में आए और ये भी साफ हुआ कि राजेश शर्मा अचानक नहीं भागा बल्कि वह काफी समय से योजना बनाकर और सही मौके पर वो रफूचक्कर हो गया। छानबीन में ये भी पता चला कि उसके सभी स्कूल किराए के भवन में संचालित थे कई कई माह का किराया तक नहीं दिया था तथा स्कूल में अटैच कई बसें फाइनेंस कराई थी। स्कूल एवं अखबार के सेटअप में कम्प्यूटर वगैरह जो भी सामान था, उधारी या फाइनेंस पर लिया गया था। 

फिल्म इंडस्ट्री और अखबार में भी इन्वेस्ट - 
राजेश शर्मा ने फिल्मों में भी पैसा लगाया था और वो छत्तीसगढ़ी व हिंदी फिल्में बनाने की तैयारी कर रहा था। उसके कई कार्यक्रमों में मुकेश खन्ना, रवि किशन, गूफी पेंटल, भोजपुरी अभिनेत्री संगीता आदि जैसे कई नामी फिल्मी सितारे भी आया करते थे। कहा जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में पैसा लगाने वाले प्रदेश के कई नामी बिजनेसमैन, बिल्डर्स और राज्य सरकार के मंत्री थे, जिन्होंने कई करोड़ रूपये दिए भी थे। लोगों का कहना था कि राजेश शर्मा पहला ऐसा व्यक्ति निकला जिसने मंत्रियों को चूना लगा दिया था। संभवतः इसीलिए तो पूरा पुलिस महकमा राजेश शर्मा को पागलों की तरह खोज रहे थे मगर वो हाथ नहीं आ रहा था। दसियों महीने तक उक्त मामला पूरे प्रदेश में छाया रहा। लोगों का मानना था कि राजेश शर्मा देश छोड़ विदेश में कहीं बस गया होगा इसीलिये तो साल बीतने के बाद भी एक सुराग तक हाथ नहीं लग पाया था, फिर धीरे-धीरे लोग भूलने लगे। परंतु पुलिस की स्पेशल टीम गुप्त रूप से खोजबीन में लगी रही और आखिरकार राजेश शर्मा हैदराबाद में पुलिस की पकड़ में आ ही गया। 

अर्श से फर्श पर आ गया इसलिए भागना पड़ा : राजेश शर्मा 
हैदराबाद के मेडचल के स्कूल में मैं और मेरी पत्नी पढ़ाते थे, मुझे 15 हजार सैलरी मिलती थी, मैं स्कूल का कोआर्डिनेटर था साथ ही अंग्रेजी पढ़ाता था। मेरी पत्नि हिंदी पढ़ाती थी उसे 10 हजार रुपये सैलरी मिलती थी। मेरी बेटी भावना शर्मा 18 साल की है, उसे सेरेब्रल पाल्षी बीमारी है, उसकी देखभाल कौन करेगा, मेरे तो रिश्तेदार भी नहीं है। मुझे हार्ट की प्रॉब्लम है, 2010 में मुझे अटैक आ चुका है। हार्ट में स्टेंट डाला गया था। हाईड्रोसिल की बीमारी है, ऑपरेशन नहीं करा पाया। मेरी पत्नी की रीढ़ की हड्डी की दिक्कत है, पैसे नहीं होने की वजह से अब तक दोनों का इलाज नहीं हो सका है। हमें कल सुबह 6 बजे पुलिस ने गिरफ्तार किया, मेरी हालात के पीछे परिस्थितियां जिम्मेदार है। कलेक्शन नहीं आ पा रहा था, बाजार का पैसा लिया था, जिसे दे नहीं पाया। मेरे कर्मचारियों ने भी मुझे धोखा दिया, कलेक्शन का पैसा मुझ तक नहीं पहुंचा, जिससे मुझे बड़ा नुकसान हुआ। करीब 50 करोड़ का नुकसान हुआ था। यहां से भागने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मेरी पत्नी और बेटी की जिम्मेदारी कौन उठाता। हालात के आगे मजबूर था।  आज मेरे पास वकील करने के भी पैसे नहीं है। 

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