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शाहजहाँपुर - बन्‍द प्राथमिक विद्यालय की खबर बनाने गये पत्रकार पर शिक्षकों ने किया हमला

शाहजहाँपुर 30 जनवरी 2016 (ब्यूरो कार्यालय). समाजवादी सरकार में पत्रकारों पर हमलों की वारदातें थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अभी कुछ दिन पहले हुल्लापुर प्राथमिक विद्यालय शिक्षिका द्वारा पत्रकारों को धमकी देने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि ग्राम पंचायत हलूनगला क्षेत्र में आज एक और शिक्षिका अर्चना व उसके पति द्वारा पत्रकारों  के साथ गाली गलौज करने व धमकी देने का मामला सामने आ गया।
प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार आज सुबह 10 बजे के आस -पास ग्राम पंचायत हलूनगला  के ग्राम हरनाई से ग्रामीणों ने पत्रकारों को फ़ोन पर अवगत कराया कि प्राथमिक विद्यालय हरनाई कल (शुक्रवार) को बंद था और आज भी बंद है । सूचना पर सभी पत्रकार विद्यालय पहुँचे और मौके पर पाया कि विद्यालय में ताला लगा है। ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षिका व शिक्षिका का पति दोनों लोग विद्यालय में केवल बैठे रहते हैं, पढ़ाई के नाम पर यहां की स्थिति शून्य है जबकि विद्यालय खोलने का समय 8:30 है परन्‍तु यह विद्यालय 10:00 से 10:30 पर ही खोला जाता है। एक पत्रकार ने ABSA जलालाबाद को फ़ोन पर सारे मामले से अवगत कराया तो कुछ समय बाद शिक्षिका व शिक्षिका का पति मौके पर आ धमके और पत्रकारों पर आग बबूला हो कर गालियाँ देने लगे साथ ही साथ कहने लगे की इस विद्यालय परिसर में पत्रकारों का आना मना है शीघ्र अति शीघ्र विद्यालय की सीमा से बाहर निकल जाइए।  इस पर पत्रकारो ने पूछा की कल विद्यालय बंद क्यों रहा इस पर शिक्षिका ने कहा की हम पत्रकारों को सूचना नहीं देते, विद्यालय खोलना या बंद करना हमारा काम है हम विद्यालय खोले या बंद रख्खें आपको क्‍या। शिक्षिका के पति ने सभी पत्रकारों को गालियां देते हुये विद्यालय परिसर से धक्का देकर बाहर निकाल दिया। इस घटना की सूचना भी पत्रकारों ने BSA शाहजहाँपुर को फ़ोन पर दी साथ ही प्रार्थना पत्र देकर थाना अल्लागंज को भी पूरे मामले से अवगत कराया ।


पत्रकार संगठन आईरा एसोसिएशन के तहसील अध्‍यक्ष अमित बाजपेई ने घटना की निन्‍दा करते हुये कहा कि आये दिन प्रशासन की लापरवाही से पत्रकारों पर हमले होते रहते हैं। जहां पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल कर अपना फर्ज अदा करता है वहीं अधिकारी लोग शिकायतों को अनसुनी कर देते हैं। अगर इस से पहले हुए हुल्लापुर प्रकरण में अधिकारियों ने कार्यवाही की होती तो शायद आज ये दिन देखना ना पड़ता। पता नहीं कब तक पत्रकारों पर ऐसे हमले होते रहेंगे ।