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इलाहाबाद में हो रहा डांस के नाम पर देह व्यापार, सात लड़कियों से पकड़ में आया जिस्मफरोशी का कारोबार


छत्तीसगढ़ 20 जून 2016 (अरमान हेथगेन). बालोद जिले में मानव तस्करी का बड़ा मामला सामने आया है। इलाहाबाद में डांस के नाम पर देह व्यापार में धकेली जा रही राज्य की 07 लड़कियों को पुलिस ने छुड़ाया है। बालोद पुलिस को इस मामले में बड़ी सफलता मिली है। दो महिला आरोपी पकड़ी गई हैं। बताया जाता है कि राज्य की 14 लड़कियां इस गिरोह के चंगुल में थी। पीड़ित लड़कियों को मुक्त करवा लिया गया है।

छह लड़कियों को छुड़ाने व सरगना शेरू को पकड़ने के लिए टीम रवाना की गई है। इस मामले में कुल 7 लड़कियों को बचाकर छत्तीसगढ़ लाया गया, जो सभी नाबालिग हैं। इनमें बालोद की 1, कोरबा की 3 व चांपा जांजगीर की 3 लड़कियां शामिल हैं। जहां से लड़कियों को गिरफ्तार किया गया वहां पर नेपाल और उत्तरांचल क्षेत्र की भी लड़कियां मिली हैं। अभी छत्तीसगढ़ से और लड़कियों के शामिल होने की सम्भावना है। पुलिस के अनुसार, नाबालिग लड़कियों को पैसे कमाने का जरिया बनाया गया था। जवाहर पारा की 'धनेश्वरी देवार' इसकी मुख्य सूत्रधार थी, जो वैसे तो भीख मांगने का काम करती थी, किन्तु इसकी आड़ में वह ऐसी गरीब लड़कियों पर नजर रखती थी जिन्हें डान्स सिखाने का ऑफर देकर अच्छे काम में लगाने का लालच दिया जाता था। इसके बाद इन लड़कियों को देह व्यापार के घिनौने कार्य में लगाने का काम सुरेश सोनकर नामक दलाल और इलाहाबाद में रह रही अपनी बहन पायल के माध्यम से करवाया जाता था। पीड़ित लड़कियों को मुक्त करवा लिया गया है।

पीड़ित लड़कियों ने इन दरिंदों के दहला देने वाले कृत्य को अपने मुख से बताया, जिसे सुनकर रौंगटे खड़े हो जाए। जिसमें उन्होंने बताया कि इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में उनसे डांस सिखाने का कार्य करने, जिसके बदले अच्छा खासा वेतन व अन्य सुविधाएं (रहने व खाने) देने की बातचीत की गई थी, अधिक गरीबी और प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के चलते स्थिति अत्यधिक दयनीय थी। ऐसे समय में अच्छी नौकरी मिलना ही बड़ी बात थी, सो घर परिवार व अच्छे भविष्य का सोचकर जल्दीबाजी में चले गए। दो चार दिनों तक ठीक ठाक रहा परंतु तीन चार दिनों पश्चात संभवतः खाने या पीने के खाद्य पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाया गया था जिसके कारणवश हम हल्के फुल्के होश में तो थे परंतु विरोध करने की स्थिति में तो बिल्कुल भी नहीं थे। फिर हमारे साथ बार बार लगातार जबरदस्ती की गई। जिसके बाद प्रमुख रूप से उनका सौदा कर बेच देना, खाने में नशीली गोलियों का सेवन करवाना, जबरदस्ती डांस के बहाने व्यभिचार के कार्यों में लगवा देना, आये दिन मारपीट करना आदि रोज का काम था। जिससे हम सभी अंदर से टूट चुकी थी। परंतु एकाएक पुलिस हमारे सामने पहुंच गई और हम सभी को उस नरक भरी जिंदगी से बचा कर निकाल लाई। अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि हम सभी सुरक्षित हैं और अपने अपने घर जाने वाले हैं। पुलिस हमारे लिए भगवान जैसी ही है, हम सभी को नया जीवनदान दिया है। पुलिस की छवि जैसी बताई जाती है या लोगों ने बना ली हैं, पुलिस बिल्कुल भी वैसी नहीं है। इस पूरे अभियान में थाना प्रभारी कोतवाली बालोद प्रेमचंद साहू, महिला पुलिस से लता तिवारी, निर्मला कोठारी के साथ क्राइम ब्रांच की भूमिका सराहनीय रही।