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सारंगढ़ - रायगढ़ रोड़ की बदहाली से क्षेत्रवासी हो रहे हैं हलकान

रायगढ़ 09 अगस्त 2017 (रवि अग्रवाल). सारंगढ़ से रायगढ़ जाना खतरे भरा सफर हो गया है। रायगढ़ जिला मुख्यालय जाने वाले सरकारी करिंदे और बड़े व्यापारी अपने वाहनो से बरमकेला-सरिया-पुसौर होकर रायगढ़ तक का सफर तो पूरा कर रहे है किन्तु जिनको चंद्रपुर या सारंगढ़ के रोड़ किनारे के गांवो में जाना है उनका हाल बदहाल हो जा रहा है। एरा कंपनी के द्वारा निर्मित करायी जा रहा सारंगढ़-चंद्रपुर-रायगढ़ रोड़ की सडक़ क्षेत्रवासियों के लिये जी का जंजाल बनकर रह गयी है।
 

वही कई बार फटकार खाने के बाद भी एरा कंपनी के करिंदे अपना लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालत इस कदर खराब है कि कई स्थानों पर प्रतिदिन गाडियां फंस रही है तथा आवागमन बाधित हो रहा है। किन्तु क्षेत्रवासियो की इस गहरी समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं है। रायगढ़-चंद्रपुर-सारंगढ़-सराईपाली की 90 कि लोमीटर लंबी सडक़ निमार्ण का ठेका एरा कंपनी को 500 करोड़ रूपये में मिली हुआ है। 31 मार्च 2017 को कार्य पूर्ण करने की अंतिम तिथि को गुजरने के बाद भी एरा कंपनी के द्वारा महज 20 फीसदी कार्य किये जाने के बाद क्षेत्रवासी बीते दो वर्षो से हलाकान हो गये हैं। वैकल्पिक मार्गो से गंतव्य स्थान की ओर जाने वाले क्षेत्रवासियो की समस्याओं को कोई सुनने वाला नहीं है। 

सांसद और विधायक एरा कंपनी के मामले पर रहस्यमय चुप्पी साध कर बताते हैं कि कमीशनखोरी की जड़ें कितनी मजबूत हो चुकी है। एरा कंपनी को फटकार संबंधी बाते तो अधिकारियो के बीच जमकर चर्चा में चलती है किन्तु एक अधिकारी भी ऐसा नही मिला है जो एरा कंपनी पर अंकुश लगा सकें। कंपनी के आला अधिकारी किसी की सुनते नही है। लोक निमार्ण मंत्री हो या कलेक्टर हो सभी यहा पर अपनी भड़ास निकालते है किन्तु कंपनी के अधिकारियो के खिलाफ और कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करते है। ऐसे में एरा कंपनी का गैरजिम्मेदार रवैया को कौन सुधारेगा? इस सवाल को जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। 

दरअसल एरा कंपनी को सत्ताधारी दल भाजपा के केन्द्रीय स्तर के एक बड़े मंत्री का आर्शीवाद की चर्चा पूरे अंचल में है और यही कारण है कि इस नेशनल लेबल के मंत्री के आर्शीवाद के खिलाफ कोई भी मंत्री या अधिकारी कार्यवाही करने से कतराते है। इस कारण से एरा कंपनी जो कि अपने निर्धारित समयसीमा को खत्म कर चुकी है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही अधिकारियो ने नही किया है। 31 मार्च 2017 को कंपनी को दिया गया निर्धारित समयावधि खत्म हो गया है किन्तु एरा कंपनी के कार्य में कोइ गति और गंभीरता नही दिख रही है। सारंगढ़ से चंद्रपुर के रोड़ की बदहाली इस कदर से भरा पड़ा है कि कोई भी व्यक्ति दुपहिया या चार पहिया वाहन में चंद्रपुर जाने से कतरा रहे है। भरे वर्षाकाल में मिट्टी का कार्य करने वाले इस कंपनी के खिलाफ  नवपदस्थ कलेक्टर ने कार्यवाही करने और जल्द से सडक़ निमार्ण करने का दबाव बनाया था किन्तु कुछ ही दिनो में सक्रियता दिखाने के बाद कंपनी के काम में फिर वही ढ़ीलापन आ जाता है जिसके लिये एरा कंपनी को बदनामरूपी जाना जाता है। 


बताया जा रहा है कि इस कंपनी की मनमानी से तंग आकर अधिकारियो ने कई पत्र राज्य शासन को लिखे है किन्तु बड़े केन्द्रीय मंत्री का आर्शीवाद के चर्चा का सत्य होने की खबरे इन पत्रो पर कोई कार्यवाही नही होने से और पुख्ता हो जाती है। जिसके कारण से कंपनी को जहा पर लगता है रात को मिट्टी डालकर रोड़ बनाने का कार्य प्रारंभ कर देते है। वही पूरे रोड़ की हालत इस कदर बदत्तर हो गई है कि क्षेत्रवासी हलाकान हो गये है।
सारंगढ़-चंद्रपुर-रायगढ़ अंचल के इस जीवन रेखा सडक़ के कारण से प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल चंद्रपुर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 25 प्रतिशत रह गई है। वही रिश्ता नाता में रिश्तेदार के घर जाने वाले कम हो गये है। इसका सीधा प्रभाव यहा की संस्कृति और जनजीवन पर साफ तौर पर दिख रहा है। रोड़ की बदहाली के कारण से धार्मिक कार्यक्रमों में  सारंगढ़ का चंद्रपुर के साथ संपर्क नहीं के समान रह गया है। वही वैकल्पिक मार्ग बरमकेला-सरिया-पुसौर मार्ग के होने के कारण से चंद्रपुर का व्यवसाय चौपट हो गया है। क्षेत्रवासी अब एक ही सवाल करते है कि क्या सारंगढ़-चंद्रपुर-रायगढ़ रोड़ बनेगा? या इसी प्रकार से खिलवाड़ अंचलवासियों के भावनाओं के साथ होते रहेगा।