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दक्षिण चीन सागर पर चीन ने दी ट्रंप को चेतावनी

बीजिंग 17 जनवरी 2017 (IMNB). चीन ने अमेरिका में राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप को आगाह किया है यदि पद संभालने के बाद उन्होंंने चीन की 'साउथ चाइना सी' पाॅॅलिसी के बीच कोई दखलअंदाजी की तो वह भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा रहेगा। चीन ने साफ कर दिया है कि यदि ऐसा कुछ होता है तो इसका खामियाजा अमेरिका का भुगतना होगा। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका और ताईवान के बीच उभरते संबंधों पर भी ट्रंप को आगाह किया है।

गौरतलब है कि ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद उनके और ताईवान के राष्ट्रपति के बीच फोन पर संबंधों को मधुर बनाने को लेकर बात हुई थी। उस वक्त से ही चीन अमेरिका से नाराज है और इसको लेकर पहले भी वह कई बार अमेरिका का आगाह कर चुका है। हालांकि ट्रंप ने भी चीन को कड़े लहजे में यह बात समझाने की कोशिश की है कि चीन उन्हें कोई आदेश देने की कोशिश न करे तो बेहतर होगा।

दरअसल चीन और अमेरिका केे बीच एससीएस, ताईवान समेत तीन ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर चीन खासा परेशान और नाराज है। इनमें से एक वन चाइना पॉलिसी भी है, जिसके तहत चीन को अमेरिका में अपना सामान बेचने के लिए कई तरह की रियायतें दी गई हैं। वहीं ट्रंप का कहना है कि इस तरह की रियायतें अमेरिका को भी मिलनी चाहिए अन्यथा इस पॉलिसी का कोई मतलब नहीं है। अमेरिका के इस रुख से चीन खासा नाराज है। इसको लेकर भी वह अमेरिका को आगाह कर चुका है।

पिछले दिनों वाल स्ट्रीट जनरल को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने इस बात को दोहराया भी था। उन्होंने साफ कर दिया था कि एक तरफा की गई यह पॉलिसी उनके देश के लिए सही नहींं है। इन सभी विवादास्पद मुद्दों पर चीन के अखबार ने लिखा है है कि यदि पद संभालने के बाद भी ट्रंप अपनी इस सोच पर कायम रहते हैं तो यह दोनों देशों के संबंध खराब कर सकता है, जो मान्य नहीं हो सकते हैं। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका को चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा होता है तो चीन के पास इसका जवाब देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा। वह भी हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठा रहेगा।

चीन ने किया आगाह -
ताईवान को लेकर अमेरिका को चेतावनी देने के साथ-साथ अखबार ने ताईवान को भी सीधे-सीधेे इसके लिए आगाह किया है। इसमें ऑल चाइना फेडरेशन ऑफ ताईवान कंपेट्रिएट यांग यिझू के हवाले से कहा गया है कि यदि उन्हें समय पर नहीं रोका गया तो फिर उन्हें रोक पाना मुश्किल होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो ताईवान की स्वायत्ता को मंजूूरी देते हैं, उसकी कीमत ताईवान को चुकानी होगी। यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि वर्ष 1979 से ही अमेरिका ताईवान को एक राष्ट्र के तौर पर मंजूर करता आया है।