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छत्तीसगढ़ - फिक्की द्वारा प्रदेश के तीन पुलिस अफसरों को दिया गया स्मार्ट पुलिसिंग पुरस्कार

छत्तीसगढ़ 10 मई 2016 (रवि अग्रवाल). FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंम्बर्स ऑफ कामर्स एण्ड इंड्रस्‍ट्रीज) द्वारा बीते दिनों छत्तीसगढ़ के तीन पुलिस अधिकारियों को अलग-अलग क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए देश के बहुप्रतिष्ठित SMART POLICING AWARDS (स्मार्ट पुलिसिंग आवार्ड) 2016 से सम्‍मानित किया। छत्तीसगढ राज्य को पहली बार यह पुरस्कार प्राप्त हुआ।

छत्तीसगढ़ की पुलिस ने एक साथ तीन अलग-अलग श्रेणियों में बाजी मारी। छग पुलिस प्रशासन खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा है तथा पुलिस अधिकारियों पर शासन, प्रशासन सहित पूरे प्रदेश को नाज़ है। फिक्की ने भारत में पुलिस व्यवस्था में सर्वोत्तम तरीकों के लिए 'स्मार्ट पुलिस पुरस्कार' की स्थापना की है। पुरस्कार का उद्देश्य सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों को सामने लाना और पुरस्कृत करना है। भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अर्थव्यवस्था के साथ, शहरों और महानगरों में जनसंख्या का बहुत तेजी से विकास हुआ है। अपने नागरिकों, कारोबार और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के बचाव व सुरक्षा बनाए रखने के लिए स्मार्ट पुलिसिंग महत्वपूर्ण आवश्यकता है। यह शहरी इलाकों में संगठित अपराध में वृद्धि और दुनिया भर में आतंकवाद संगठनों के बीच बढ़ते गठजोड़ की रोशनी में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। 

स्मार्ट पुलिसिंग अवार्ड 2016 में मानव तस्करी (Human Trafficking) श्रेणी में मानव तस्करी पर प्रभावी रोकथाम के लिए रायगढ़ पुलिस अधीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला, सिटीजन कॉप मोबाइल एप्लीकेशन के लिए रायपुर पुलिस महानिरीक्षक जी.पी. सिंह एवं रोड सेफ्टी व ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए रायपुर यातायात पुलिस के प्रधान आरक्षक टिकेलाल भोई को आवार्ड प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार दिनांक 05.05.2016 को फिक्की फेडरेशन नई दिल्ली के सभागार में श्री हरिभाई पारथी भाई चौधरी केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री, भारत सरकार द्वारा डॉ. संजीव शुक्ला (भा.पु.से.) पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को प्रदान किया गया। इस अवसर पर श्री मनिन्दर जीत सिंह बिटटा, चेयरमेन ऑल इंडिया एंटी टेरिरिस्ट फ्रंट, श्री जी.के. पिल्लई, पूर्व गृह सचिव भारत सरकार, श्री राकेश अस्थाना अति. पुलिस महानिदेशक सी.बी.आई., श्री ताज हसन स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस क्राईम दिल्ली, डॉ. आर.पी. शर्मा सहायक पुलिस महानिदेशक विजीलेन्स ओड़ीसा, डॉ. के.पी.ए. इल्यास डिप्टी कमिश्नर आफॅ पुलिस दिमापुर नागालैण्ड, श्री रमेश रेड्डी ए.आई.जी. तेलंगाना तथा श्री पुथीयोतिल विजयन डी.आई.जी. इंटेलिजेंस एण्ड रेल्वे केरला विशेष रूप से उपस्थित थे। 

उल्लेखनीय है कि FICCI (फिक्की) द्वारा प्रतिवर्ष 9 अलग अलग क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करने के लिये स्मार्ट पुलिसिंग अवार्ड से सम्मानित किया जाता है। स्मार्ट पुलिस अवार्ड-2016 के इन पुरस्कारों के लिये 19 राज्यों तथा 03 केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों से 91 प्रविष्टयां प्राप्त हुई थी। प्राप्त प्रविष्टयों का उच्चस्‍तरीय ज्यूरी द्वारा गहन परीक्षण कर अलग अलग क्षेत्रों के लिये कुल 09 पुलिस अधिकारियों को नामांकित किया गया था। ज्यूरी के सदस्यों में श्री जी.के. पिल्लई, पूर्व गृह सचिव भारत सरकार, श्री एन.रामचन्द्रन, भूतपूर्व पुलिस महा‍निदेशक (असम और मेघालय), श्रीमति मंजरी जरोहर, भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक (CISF), श्री आलोक बंसल, डायरेक्टर इंडिया फाउण्डेशन, श्री मिलन नरेन्द्र, ई.आर. शामिल थे। फिक्की द्वारा आवार्ड से सम्मानित तीनों पुलिस अधिकारियों को प्रदेश के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, काव्या फाउंडेशन के संचालक नरेंद्र पांडेय, समर्पण हास्पिटल के डायरेक्टर डा गंभीर सिंह, फ्लैश न्यूज़ चैनल के स्टेट हेड योगेश मिश्रा, खुलासा टीवी के छग स्टेट हेड जावेद अख्तर, सलाम छत्तीसगढ़ अखबार के रायगढ़ संवाददाता रवि अग्रवाल द्वारा बधाई व शुभकामनाएं दी गई। 

