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क्रेशर खदान में दबकर मरा डिगेश, निपटारे के लिए पिता को थमाया 65 हजार कैश

छत्तीसगढ़ 07 अप्रैल 2017 (जावेद अख्तर). डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बासुला के एक आदिवासी युवक डिगेश नेताम 38 वर्ष की 23 मार्च को डूमरडीहकला स्थित क्रेशर खदान में मौत हो गई और घुमका पुलिस घटना के 10 दिन बाद भी मामले में अपराध की दिशा तय नहीं कर पाई है। मृतक की मौत की कीमत स्‍वरूप उसके पिता श्याम लाल नेताम को मात्र 65 हजार रूपए कैश थमा दिया गया है।


शर्मनाक बात तो यह रही कि सत्ता सरकार से सीधे-जुड़े लोग ही उक्त आदिवासी युवक की मौत के मामले को दबाने में महती भूमिका निभाएं नतीजतन क्रेशर खदान में युवक की मौत से लेकर जिला अस्पताल में उसके पीएम और गांव में अंतिम संस्कार तक के घटनाक्रम की भनक आसपास के गांव वालों तक नहीं लग पाई।

आदिवासियों के लिए सरकार बेकार - 
'सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया और सबका साथ सबका विकास' जैसे नारा देने वाली भाजपा सरकार के शासनकाल में आदिवासियों की हालत कितनी बेहतर है, यह तो मुख्यमंत्री पुत्र व सांसद अभिषेक सिंह के क्षेत्र में आदिवासी व्यक्ति की मृत्यु पर प्रशासनिक कारगुज़ारी सारी कहानी खुद से बयां कर रही है। 'विश्वसनीय छत्तीसगढ़' का स्लोगन देने वाली सरकार के नुमाईंदे और भाजपाई भले ही ताल ठोंक रहे हैं पर इस स्लोगन की जमीनी हकीकत कुछ और है। 'विश्वसनीयता तो है ही नहीं' विशेषकर छग के मूल निवासियों के लिए। रसूखदार, भू-माफियाओं का मामला हो या फिर चाहे प्रशासनिक हो या पुलिस का। आम लोगों को न्याय के मामले में सरकार से सिवाए निराशा और आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा। जनदर्शन और लोक सुराज अभियान में ऐसे लाखों मामलों के आवेदन आए मगर हज़ार मामलों का भी निपटारा नहीं किया जा सका है।

मामला दबाने में लगे कई बड़े नाम - 
डूमरडीहकला स्थित राजनांदगांव निवासी रितेश जैन के क्रेशर खदान में 23 मार्च को बासुला के आदिवासी युवक डिगेश नेताम की मौत हो गई। मृतक के परिवार को नोटों की गड्डी थमा आदिवासी परिवार की चीख दबाने का पूरा प्रयास सफल होता दिखाई दे रहा है। इसलिए डिगेश की मृत्यु के मामले में न्याय मिलने की उम्मीद तो बेहद कम है। वैसे भी मामला किसी तरह दब जाए, इस कोशिश में क्रेशर खदान और भाजपा से जुड़े कई माई के 'लाल' लगे हुए है।

मामला बना संदेहास्पद - 
पूरे घटनाक्रम में कई तरह की अलग-अलग बातें सामने आई है। इससे मामला संदेहास्पद बन गया है। केशर खदान के मालिक रितेश जैन की मानें तो उक्त युवक काम करते वक्त खदान परिसर में निर्माणाधीन मकान से गिर गया। ठीक यही बात मृतक के पिता श्याम लाल को भी बताया गया है कि उसका बेटा निर्माणाधीन मकान से गिर गया था। मृतक के पिता श्यामलाल, उसके भाई हीरालाल सहित उसके परिजनों को यह बात गले नहीं उतर रही है कि महज काम करते समय निर्माणाधीन मकान के दस फिट उंचाई से गिरने डिगेश के प्राण पखेरू उड़ गए। जबकि वह शरीर से स्वस्थ और हुष्ट पुष्ट था।
मृतक के पिता श्यामलाल ने बताया कि जब उसके बेटे को एक गाड़ी में जिला अस्पताल ले जाया गया तो वह पूरी तरह से मूर्छित था। अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों ने उसे देखने तक नहीं दिया। बाद में उसके बेटे में मरचुरी की तरफ ले गए और उसे बाहर बैठने कह दिया गया। यहां पर साफ समझ में आ रहा है कि घटनाक्रम पर सत्ता सरकार से जुड़े क्रेशर वालों को पूरा सहयोग दिया जा रहा था। अस्पताल के डाक्टरों द्वारा दूसरे दिन पीएम के बाद शव को परिजनों को सौंपा​ गया। पीएम से पहले परिजनों को डिगेश का शव देखने नहीं दिया गया। यह संदेह के दायरे को और बड़ा करता है। 

बेटे का शव देखने से पहले राशि थमाई - 
मृतक के पिता श्यामलाल ने बताया कि डोम्हाटोला के रेखालाल साहू बिल्डिंग ठेकेदार ने उसके घर में आकर उसे पैंसठ हजार रूपए दिए और कहा कि तुम्हारा बेटा मेरे पास काम कर रहा था इसलिए ये सहयोग राशि मैं दे रहा हूं। इसके अपने तक सीमित रखना। यह पहला मामला है जिसमें मज़दूर की मौत के चंद घंटे बाद ही परिजनों को सहयोग राशि थमा दी गई, जबकि तब तक पिता ने डिगेश का शव तक नहीं देख पाए थे। 

मामले की जांच कर रहे घुमका थाने के एएसआई तिवारी का कहना है कि जिला अस्पताल की सूचना के बाद मामले में मर्ग कायम किया गया है। मामले की जांच जारी है। अभी पीएम रिपोर्ट नहीं आया है। एएसआई ने कहा कि मौत की परिस्थिति पूरी तरह से बयान के बाद ही स्पष्ट होगी।

यह गंभीर जांच का विषय यह है कि मौत निर्माणाधीन मकान से गिरने से हुई है या फिर क्रेशर खदान में कार्य के दौरान हुई है। क्या डिगेश के परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं। फिलहाल पुलिस की लुंजपुंज जांच कार्रवाई से यह भी साफ है कि उन पर भी क्रेशर खदान से जुड़े कई नामवर लोगों का दबाव है। यही कारण है कि मजदूर की मौत की पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। इधर बिल्डिंग ठेकेदार रेखालाल, कन्हैया निवासी डोम्हाटोला से लगातार उनके मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया पर बातचीत नहीं हो पाई।

प्रश्न उठता है - 
- आदिवासी युवक की मौत पर सत्ता से जुड़े बड़े लोग मामले को दबाने पर क्यों लगे रहे?
- पुलिस ने घटनास्थल पर छानबीन क्यों नहीं करने गई?
- वास्तव में मौत कैसे हुई, कारण आज तक स्पष्ट नहीं हुआ? 
- क्रेशर संचालक द्वारा घटनाक्रम का जो बयान दिया है, उसमें झोल ही झोल है? 
- आनन फानन में मृतक का अंतिम संस्कार क्यों करवा दिया गया? 
- महज दस फीट की ऊंचाई से गिरने पर स्वस्थ और हुष्ट पुष्ट व्यक्ति की मौत की थ्योरी संदेह पैदा कर रही? 
- वास्तविक घटनाक्रम पर पर्दा डालने की यह कहानी रची गई है?