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मथुरा हिंसा - अब तक 368 लोगों की गिरफ्तारी, 48 घंटे बाद भी मास्टमाइंड को लेकर सस्पेंस बरकरार

मथुरा, 04 जून 2016 (IMNB)। मथुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने अब तक 368 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं घटना के 48 घंटे बाद भी मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव पुलिस की पहुंच से बाहर है. पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि जवाहर बाग में मिली लाशों में एक रामवृक्ष की भी हो सकती है।

डीजीपी जावीद अहमद ने कहा है कि शिनाख्त के लिए सभी लाशों का डीएनए टेस्ट भी करवाया जाएगा. पुलिस ने हिंसा के मामले में माओवादियों के हाथ होने की जांच किए जाने की बात भी कही है. इस बीच शुक्रवार देर रात सांसद हेमा मालिनी मथुरा पहुंची. उन्होंने इस हिंसा के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मुझे लोगों की चिंता है, तभी मैं यहां आई हूं. मैं समय-समय पर आती रहती हूं पर राज्य सरकार कहां है? कानून-व्यवस्था कहां है? उन्होंने कहा कि मैं यहां शहीद पुलिस अधिकारियों के परिजनों से मिलूंगी. अस्पताल में घायल पुलिसवालों से मिलूंगी. डीएम से भी मिलूंगी.

हेमा मलिनी ने पूछा कि यहां राज्य सरकार क्यों नही आई? मुझसे सवाल पूछने वाले पहले मेरे सवालों का जवाब दें. उन्होंने पूछा कि सरकार और पुलिस के आसपास इतने हथियार जमा हो गए कैसे? उन्होंने कहा कि मुझे तो दो महीने पहले इस कब्जे का पता चला. मैंने अधिकारियों से बात भी की थी. इस घटना की सीबीआई जांच होनी ही चाहिए. मैं घटनास्थल पर जाऊंगी और धरना-प्रदर्शन में हिस्सा लूंगी.

इस बीच सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण को पूरी तरह हटा दिया है. यूपी के डीजीपी जावीद अहमद ने कहा कि 'जवाहर बाग में पुलिस पर हथियारों और लाठियों से हमला हुआ. इसके बावजूद पुलिस ने उपद्रवियों को कड़ी चुनौती दी.' उन्होंने कहा, फिलहाल जवाहर बाग पूरी तरह खाली करा लिया गया है. उपद्रवियों ने विस्फोटक और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया. झोपड़ियों में गैस सिलेंडर और विस्फोटक छुपा कर रखे गए थे.

विदित हो कि मथुरा में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर फायरिंग में SP सिटी मुकुल दिवेदी और एक SO संतोष कुमार यादव समेत 24 लोगों को मार दिया गया. साथ ही कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए हैं. हिंसा के बाद घटनास्थल से 315 बोर के 45 हथियार और दो 12 बोर के हथियार बरामद किए गए. कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 47 पिस्टल और पांच राइफल भी बरामद की. मथुरा में कथित सत्याग्रही लीडर रामवृक्ष यादव और उसके राजनीतिक कनेक्शन को लेकर चर्चाएं आम होना शुरू हो चुकी हैं। लोकल पुलिस से लेकर क्षेत्रीय लोग तक रामवृक्ष को गुंडा बता रहे हैं। पुलिस पर हमले के मास्टर माइंड रामवृक्ष को लोग एक बड़े सपा नेता का बिजनेस पार्टनर तक बताने से नहीं चूक रहे। रामवृक्ष पर एक दो नहीं बल्कि करीब दर्जन भर अपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। अंदरखाने की बात यह है कि नेताजी की सरपरस्ती होने से खाकी भी अभी तक पूरी तरह से मौन ही बनी रही।

गाजीपुर जनपद के मुरगढ़ थाना क्षेत्र के बागपुर गांव निवासी रामवृक्ष यादव ने करीब तीन साल पहले जवाहर बाग में सत्याग्रह की आड़ को लेकर यहां डेरा जमाया था। उसके बाद वह ऐसा काबिज हुआ कि पुलिस और प्रशासन उससे पानी मांगने लगा। जो चाहा, जब चाहा रामवृक्ष करता रहा। न उसे कोई रोकने वाला और न ही उसकी बढ़ती गुंडई पर कोई नकेल कसने वाला। सरकारी अफसरों से जब वह भिड़ा तो मुकदमे दर्ज हुए लेकिन प्रशासन की हिम्मत नहीं पड़ी कि उस पर सख्ती से कार्रवाई करे। रामवृक्ष ने पहला अपराध जून 2014 के महीने में किया। जयगुरुदेव आश्रम के रवि और सुरेश के साथ उसने कथित सत्याग्रहियों के साथ मारपीट की। सदर पुलिस ने रामवृक्ष समेत करीब दो सौ लोगों पर मुकदमा तो दर्ज किया लेकिन कार्रवाई के नाम पर पुलिस सिफर रही। रामवृक्ष का हौसला बढ़ा और उसने जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय पर हमला कर सरकारी संपत्ति को दो बार नुकसान पहुंचाया। दोनों ही मामलों में उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने रामवृक्ष और उसके समर्थकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। 

22 जुलाई 2015 को रामवृक्ष तत्कालीन सदर थानेदार प्रदीप कुमार पांडेय से भिड़ गया। उन्होंने उसके खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने समेत कई संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया। एक अधिवक्ता ने रामवृक्ष के खिलाफ लूट की रिपोर्ट भी लिखाई। तहसील में तोड़फोड़ करने पर लेखपाल ने रामवृक्ष के खिलाफ सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज कराई। अब तक रामवृक्ष पर करीब 10 मुकदमें पंजीकृत हो चुके हैं लेकिन पुलिस ने कभी उसके खिलाफ सख्ती नहीं बरती। यही वजह रही कि दिन पर दिन उसके हौसले बढ़ते रहे। स्थानीय लोगों की माने तो जवाहर बाग कभी सुंदर पार्क हुआ करता था लेकिन कब्जा करने के बाद स्थानीय लोगों के साथ रामवृक्ष और उसके गुंडों ने कई बार मारपीट की। जिसकी वजह से लोगों ने अंदर जाना ही छोड़ दिया। गुरुवार को जिस तरह से पुलिस टीम पर अवैध हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग और बमबाजी की गई, उससे यह बिल्कुल साफ हो गया कि सत्याग्रहियों के नाम पर रामवृक्ष ने अपराधिक प्रवृत्ति वाले गुंडों की फौज पाल रखी थी।