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अफसरों को खराब सीआर पर सेवानिवृत्ति, कानून व संविधान के विपरीत कारवाई :- मो. अकबर

रायपुर 16 सितंबर 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने पत्रकार वार्ता में इस बात का खुलासा करते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा अफसरों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का जो निर्णय किया गया है, वो संविधान और कानून के बिल्कुल विपरीत है यानि संविधान एवं कानून की मर्यादा एवं निर्धारित सीमा को अनदेखा किया कर नियम बताकर लागू कर दिया गया है।

हैरानी का विषय है कि कई अफसरों एवं कर्मचारियों में सुधार लाने की बजाए सेवानिवृत्त दे दी गई और किसी ने भी न्यायालय में चुनौती देने का साहस नहीं किया। इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि सत्तासीन दल का दबाव एवं डर के चलते किसी भी कर्मी ने ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पाए। 

छोटे कर्मियों पर ही चला नियमों का डंडा - 
ज्ञात हो कि अभी हाल में ही राज्य सरकार ने आदेश जारी करके 47 पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करके बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जबकि वन विभाग में इस तरह की कार्रवाई की है। मोहम्मद अकबर का कहना है कि सरकार इस अभियान को बंद करें। जिनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है, उनके विरुद्ध जांच की जाए। उनका पक्ष सुना जाए और गुण और दोष के आधार पर उन पर कारवाई की जाए। अनिवार्य सेवानिवृत्ति किया जा सकता है जब उसके विरूद्ध जांच संभव न हो। मोहम्मद अकबर का कहना है कि ये कार्रवाई सरकार की आदिवासी और पिछड़ा विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। बिना दोष सिद्ध हुए इसे अत्याचार, असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण बताया है।

संविधान का उल्लंघन - 
उन्होंने कहा कि रमन सरकार का ये कार्य संविधान के अनुच्छेद 310 और 311 और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतो का साफ तौर पर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनेक आदेश भी सरकार के आदेश के खिलाफ है। उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए, जैसे आर.एल. बुटेल विरूद्ध भारत सरकार, इंदरचंद माथुर विरूद्ध राजस्थान सरकार, उत्तर प्रदेश विरूद्ध बिहारी लाल, नहसिंह पटनायक विरूद्ध उड़ीसा सरकार आदि। 

संत्री व मंत्रियों पर कार्रवाई क्यों नहीं - 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार में कई आला अधिकारी हैं जिनके विरूद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। लेकिन उसके बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई, बल्कि उल्टा उन्हें प्रमोशन पर प्रमोशन दिया गया। मोहम्मद अकबर ने कहा की अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिया जा सकता है जब उसके विरूद्ध जांच संभव न हो।

खुद के बनाए नियम को विलोपित कर कार्रवाई - 
मोहम्मद अकबर ने राज्य सरकार के 6 अगस्त 2003 के उस आदेश की कॉपी भी दी जिसमें साफ तौर से लिखा है कि ओबीसी, एससी, एसटी अधिकारियों पर कार्रवाई करने से पहले निम्न प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा। पहले चरण में उन्हें समझाईश दी जाएगी। फिर भी आचरण में सुधार नहीं होता है तो उसे चेतावनी दी जाएगी। उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई तभी होगी जब उसके खिलाफ गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी हो या कोई ठोस आधार हो। अगर कोई अधिकारी इसके खिलाफ कार्रवाई करता है तो उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने ऐसा किया है तो क्या राज्य सरकार मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करने के निर्णय का साहस कर सकती है। 

खराब सीआर वाले मंत्रियों को कब हटाएंगे :- मो. अकबर
इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर ने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर निशाना साधते हुए पूछा है कि खराब सीआर की बात कहकर उन्होंने अधिकारियों को तो हटा दिया, लेकिन जिन उच्चाधिकारियों औरुमंत्रियों के खराब सीआर हैं, उन्हें कब हटाएंगे। खराब सीआर की रिपोर्ट चाहिए तो हम उपलब्ध करा देंगे मगर मुख्यमंत्री छोटे कर्मचारियों पर दिखावे की कार्रवाई करने की बजाए वास्तविक भ्रष्ट उच्चाधिकारियों एवं मंत्रियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाएं। सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर नियमों का डंडा चलाना बंद करें। गौरतलब है कि बीजेपी आला कमान और रमन सिंह लगातार मंत्रियों को परफॉर्मेंस सुधारने की ताकीद देते आए हैं। मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने स्तर पर मंत्रियों की परफॉर्मेंस को जांचते भी हैं। मगर इस तरह की ताकीद और जांच का क्या फायदा जिसके आधार पर कभी भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती हो। ये सब दिखावे का और मीडिया स्टंट हैं, चौदह सालों से लगातार सी.एम पद पर बने रहने वाले मुखिया को यह सब शोभा नहीं देता।