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कानपुर - मौत के साये में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

कानपुर 20 जुलाई 2017. प्राथमिक स्‍कूलों की खस्ता हालत में कोई सुधार नही हो रहा है, कहीं योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो रहा है तो कहीं शिक्षक नहीं आ रहे हैं। सरकारी पाठशालाओं की दुर्दशा पर किसी प्रकार का न तो नवीनीकरण किया जा रहा है और न ही शिक्षा विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान दे रहे हैं। हालत यह है कि शहर में कई-कई प्राथमिक स्‍कूल की दशा बिगडती जा रही है।

बच्चों को शिक्षा दिये जाने के लिए शहर के कई प्राथमिक पाठशालायें हैं। इन पाठशालाओं में महज खानापूर्ति की जा रही है। बच्चे क्या कर रहे हैं, उन्हें किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है इससे शिक्षकों को कोई वास्ता नहीं है। इसी प्रकार 13/58 गांगुली हाता, परमठ स्थित प्राथमिक कन्या पाठशाला है, जो यहां के प्राचार्य संजय दि‍वेदी की देख रेख में चलता है। अचानक पहुंची हमारी टीम ने इस प्राथमिक कन्या पाठशाला में चार ही बच्चों को पाया और वह भी अकेला। बच्चे खेल में व्यस्त थे। बच्चों से पूछने पर उन्होंने बताया कि टीचर मंदिर गये हैं और कब आयेंगे पता नहीं।

यह भी बताया कि यहां कोई टीचर नहीं है और पढने के लिए वहीं आते हैं मतलब स्‍कूल में ज्यादा बच्चे भी नहीं है। विधालय पुरानी व जर्जन बिल्डिंग में बना है जो हाते में है। स्‍कूल में प्रवेश के लिए जीना जर्जर हालत में तो कक्षा के प्रवेश द्वार की छत गिर चुकी है बाकी की खतरनाक ढंग से लटकी हुई हैं, जो कभी भी गिर सकती है। बच्चों का यहीं से आना-जाना है। यदि कोई हादसा होता है तो खामयाजा बच्चों को भुगतना पड सकता है। काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब विधालय में कोई नहीं आया तो टीम वापस लौट आयी।