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अधिकारियों की अनदेखी से बीमार पडा है अल्‍हागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

अल्हागंज 18 अप्रैल 2017. क्षेत्र का 30 बैड वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अधिकारियों की अनदेखी और चिकित्सकों के अभाव में बीमार पडा है। अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन और दवाओं का अभाव रहता है। जिसकी वजह से गम्भीर रुप से बीमार मरीज अपने इलाज के लिए सीमावर्ती जनपदों के बड़े अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं। 


प्राप्त जानकारी के अनुसार अस्पताल के प्रांगण में इण्डिया मार्क हैण्‍डपम्‍प पिछले एक साल से खराब पडा है। जलापूर्ति के लिए यहां ओवरहेड वाटरटैंक भी  है। लेकिन उसकी टोटियाँ पूरे अस्पताल में कहीं नजर नहीं आती हैं। कर्मचारियों के आवास के चारों तरफ़ उगी बडी बडी घास और झाडियों में मच्छर अपना स्थाई निवास बनाए हुऐ है। यहां सौर ऊर्जा की एक लाईट लगी है, लेकिन रात्रिकालीन अंधेरा बना रहेता है। अस्पताल का फ्रिज कई वर्षो से खराब पडा है। जिसकी वजह से एंटी रैबीज इंजेक्शन दवायें यहां आती ही नहीं है। अस्पताल में मेन गेट के अलावा दूसरे गेट के टूटे होने की वजह से वहाँ आवारा पशु घूमते रहते हैं। 

सफाई कर्मी की लापरवाही से यहां स्वच्छ भारत मिशन फ्लाप है। अस्पताल के कर्मचारी परिसर की सफाई कराना आवश्यक नहीं समझते यहां गम्भीर घायल मरीजों के आपरेशन थियेटर भी  हैं। लेकिन सी एच सी के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक सर्जन चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई है। इसके सर्जिकल उपकरण भी  कंडम हो चुके हैं। जिसकी वजह से ओ.टी में सदैव ताला लगा रहता है। मरीजों को रसोई की सुविधा के वास्ते भारत गैस की तरफ से एक गैस चूल्हा और दो गैस सिलेन्डर चार साल पहले दिए गऐ थे। जो अब कहीं नजर नहीं आते। मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम भी  नहीं है। यहां महिला चिकित्सक की पोस्ट तो है, लेकिन नियुक्ति नहीं की जा रही। मरीजों को शुद्ध पेयजल उपलब्‍ध कराने के वास्ते आरओ सेट भी  नहीं लगाया गया है। जनरेटर भी कई वर्षो से कंडम पडा है। 

सूत्रों के अनुसार यहां स्टाफ नर्स की संविदा पर नियुक्ति है। पर उनकी ड्यूटी जलालाबाद के सरकारी अस्पताल पर भी लगा दी जाती है। जिसकी वजह से महिला मरीजों को काफी असुविधा का सामना करना पडता है। अस्पताल में पैथालोजी विभाग भी  है। जिसमें मलेरिया रोग, T L C, D L C, यूरिन तथा बलगम आदि की जाँच करने की सुविधा तो है। लेकिन डायबिटीज रोगियों के खून के परिक्षण की सुविधा नहीं है। अस्पताल में एक वार्ड बाॅय तथा चौकीदार और दो फार्मासिस्ट की नियुक्ति है। लेकिन कई अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति होना बाकी है।


सीएचसी प्रभारी डा. राजेश रस्तोगी बोले -
अभी तक सीएचसी को पीएचसी की ही सुविधा प्राप्त थी। अब इसे सीएचसी का पूर्ण दर्ज़ा मिल चुका है। लेकिन अभी  तमाम आवश्यक सुविधाओं की पूर्ति होना आवश्यक है। उनका प्रयास मरीजों को बेहतर सुविधाएँ देने का है। जो कमियां हैं। उनको विभागीय अधिकारियों के सामने रख्खा जाऐगा।

CMO बोले -
सीएचसी अस्पताल ब्लाक स्तर पर होता है। लेकिन अल्हागंज जैसे छोटे स्थान पर ये कैसे बन गया ये आश्चर्य का विषय है। एंटी रैबीज इंजेक्शन की सुविधा ब्लाक स्तर पर होती है। इन इंजेक्शनों की पूर्ति का ठेका एक कम्पनी के पास है। जो समय पर इंजेक्शनों की पूर्ति नहीं कर पाती है।