देश के बहुप्रतिष्ठित SMART POLICING AWARDS 2016 से पुरस्कृत होने वाले सभी पुलिस अधिकारियों को खुलासा टीवी परिवार, आईरा, सलाम छत्तीसगढ़ व फ्लैश न्यूज़ परिवार की ओर से ढेरों शुभकामनांए। बाल सुरक्षा श्रेणि में झारखंड पुलिस को बाल हितैषी पुलिस अभियान (JCFPC) के लिए: JCFPC की सफलता झारखंड पुलिस द्वारा उठाए गए तीन दृष्टिकोण पर आधारित है- बाल हितैषी पुलिस थाने, हिंसा खत्म करने का अभियान और ऑपरेशन मुस्कान, जिसका उद्देश्य गुमशुदा और तस्करी के शिकार बच्चों का बचाव और पुनर्वास है। 1,832 से अधिक बच्चों को आपरेशन मुस्कान के तहत बचाया गया, 27 पुलिस थानों को बच्चों के अनुकूल बनाया गया, 453 पुलिसकर्मियों बच्चे के अनुकूल होने के लिए प्रशिक्षित किया गया, 929 को बच्चों की शोषण से रक्षा करने वाले नियमों में प्रशिक्षित किया गया। गुजरात पुलिस को सुरक्षित सूरत शहर परियोजना – 'सुरक्षा सेतु' के लिए सामुदायिक पुलिसिंग का पुरस्कार: यह भारत की पहली सुरक्षित शहर परियोजनाओं में से एक है जिसे सूरत में निगरानी, अपराध रोकने और पता लगाने, घटना के बाद फॉरेंसिक जांच, यातायात प्रबंधन और लागू करने, आपदा प्रबंधन में सहायता देने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए तैयार किया गया है। परियोजना के कार्यान्वयन के बाद, सूरत में अपराध दर में 27 प्रतिशत कमी देखी गई है। बुजुर्ग लोगों की सुरक्षा के लिए कटक और भुवनेश्वर पुलिस ने कई उपाय किए जिसने अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा सुधारने में सहायता की। पिछले ढाई 2 साल में पंजीकृत किसी भी वरिष्ठ नागरिक ने किसी भी आपराधिक घटना की सूचना नहीं दी है। मानव तस्करी के जाल में फंस जाने वाले बच्चों के बारे में संबंधित थानों में जानकारी दर्ज करने के लिए एक बड़ा जागरूकता अभियान और शिविरों को शुरू किया गया। 

