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रिश्वत मांगने के मामले में प्रधान आरक्षक को 3 साल की सजा

छत्तीसगढ़ 04 जुलाई 2016 (अरमान हथगेन). बैकुंठपुर(कोरिया) में एक मामले से बचाने के एवज में 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में एक प्रधान आरक्षक को कई धाराओं के तहत दंडित किया गया है। आरोपी को क्रमशः तीन वर्ष/तीन वर्ष के सश्रम करावास की सजा से तथा दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है।

 
प्राप्‍त जानकारी के अनुसार अभय कुमार शर्मा ने 30 मई 2013 और 1 जून 2013 को उप पुलिस अधीक्षक एंटी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में शिकायत किया था कि उसके छोटे भाई विकास शर्मा को थाना चिरमिरी के द्वारा नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में गिरफ्तार कर मनेन्द्रगढ जेल में रखा गया है। विकास के दो मोबाइल सेट को थाना चिरमिरी के प्रधान आरक्षक राम प्रकाश साहू ने अपने पास रख लिया है। जब वह मोबाइल वापस लेने गया तब उक्त प्रधान आरक्षक ने मोबाइल वापस करने के लिए 5 हजार रुपए की मांग की और धमकी दिया कि अपहरण के मामले में वे उसको तथा उसके पिता को फंसा सकते हैं। मामले से बचने के लिए उसने 15 हजार रुपए की मांग की। इस पर अभय ने 27 मई 13 को 1 हजार रुपए दे दिया था और 4 हजार रुपए बाद में देने का वायदा किया था। अभय ने 30 मई 13 को अपने मोबाइल के जरिए प्रधान आरक्षक राम प्रकाश साहू से उसके मोबाइल पर बात की। इस दौरान प्रधान आरक्षक ने दोनों मोबाइल वापस करने के लिए 4 हजार रुपए और उसे व उसके पिता जय राम शर्मा को अपहरण केस से बचाने के लिए 15 हजार रुपए मांगे।

मोबाइल में हुई बातचीत को अभय शर्मा ने अपने मोबाइल में रिकार्ड कर लिया और सीडी बनाकर एंटी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर को सौंपते हुए न्याय की गुहार लगाई। विशेष सत्र न्यायालय द्वारा मामले में अभियुक्त रामप्रकाश साहू धारा 7 एवं 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के आरोप मे क्रमशः तीन वर्ष/तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा से तथा दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। ये दोनो सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियुक्त को प्रदत्त करावास की दोनों सजा एक साथ भुगतानी होगी। प्रत्येक आरोप में दी गई अर्थदंड की राशि दो-दो हजार मिलाकर 4 हजार रुपए देने होंगे। चार हजार रुपए नहीं देने पर प्रत्येक चूक के लिए छह महीने की अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से अर्थात कुल बारह माह के अतिरिक्त सश्रम करावास की सजा से दंडित किया गया है।

आरक्षक रंगे हाथों पकड़ा गया था –
शिकायत मिलने के बाद एक बार फिर से रिश्वत मांगने के संबंध में प्रधान आरक्षक से बात करवाई गई रकम अधिक होने के कारण बातचीत के दौरान अभियुक्त राम प्रकाश साहू 14 हजार रुपए लेने के लिए तैयार हो गया। इस रकम को लेकर जैसे ही अभियुक्त ने अपने पास रखा जांच दल ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। विशेष सत्र न्यायालय द्वारा मामले में अभियुक्त रामप्रकाश साहू को रिश्वत मांगने का दोषी पाया गया। इसलिए उसके खिलाफ माननीय न्यायालय ने सजा सुनाई।