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अल्हागंज - सरकारी अस्पताल बना शोपीस, दवायें हैं नहीं और डाक्टर आते नहीं

अल्हागंज 06 अक्टूबर 2016 (अमित बाजपेई). एक तरफ डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ कस्बे का सामुदायिक स्‍वास्‍थ केन्द्र शो पीस बन गया है, जहाँ दवाऐं हैं नहीं और डाक्टर आते नहीं हैं। इस स्थिति के चलते मरीजों का भरोसा टूट गया है और मरीज अब यहां आने से कतराने लगे हैं।

प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार क्षेत्र मे डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। स्‍थानीय अस्पताल में इन दो बडी बीमारियों से निपटने के लिए केवल फार्मासिस्ट उपलब्‍ध है और वो भी केवल पैरासीटामोल टेबलैट दे कर मरीजों को टरका रहे हैं। यहां डाक्टर न होने की वजह से डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित मरीजों ने इन बीमारियों से निपटने के लिए बरेली, फरुखाबाद, शाहजहाँपुर और आगरा के अस्पतालों का रुख कर लिया है। डेंगू से स्थानीय निवासी शंकुतला देवी की मौत हो चुकी है, जब कि नगर व क्षेत्र के कई मरीज़ फरूखाबाद व बरेली के अस्पतालों में भर्ती बताऐ जाते हैं। जिसमें इंका के पूर्व नगर अध्यक्ष ब्रजेश सिंह भी शामिल हैं। अब तो नगर पंचायत चेयरमैन चन्द्रेश गुप्ता भी  चिकनगुनिया बुख़ार से पीड़ित हैं। अस्पताल में मौजूदा समय में एक फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाए तथा दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं कोई भी महिला या पुरूष चिकित्सक उपलब्‍ध नहीं है। इस स्थिति के चलते यहां सन्नाटा  फैला है।

नगर पंचायत ने शुरू की फाॅगिंग -

नगर में फैलती बीमारियों और बढते मच्छरों के प्रकोप को देखते हुए नगर पंचायत ने वार्डो में दो फागिंग मशीनों से फागिंग कराना शुरू कर दिया है, जिसका मच्छरों पर कोई फर्क पडता नहीं दिखाई दे रहा है।

सी.एम.ओ. डाक्टर कमल कुमार ने खुलासा टीवी से कहा कि जलालाबाद तहसील क्षेत्र में केवल दो ही चिकित्सक तैनात हैं जिनको सभी अस्पतालों में नहीं भेजा जा सकता है। आप शुक्र मनाइये कि अल्हागंज में फार्मासिस्ट तो है वरना कहीं-कहीं तो वो भी उपलब्‍ध नहीं होता है। दवाओं के बारे में उनका कहना है कि डेंगू और चिकनगुनिया के इलाज में पैरासीटामोल टेबलैट ही प्राप्त है। अस्पताल में अगर एन्‍टी बायोटिक दवा नहीं है तो क्या फ़र्क पडता है। सीएमओ का ये अजीबोगरीब बयान बताता है कि उनको गरीबों की कितनी परवाह है।

हमारा सवाल है कि सरकारी अस्पताल और डाक्‍टरों का जब ये हाल है तो गरीब मरीज़ आखिर अपना इलाज कहां कराये ?