इन अभियानों के कारण, धर्मजयगढ़ और कापू के क्षेत्रों में इस तरह के बच्चों के रिश्तेदारों ने लापता बच्चों के बारे में पुलिस को बहुमूल्य जानकारी प्रदान की है और जिससे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पुलिस को मदद मिली है। हैदराबाद यातायात पुलिस ने कैशलेस, गैर संपर्क यातायात प्रवर्तन शुरु किया है जिसके माध्यम से किसी भी पुलिस कर्मी को यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना नगद में लेने अनुमति नहीं है। नियमों का उल्लंघन करने वाले को यातायात अधिकारी एक टिकट जारी करता है जिसका भुगतान विभिन्न पेमेंट गेटवेस के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा, नागरिकों में विश्वास पैदा करने और यातायात प्रवर्तन अधिकारियों के साथ-साथ नागरिकों के बीच सामाजिक रूप से वांछनीय व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए, हैदराबाद यातायात पुलिस ने भारत में पहली बार, मोर्चे पर तैनात अपने सभी यातायात प्रवर्तन अधिकारियों के लिए शरीर पर पहने जाने वाले कैमरों (BWCs) की शुरुआत की है। नगालैंड में उग्रवाद की समस्या के साथ, वाहनों की चोरी के साथ ही सीमा पार तस्करी को देखते हुए वाहन चेकिंग व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति बना हुआ है। नागालैंड पुलिस 'नागालैंड पुलिस एसएमएस आधारित वाहन निगरानी प्रणाली' (NPSVMS) विकसित की है। इस नए आईटी प्रणाली के विकास के साथ, आपराधिक गतिविधियों विशेष रूप से वाहनों की चोरी को रोकने में पुलिस की दक्षता में सुधार हुआ है। महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के लिए भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय ने एक नई पहल की अवधारणा रखी है जिसमें कई अभिनव उपाय, उपलब्ध संसाधनों का लाभ, संचार प्रौद्योगिकी और सामाजिक मीडिया, गैर सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को अपनाया गया है। सीआईएसएफ ने 2015 में महसूस किया कि हवाई अड्डों की सुरक्षा क्षेत्र में यात्रियों द्वारा छोड़ी गई नकदी, आभूषण, लैपटॉप, सेलफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम का कुल मूल्य 32.15 करोड़ रुपए है। जब्ती के बाद और अर्धसैनिक बलों द्वारा इन मदों का मूल्यांकन करने के बाद वास्तविक मालिक सीआईएसएफ के आधिकारिक वेबसाइट पर लॉस्ट एंड फाउंड एप्लीकेशन के ज़रिए बरामद वस्तुओं की सूची की जाँच और एयरपोर्ट ऑपरेटर के डेस्क से वापसी का दावा कर सकते हैं। वर्ष 2015 में, लगभग 11 करोड़ रु. का सामान उनके वास्तविक मालिकों और 21.5 करोड़ रु. की वस्तुओं को हवाई अड्डा परिचालकों को लौटाया गया। लिटिल पुलिस परियोजना कानून, आंतरिक क्षमता, आत्म अनुशासन, नागरिक भावना, सामाजिक बुराइयों के प्रतिरोध और कमजोर वर्गों के लिए सहानुभूति के लिए सम्मान द्वारा एक लोकतांत्रिक समाज के जिम्मेदार और सक्षम नागरिक के रुप में विकसित करने के लिए उच्च विद्यालय के छात्रों को प्रोत्साहित करती है । यह भविष्य में समाज के लिए पुलिस सेवाओं के वितरण की लागत को कम करते हुए इसकी दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार लाएगी। 'हम सेवा करने के लिए सीखते हैं" के अनूठे आदर्श वाक्य के साथ केरल पुलिस द्वारा एसपीसी परियोजना शुरु की गई है। एसपीसी परियोजना स्कूली बच्चों को उन्हीं के समुदायों में परिवर्तन लाने, भारतीय संविधान में दिए गए संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून को मानने वाला नागरिक बनाने के लिए तैयार करती है। 
 
2011 में देहरादून में आयोजित 41 वीं 'अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस' में एक प्रस्ताव पारित कर सभी राज्यों को एसपीसी अभियान अपनाने की सिफारिश की गई थी। सांझ परियोजना पंजाब में सामुदायिक पुलिसिंग की अवधारणा को लागू करने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था है। आम जनता की सुविधा के लिए सिंगल विंडो प्रणाली के माध्यम से बुनियादी पुलिस सेवाएं प्रदान करने के लिए परियोजना की परिकल्पना 2011 में की गई थी। परियोजना का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों की छवि में सुधार करना, शिकायत, विवादों और समाज के विषय में अन्य मुद्दों से निपटने में पुलिस सेवाओं का कुशल वितरण करना है। सिटिज़न सीओपी मोबाईल एप्लीकेशन राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा 8 सितंबर, 2015 को शुरू की गई थी। 14,000 से अधिक उपयोगकर्ता एप्लीकेशन को डाउनलोड कर चुके हैं। इस एप्लीकेशन के विभिन्न विशेषताओं का उपयोग करते हुए आम लोग आसानी से पुलिस सेवाओं तक पहुंचने और अपनी रिपोर्ट के जवाब में स्थिति रिपोर्ट पाने लगे हैं। सीमाओं पर प्रदर्शन और एसएसबी को अधिक पेशेवर बनाने के लिए, ड्यूटी पर तैनाती के दौरान जन अनुकूल शक्ति के रूप में एसएसबी की छवि का निर्माण करने के लिए, 'बॉर्डर इंटरेक्शन टीम' तैयार की गई है, एसएसबी के पुरुष और महिला कर्मियों को मिलाकर टीम गठित की गई है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमा पर डिज़ाइन की गई चेक पोस्ट / अधिकृत मार्गों पर और कहीं और AOR में, या जहां भी आवश्यकता हो जाँच और तलाशी करना है। सीमा पर विशेष रूप से प्रशिक्षित सादे कपड़ों में खुफिया कर्मियों का उपयोग कर सार्थक खुफिया सूचना आधारित ऑपरेशन के माध्यम से परिचालन उपलब्धियों को अधिकतम करना भी इसका उद्देश्य है।