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कानपुर - मोदी जी के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता मामा तालाब

कानपुर 19 जुलाई 2017 (विशाल तिवारी). एक तरफ देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वच्छ भारत अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहे हैं ऐसे में उनकी मंशा कैसे पूरी होगी, जब उनके अफसर ही तालाबों के प्रति बेपरवाह बने हैं। कूड़ा-करकट फेंक कर तालाबों को पाटा जा रहा है, पर उन्हें फर्क नहीं पड़ रहा। बानगी के तौर पर कल्यानपुर क्षेत्र के मसवानापुर स्थित मामा तालाब को लिया जा सकता है।


जानकारी के अनुसार यहाँ लगभग 250 मीटर तक तालाब और सड़क के किनारे कूड़ा कचरा जमा हुआ हैं। कूड़ाघर बनाकर तालाब को गंदगी से लबालब कर दिया गया है, गंदे पानी से तेज दुर्गध भी उठती है, कई बार यहाँ भ्रूण फेंकने फेंकने का मामला भी सामने आया है। स्वच्छता के लिए तमाम कार्यक्रमों और प्रयासों के बावजूद अभी भी साफ सफाई का अभाव है। न ही कूड़ा निस्तारण के ठोस प्रबंध हुए। रही बात स्वच्छता को लेकर जागरुकता की, तो वह हाथ में झाड़ू लेकर फोटों खींचवानें संगोष्ठी, बैठकों और लंबी-चौड़ी बातों से आगे नहीं बढ़ सकी। स्वच्छता अभियान महज एक रस्म अदायगी बनकर रह गई। 

यही वजह है कि तालाब और सड़कों पर कूड़े के अंबार से शहरवासियों का जीना दूभर हो गया है। गंदगी के कारण महामारी फैलने की आशंका भी बनी रहती है वहीं बारिश होने के बाद तेज धूप निकलने से कूड़ा से उठने वाली दुर्गंध से लोगों को उस सड़क से नारकीय जीवन जी रहे हैं इसको लेकर प्रशासनिक अधिकारी पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। हम थोड़ा सा प्रयास कर जीवनदायी इन तालाबों का भविष्य संवार सकते हैं। ये हमसे कुछ लेते नहीं , मांगते नहीं, हमेशा देते रहे है। शुद्ध जल और हमारे निस्तार के जल संकट को हल करते रहे हैं। इसलिए हमारा कर्तव्य भी है कि इन धरोहरों को संरक्षित करने में अपना योगदान दें। ऐसे रख सकते हैं सुरक्षित तालाबों, जलाशयों में कचरा न डालें, ये सड़ कर पानी को प्रदूषित करते हैं। तालाबों में प्लास्टिक के कचरे न डालें, प्लास्टिक के कचरे सड़ते नहीं। उथला बनाने में सहायक होते हैं। 

अमूमन देखा जाता है कि इन तालाबों में वेस्टेज फूलों के कचरे डाले जाते हैं। जो सड़कर पानी को प्रदूषित करते है। फूलों को ऐसे स्थानों पर प्रवाहित करें, जहां बहता पानी हो। तालाब के किनारे गंदगी न फैलाएं, क्योंकि इन तालाबों से हजारों का निस्तार होता है। गंदगी के रोगाणु फैल कर पानी में चले जाते हैं और शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं। अपने बहुमूल्य समय में से थोड़ा समय निकाल कर ऐसे तालाबों के संरक्षण पर अभियान चला कर साफ-सफाई करें। ऐसा करने के लिए लोगों को भी प्रेरित करें। जिससे हमारे ये बहुमूल्य धरोहर आने वाली कई पीढिय़ों तक स्वच्छ जल देते रहेंगे।