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रायगढ़ - आपसी समझौते से म्युनसिपल ठेकों में बंदरबाट, पत्रकारों के ज्ञापन पर एसडीएम ने की निविदा निरस्त

रायगढ़ 20 मार्च 2016 (छत्‍तीसगढ ब्‍यूरो). सांरगढ़ नगर पालिका के ठेको में बंदरबाट का खेल जोर शोर से चल रहा है। पिछले दिनों 3 करोड़ 67 लाख के हुये एक टेंडर को हथियाने के लिये ठेकेदार एक हो गये और शातिराना साजिश के तहत निविदा डाली गई ताकि ठेका को हथियाया जा सके। बाद में तय शर्तों के मुताबिक होने वाले मुनाफे को सब आपस में बांटगे।
इसकी भनक सांरगढ़ मीडिया को मिलते ही उन्होंने इस सारे भ्रष्टाचार का कच्चा चिठ्ठा एसडीएम सांरगढ़ के समक्ष पेश करते हुये पूरे मामले की जांच कराने व टेंडर प्रकिया को रद्द किये जीने की मांग की हैं। सीएमओ और उपयंत्री की भूमिका संदिग्ध जान पड़ती है क्योंकि किसी भी कार्य के लिये प्रतिस्पर्धा नहीं होने दी गई और आपसी सिडिंकेट बनाकर निविदा में खेल किया गया है। विभागीय अफसरों ने कहा कि ठेकेदारों के नाम पर निविदा फार्म कोई और ले गया जिसके कारण कई निविदा में 29 कार्यों के लिये आवेदन लगाये थे किन्तु ठेकेदारों को सिर्फ 7-7 फार्म दिया गया।  20 से अधिक ठेकेदारों के रहते हुए भी एक काम के लिये महज 4 फार्म ही आये। इसीलिए एसडीएम के आदेश पर निविदा प्रक्रिया स्थगित होगी।

सारंगढ़ नगर पालिका मे पौने चार करोड़ रूपये के निविदा में बंदरबांट के आरोप के साथ सारंगढ़ के पत्रकारों ने एसडीएम आई.एल.ठाकुर को ज्ञापन सौंप कर निविदा प्रक्रिया की जांच की मांग करते हुए निविदा पर रोक लगाने की मांग किया। जिस पर तत्काल कार्यवाही करते हुए एसडीएम ने सीएमओ नगर पालिका सारंगढ़ को पत्र भेजकर निविदा से संबंधित समस्त दस्तावेज के साथ 21 मार्च को एसडीएम कार्यालय तलब किया है। वही आगामी आदेश तक निविदा पर कोई भी कार्यवाही करने से मना किया है। एसडीएम के इस कार्यवाही से ठेकेदारों के सिडिंकेंट में हड़कंप मचा हुआ है।
 
उल्लेखनीय है कि सारंगढ़ नगर पालिका के विकास के लिये राज्य शासन के द्वारा स्वीकृत किया गया लगभग पौने चार करोड़ रूपये के कार्य को लेकर ठेकेदारों के बीच बनी आपसी सामंजस्य को सीएमओ के द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया जिसके कारण से सभी ठेकेदारों को बराबर राशी का काम बांटा गया वही ज्यादा चढ़ावा देने वाले ठेकेदार को ज्यादा राशी का काम दिया गया। इस कार्य के कारण से निविदा में प्रतिस्पर्धा खत्म हो गया तथा इससे निकाय को लगभग पचास लाख से एक करोड़ रूपये का नुकसान होगा। पौने चार करोड़ रूपये के निविदा में मनमानी से सीएमओ और उपयंत्री का हौंसला बुलंद है। वही एक स्थान पर बिठाकर दर निर्धारण से सभी निविदा में दर बिलोव में 2 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत तक ही जा रही है। सारंगढ़ नगर पंचायत का सीमा विस्तार कर नगर पालिका का निमार्ण किया गया तथा नगरीय सीमा में जोड़े गये 21 गांव मे विकास कार्य के लिये राज्य शासन के द्वारा 3 करोड़ 67 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान किया गया। 

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार पत्रकारों ने जिन बिन्दुओं पर आपत्ति किया है उसमें सिडिक़ेट बनाकर निविदा लेने का आरोप मुख्य है। यहा पर लगभग 20 ठेकेदारों के द्वारा निविदा प्रपत्र 29 -29 नग मांगा गया था किन्तु नगर पालिका के द्वारा मात्र 7-7 निविदा फार्म ही दिया गया है। वहीं किसी भी ठेकेदार का पावती पंजी में हस्ताक्षर नहीं है। इसी प्रकार से एक कार्य के लिये डाले गये चार फार्म में हस्तलेखन एक ही व्यक्ति का है अर्थात आपसी सिडिंकेट बनाकर निविदा फार्म की प्रक्रिया पूर्ण की गई है। वही इस आपसी सिंडिंकेट बनाने से हर निविदा में महज 2 से 3 प्रतिशत बिलोव दर भरा गया है। एसओआर 2015 का दर होने के कारण से लगभग 20 से 30 प्रतिशत बिलोव दर आने की संभावना थी वही सिडिक़ेंट बनने के कारण से खत्म हो गई, जिससे लगभग नगर पालिका को एक करोड़ रूपये की अनुमानित क्षति पहुंची है। इन्हीं सब बिन्दुओं पर सूक्ष्म जांच की मांग करते हुए पत्रकारों ने आज एसडीएम आई.एल.ठाकुर को ज्ञापन सौपा तथा निविदा को निरस्त करने की मांग किया। एसडीएम ने पत्रकारों को अवगत कराया कि इस मामले में सोमवार को समस्त मूल दस्तावेज तलब किये जाने का आदेश दे दिया गया है तथा आगामी आदेश तक निविदा प्रक्रिया को स्थगित किया जा रहा है।