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UP के कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, 7वें वेतन आयोग पर लगी मुहर

लखनऊ, 13 दिसंबर 2016 (IMNB). मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनावी साल में प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को मंगलवार को सातवें वेतन का बड़ा तोहफा दिया। कैबिनेट की बैठक के बाद इस पर मुहर लग गई। इस रिपोर्ट की मंजूरी के बाद कर्मचारियों को जनवरी से सातवें वेतन आयोग के मुताबिक नया वेतन मिलने लगेगा।

खास बात यह है कि सातवें वेतन की रिपोर्ट को मंजूरी के लिए कैबिनेट के मुख्य एजेंडे में न रखकर सप्लीमेंटरी एजेंडे में रखा गया था। क्योंकि यह रिपोर्ट वित्त विभाग के परीक्षण के बाद देरी से आ सकी। कैबिनेट में सातवें वेतन की रिपोर्ट के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए दूसरा अनुपूरक बजट और उससे संबंधित विनियोग विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी जाएगी। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2017-18 के अंतरिम बजट और चार माह के लेखानुदान तथा उससे संबंधित विनियोग विधेयक के मसौदे को भी मंजूरी दी जाएगी। क्योंकि 21 दिसंबर से बुलाए गए विधानमंडल के दोनों सदनों के सत्र में इनको सरकार को पास कराना है।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट के मुख्य एजेंडे में प्रदेश में मेगा उद्योग लगाने के लिए यूपी अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति-2012 में संशोधन करके और रियायतें देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। इसी तरह गांधी जयंती दो अक्तूबर से खादी वस्त्रों पर दी जाने वाली विशेष छूट को मंजूरी दी जाएगी। प्रदेश में बंद पड़े सिनेमाघरों को चालू कराने के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी जाएगी। कैबिनेट में पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की विशेष जोखिम भरे कार्य के दौरान अदम्य साहस और वीरता दिखाते हुए मौत होने पर माता पिता को अनुग्रह राशि पांच लाख रुपये स्वीकृत करने का प्रस्ताव है। एसटीएफ के बेकार वाहनों की जगह 26 नई स्कार्पियो खरीदने का प्रस्ताव है। 

कैबिनेट द्वारा इटावा की तहसील जसवंत नगर के नौ गांवों को तहसील जसवंत नगर से अलग करके तहसील सैफई में शामिल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। बहराइच की तहसील सदर, नानपारा, महसी और कैसरगंज के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। बहराइच में मिहीपुरवा (मोतीपुर) को नई तहसील बनाया जाएगा। जौनपुर की नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार किया जाएगा। कैबिनेट में व्यापक जनहित में समाजवादी स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू किया जाएगा। पीएमएस काडर के विशेषज्ञ डाक्टरों को रिटायरमेंट के बाद 70 साल की आयु तक उनको दोबारा सेवा में रखा जा सकेगा। इससे सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी दूर होगी।