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आबकारी विभाग के अंकुश में नहीं रहे शराब ठेकेदार, आधी रात बाद भी खुलेआम बिक रही शराब

छत्तीसगढ़ 19 जुलाई 2016 (अरमान हथगेन).  कोरिया जिले में आजकल आधी रात बाद भी शराब खुलेआम बिक रही है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शराब ठेकेदारों पर आबकारी विभाग का कोई अंकुश नहीं रह गया है। ठेकेदारों द्वारा अपने निर्धारित ठेके के साथ अपने आस-पास के कई स्थानों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी शराब की सप्लाई करने के साथ वहां अवैध ठेके भी खोले जा रहे हैं।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कोरिया जिले में आबकारी विभाग द्वारा ठेका पद्धति के माध्यम से निर्धारित स्थानों पर शराब बेचने के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं। उन लाइसेंस धारियों को उस निर्धारित क्षेत्र में अपने ठेके पर ही शराब बेचने का अधिकार होता है। लेकिन उन्हीं में से कई ठेकेदारों द्वारा अपने निर्धारित ठेके के साथ अपने आस-पास कई स्थानों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी शराब की सप्लाई करने के साथ वहां अवैध ठेके भी खोल दिए जाते हैं। जो उन स्थानों में शराब की खुले आम बिक्री करते हैं।
    
आबकारी विभाग द्वारा हो रही है खानापूर्ति –
शराब ठेकेदारों की दीदादिलेरी से प्रतीत होता है कि आबकारी विभाग द्वारा शराब के ठेकों की जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। अधिकारी अपने हिसाब से ही ठेकों का निरीक्षण कर इतिश्री की जा रही है। जबकि खुलेआम अधिक मूल्य में शराब बेची जा रही है।
  
अधिक मूल्य में बिक रही शराब –
विभाग द्वारा प्रति शराब की बोतल का एक मूल्य निर्धारित किया गया है, लेकिन ठेकेदारों द्वारा मनमर्जी से पैसे लिए जा रहे हैं। जिस पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लग पा रहा है। शराब के ठेकेदारों द्वारा खुलेआम अत्यधिक राशि वसूली जा रही है, लेकिन विभाग इस ओर आंखें मूंदकर बैठा है।

एमआरपी से ज्यादा मूल्य पर शराब बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रहे अधिकारी -
शराब ठेके द्वारा अधिक मूल्य पर शराब बेचे जाने की जानकारी विभाग को कई बार शराब खरीददारों द्वारा आबकारी के अधिकारियों से की गई परंतु उनकी शिकायत या सूचना पर बातचीत करने की बजाए शिकायतकर्ताओं को ही भगा दिया गया। इससे समझ सकते हैं कि अधिकारी शराब ठेकेदारों को ऐसी मनमानी करने के लिए बढ़ावा ही देना माना जा सकता है।

आसानी से आधी रात को मिलती शराब –
शराब दुकानों का समय निर्धारित है पर जिले में कई ऐसे अवैध शराब ठेके है जिन्हे कोचिए रात के वक्त संचालित करते है। कई ठेके ऐसे भी हैं जिनका शटर तो डाउन होता है परंतु खटखटाने पर अंदर से आवाज़ आती है। फिर जो चाहिए उसका नाम बोलिए और बोतल हाजिर। बस निर्धारित मूल्य से 50 रूपये अतिरिक्त देना पड़ता है। बस स्टैंड व अन्य कुछेक ठेके बंद हो जाने के बाद कोचिए ठेके के आसपास ही बोरे में कई ब्रांड की बोतलें पौव्वा से लेकर फुल तक रखे होतें हैं। जिसको जानकारी होती है वह आसानी से 50-100 रूपये अतिरिक्त देकर शराब ले लेतें हैं। यहां तक कि आसपास के कई होटल व भोजनालय वालों को भी जानकारी है जो कि देर रात होने पर स्पेशल सुविधा के नाम पर शराब मुहैय्या कराने के लिए कोचिओं से शराब खरीदी जाती है।

शराब माफियाओं के इशारे पर नाच रहा आबकारी विभाग -
शराब ठेकेदारों की मनमानी पूरे शबाब पर है। ठेके पर ही अवैध शराब तक की बिक्री खुलेआम की जा रही है। मनमाने समयानुसार शराब की दुकानें खोली व बंद की जा रही है। आधी रात के बाद भी अधिकांश ठेकों से शराब बेची जा रही है। परंतु आबकारी विभाग के अफसरों द्वारा आज तक न ही रोकथाम का प्रयास किया जा रहा और न ही किसी पर कार्यवाही की गई। शराब ठेकेदारों के मनमुताबिक पूरा आबकारी विभाग काम कर रहा है। विभाग के अफसरों को इन बातों से कोई सरोकार नहीं है क्योंकि शराब ठेकेदारों द्वारा की जा रही मनमानियों के बदले अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाया जा रहा जिससे सभी अफसर खुश व संतुष्ट हैं।